सद्गुरुचाहे कला हो, संगीत हो या किसी भी तरह की तकनीक - इनमें सृजन जैसी कोई चीज नहीं है। मतलब पृथ्वी पर मानव ने नया कुछ नहीं रचा है। यह सब कुछ पहले से ही मौजूद था। दरअसल, इन सबको नकल कहना थोड़ा अपमानजनक लगता है, इसलिए लोग इसे सृजन कह देते हैं।

जिज्ञासु:

आपके हिसाब से सृजनशीलता क्या है?

सद्‌गुरु :

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अगर विज्ञान और तकनीक की बात करें तो भी हमने ऐसा कुछ खास नहीं बनाया है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने कितनी अच्छी मशीनें बनाई हैं, क्योंकि  सबसे शानदार मेकैनिकल-सिस्टम, सबसे बढिय़ा यांत्रिकी तो आपके शरीर के भीतर है।
इस बारे में मैं जो कहना चाहता हूं, उसे सुनकर हो सकता है आप लोगों को धक्का लगे। मैं तो यह कहता हूं कि सृजनशीलता जैसी कोई चीज होती ही नहीं है। इंसान ने जो कुछ भी किया है, वह इस विशाल सृष्टि की नकल या उन चीज़ों में थोड़ी सी तबदीली मात्र ही है जो यहां पहले से मौजूद है। इस धरती पर क्या हमने वाकई किसी चीज की रचना की है? रचना करने के नाम पर हमने जो कुछ भी किया है, वह पहले से मौजूद चीजों की बस मामूली नकल भर ही तो है।

अगर आप विज्ञान और तकनीक की भी बात करें तो भी हमने ऐसा कुछ खास नहीं बनाया है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपने कितनी अच्छी मशीनें बनाई हैं, आप देखेंगे कि सबसे शानदार मेकैनिकल-सिस्टम, सबसे बढिय़ा यांत्रिकी तो आपके शरीर के भीतर है। सबसे बेहतरीन इलेक्ट्रिकल-सिस्टम हो या सबसे कारगर इलेक्ट्रॉनिक-सिस्टम, या फिर सबसे जटिल कैमिकल कारखाना ये सब आपके शरीर के भीतर हैं। ये सारी चीजें पहले से ही शरीर में मौजूद हैं। अगर आप कला के बारे में बात करें तो कोई भी रचना जो आप करते हैं, वह प्रकृति का छोटा सा अनुकरण या नक़ल मात्र ही है।

कहने का मतलब यही है कि चाहे कला हो, संगीत हो या कोई और चीज, रचनात्मकता जैसी कोई चीज नहीं है। दरअसल, इन सबको नकल कहना थोड़ा अपमानजनक लगता है, इसलिए लोग इसे सृजनशीलता कह देते हैं।

 सृजन: बस गौर से देखें

अगर आप ध्यान से यह देखते हैं कि आपके भीतर और आपके आसपास क्या कुछ हो रहा है, तो आप हर छोटे से छोटे काम को रचनात्मक तरीके से कर सकते हैं।

रचनात्मकता का मतलब यह नहीं है कि आपने किसी शानदार चीज का आविष्कार कर दिया। रचनात्मकता तो इस बात में भी है कि कोई झाड़ू कैसे लगाता है। हो सकता है, कोई इसी काम को नीरस तरीके से कर रहा हो और कोई दूसरा इसे बड़े रचनात्मक तरीके से।
अगर आप किसी भी क्षेत्र में रचनात्मक होना चाहते हैं, तो कुल मिलाकर आपको बस एक ही काम करना होगा- अवलोकन यानी निरीक्षण। चीजों को पूरी गहराई में ध्यान से देखें। यह आपके दृष्टिकोण को बड़ा कर देगा, जिससे आप अपने हर छोटे-छोटे काम को और बेहतर तरीके से कर पाएंगे। अगर आपने गहराई से अवलोकन करने या ध्यान देने की क्षमता विकसित कर ली, तो आप देखेंगे कि आप जो भी कर रहे हैं, उसमें अपने आप रचनात्मकता आ रही है।

रचनात्मकता का मतलब यह नहीं है कि आपने किसी शानदार चीज का आविष्कार कर दिया। रचनात्मकता तो इस बात में भी है कि कोई झाड़ू कैसे लगाता है। हो सकता है, कोई इसी काम को नीरस तरीके से कर रहा हो और कोई दूसरा इसे बड़े रचनात्मक तरीके से। अगर आप ध्यान से यह देखते हैं कि आपके भीतर और आपके आसपास क्या कुछ हो रहा है, तो आप हर छोटे से छोटे काम को रचनात्मक तरीके से कर सकते हैं। आपके भीतर सभी स्तरों पर जो भी हो रहा है, इसका गहराई से अवलोकन करने के साधन अगर आप विकसित कर लें तो आप एक जबर्दस्त सृजनशील व्यक्ति हो जाएंगे। वैसे अगर आप सिर्फ अपने आसपास की चीजों पर ही गहराई से नजर रखें तो भी आप पाएंगे कि आप जो भी काम करते हैं, उन्हें करने के और भी तरीके हो सकते हैं। यानी उसी काम को आप नए और रचनात्मक तरीकों से कर सकते हैं।