इस त्योहार का नाम यक्षों से प्रेरित है, जिनकी चर्चा भारतीय मिथक में की गई है। भारतीय मिथक में यक्षों को दैवी सत्ताओं के रूप में देखा जाता है। यक्ष उत्सव एक ऐसा मंच है जो न सिर्फ कलाकारों को विभिन्न तरह की प्राचीन और आधुनिक कलाओं को पेश करने का मौका देता है, बल्कि कला प्रेमियों को इन विविध संगीत और नृत्य कलाओं की बारीकी और जीवंतता को देखने, समझने और उनका रस लेने का अवसर भी देता है। यही नहीं, इस अनोखे त्योहार के माध्यम से दुनिया भर के लोगों को भारत की प्राचीन संस्कृति की गहराई का भी पता चलता है।
इस साल यह रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम 4 मार्च से 6 मार्च 2016 के बीच ईशा योग केन्द्र में आयोजित किया जा रहा है।

यक्ष के पहले दिन, रमा वैद्यनाथन ने भरतनाट्यम की प्रस्तुति दी। नृत्य के साथ अभिनय के अंशों ने सभी दर्शकों उल्लासित कर दिया।
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यक्ष महोत्सव के दूसरे दिन, मल्लादी बंधुओं ने अपनी जादुई प्रस्तुति से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। श्री रामप्रसाद और रवि मल्लादी आंध्र प्रदेश से हैं, और पारंपरिक कर्नाटक संगीत गायक हैं।
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सूर्यकुंड के पास आदियोगी की प्रतिमा के पास हुई ये प्रस्तुति शाम 6:50 बजे शुरू हुई और इसमें सद्गुरु भी उपस्थित थे।

यक्ष के तीसरे और अंतिम दिन, अजोय चक्रबोर्टी ने अपना गायन प्रस्तुत किया।

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देखें लाइव वेब स्ट्रीम :

http://mahashivarathri.org/live/