सद्‌गुरुमाना जाता है जो अंक  हमसे जुड़े होते हैं, वे हमारी किस्मत पर प्रभाव डालते हैं। क्या ऐसा सच में होता है? क्या अंक ज्योतिष कारगर है? या फिर हमें खुद की क्षमता को बढाने पर ध्यान देना चाहिए?

सद्‌गुरु : एक दिन कोई उद्योगपति मुझसे मिलने आए थे। उन्होंने अपना विजिटिंग कार्ड दिया। थोड़ी देर बातें करते रहे। विदा लेकर निकलते हुए जरा हिचकते हुए खड़े रहे। आखिर पूछ ही दिया :

‘‘सद्‌गुरु, मेरे साथ बात करते समय आप बीच बीच में ‘रमियान’ ‘रमियान’ कह रहे थे। उस मंत्र का क्या अर्थ है?’’

मैं चौंक उठा। उनका दिया विजिटिंग कार्ड दिखाते हुए मैंने कहा :

‘‘यही तो आपका नाम है? कार्ड में Rhamean ही तो लिखा है।’’

‘‘नहीं महाराज मेरा नाम रमन है। न्यूमरालॅजी के ज्योतिषी ने परामर्श दिया था कि मेरे नाम को अँग्रेजी में इस तरह लिखा जाए तो व्यवसाय में सफलता मिलेगी।’’

मैं अपनी हँसी रोक नहीं पाया।

मनुष्य ने ही तो अंकों और अक्षरों को रूप दिया है। फिर वे कैसे मानव की किस्मत बना सकते हैं? बताइए, आप अपनी क्षमता के बूते पर उद्योग खड़ा करेंगे या अंकों पर विश्वास करके? नंबर क्या कर सकते हैं?

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हमने अपनी सुविधा के लिए दिन, वार और संख्याओं की व्यवस्था की थी। क्या ये सब चीजें हमारे जीवन को तय कर सकती हैं? प्राणवान होकर आप लोग जो बेवकूफियाँ करते हैं उनके लिए बेजान ग्रहों को जिम्मेदार ठहराना कितनी बड़ी कायरता है
अगर किसी ने कहा दिया कि अंक दो आपके लिए भाग्यशाली है तो क्या आप आँख मूँदकर उस पर विश्वास कर बैठेंगे? ज्योतिषी के कहने पर अपना हाथ या पैर काट डालेंगे? कितनी वाहियात बात है?

शंकरन पिल्लै एक बार शराब पीकर हल्ला मचाने लगे। पुलिस ने उन्हें अदालत में पेश कर दिया। न्यायाधीश ने गुस्से में आकर पूछा, ‘‘शराब पीकर बार-बार यहाँ आते हुए तुम्हें शरम नहीं आती?’’ फिर झल्लाकर बोले, ‘‘अरे इसमें तुम्हारा कोई कसूर नहीं है। तुमने जो व्हिस्की पी रखी है उसी की करतूत है यह।’’

झट शंकरन पिल्लै ने कहा, ‘‘खुशी की बात है कि आपको असली कारण का पता चल गया। मेरी पत्नी तो मुझे ही दोषी मानती है।’’

इसी तरह कुछ लोग दूसरों पर इल्जाम लगाने की ताक में रहते हैं। असफल होने पर तुरंत जन्म-कुंड़ली और अंक ज्योतिष के पीछे मत भागें।आपके निकम्मेपन का फायदा ज्योतिषी लोग ही तो उठाते हैं। असफलता का असली कारण तो आपकी मूर्खता है।

मेरे पास एक पुरानी मारुति कार थी, कोई उसे खरीदना चाहते थे। बोले: ‘‘आपकी गाड़ी की संख्या मेरे लिए किस्मत ला सकती है। आप जो भी दाम बताएँ, मैं खरीद लूँगा।’’ मैं हँस पड़ा। पूछा, ‘‘आप किस नंबर की बात कर रहे हैं? रजिस्ट्रेशन नंबर या इंजन का नंबर?’’

वे चकरा गए।

अपने ज्योतिषी से परामर्श लेने के बाद लौटे।

‘‘कहते हैं, रजिस्ट्रेशन नंबर ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने अंक ज्योतिष के हिसाब से अंग्रेजी अक्षरों के लिए नम्बर देकर गणना करने के बाद बताया।’’

ज्योतिषी की बताई तारीख और निश्चित समय पर मित्र मेरे हाथ में ९९,९९९ रुपए रखकर बोले, ‘‘महाराज, क्षमा करें, जो दाम तय हुआ था उससे एक रुपया कम दे रहा हूँ, इसलिए कि ज्योतिषी बताया कि यही रकम अंक-ज्योतिष के हिसाब से भाग्यशाली है।’’ फिर उन्होंने कोई कीमती उपहार देकर उस एक रुपए की भरपाई भी कर दी।

मैंने कहा, ‘‘ये सब बातें रहने दीजिए, पहले गाड़ी को चलाकर देखिए। कई पुर्जे हिल रहे होंगे। पूरा संतोष कर लेने के बाद ही खरीदें।’’

मित्र ने फिर कहा कि उन्हें तो भाग्यशाली नंबर से मतलब है। वे गाड़ी लेकर चले गए। मुश्किल से एक महीना बीता... मित्र ने वह कार बेच दी।

पता है, कारण क्या था?

एक बार गाड़ी चलाते समय आगे वाली सीट का स्प्रिंग उखड़ गया। वे पीछे की ओर धकेल दिए गए। उन्होंने सोचा कि किसी अदृश्य शक्ति ने उन्हें पीछे से खींच दिया। बस, इसी डर के मारे उन्होंने गाड़ी बेच दी। मुझसे गाड़ी खरीदकर ले जाते हुए मंदिर के सामने उसे खड़ा करके नारियल फोड़ा गया था, और पहियों के नीचे नींबू रखकर उन्हें दबोचा गया। सब बेकार हो गया। इन सब से शोचनीय बात यही है कि उनके भाग्यशाली अंक ने भी धोखा दे दिया!

हमने अपनी सुविधा के लिए दिन, वार और संख्याओं की व्यवस्था की थी। क्या ये सब चीजें हमारे जीवन को तय कर सकती हैं? प्राणवान होकर आप लोग जो बेवकूफियाँ करते हैं उनके लिए बेजान ग्रहों को जिम्मेदार ठहराना कितनी बड़ी कायरता है। ग्रहों में जो स्पंदन होते हैं, उनका थोड़ा असर पृथ्वी पर पड़ सकता है। लेकिन जिन लोगों का मन संतुलित है, उन पर इन स्पंदनों का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। कार्य आरंभ करने से पहले आप ज्योतिषी के पास जाएँगे। अगर वे कह दें कि कार्य में सफलता मिलेगी तो आप उसी पर विश्वास करते हुए पूरी क्षमता के साथ काम नहीं करेंगे। अगर वे कहें कि सफलता नहीं मिलेगी तब निराशा के मारे लगन के साथ काम नहीं करेंगे। तब ज्योतिषी के पास जाने का मतलब ही क्या है?

आधे-अधूरे काम करेंगे तो सफलता कहाँ से मिलेगी?

इच्छित वस्तु को पाना हो तो अपनी क्षमता बढ़ा लीजिए। खेलने के लिए उतरने से पहले ही परिणाम पाने की इच्छा न करें। अपने काम की जिम्मेदारी स्वयं लेने की आदत डालें।