"भरतनाट्यम - भाव, राग और ताल का नृत्य है। जीवन का राग पहले से तय है। आपको ताल की तलाश करनी है।" - सद्‌गुरु 

'यक्ष' ईशा योग केंद्र में मनाया जाने वाला सात दिन का सांस्कृतिक उत्सव है। यहां हम भारत की सांस्कृतिक विरासत -  शास्त्रीय संगीत, नृत्य और शास्त्रीय वादन - आपके लिए ले कर आते है। इस उत्सव में देश के मशहूर कलाकार हर शाम अपनी प्रस्तुति देते हैं। 

इस वर्ष यह त्यौहार 10 फरवरी को शुरू हुआ...
सभी प्रदर्शनों को नि:शुल्क लाइव-स्ट्रीम किया जा रहा है। आइये जानते हैं पहली तीन प्रस्तुतियों के बारे में... 

गीता चंद्रन – भरतनाट्यम – 10 फरवरी

गीता चंद्रन ने अपने गुरुओं से हासिल ज्ञान को एक साथ मिलाते हुए भरतनाट्यम की अपनी एक खास शैली विकसित की है। वह बड़ी कुशलता से अपने नृत्य में आनंद, सुंदरता और आध्यात्मिकता को बुनती हैं। वह आज शास्त्रीय नृत्य के सबसे अग्रणी कलाकारों में गिनी जाती हैं।

अपना अनुभव बताते हुए उन्होंने कहा – “मैं यहां पहले आ चुकी हूँ, इसलिए मैं इस जगह के बारे जानती हूँ। आज मैंने एक भीतरी शान्ति का अनुभव किया। नृत्य के बाद मुझे अपने अंदर हल्केपन का एहसास हो रहा है, एक ख़ास तरह की शांति मिल रही है। सबसे बड़ी बात यह है, कि यह जगह ही ऐसी है, कि रिहर्सल करते समय रुकने का मन ही नहीं हो रहा था! मुझे बहुत ज्यादा ऊर्जा का एहसास हो रहा था।"

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शाम के समारोह का अंत आदि शंकराचार्य की कृति “ऐगिरी नंदिनी” की उत्साह से भरी प्रस्तुति के साथ हुआ। गीता चंद्रन ने देवी लिंग भैरवी के आगे नमन करते हुए एक भव्य तरीके से अपनी प्रस्तुति का अंत किया।

इसके बाद सभी लोग देवी महा आरती के लिए ध्यानलिंग के आगे इकट्ठे हुए।

पंडित तेजेंद्र नारायण मजूमदार – सरोद – 11 फरवरी

“यह एक बहुत ही ख़ास और अद्भुत अनुभव है। मैंने सद्‌गुरु के बारे में अपने साथी कलाकारों से काफी कुछ सुना है, और मैं इस दिन का इंतज़ार कर रहा था – बस यहां आने और प्रस्तुति करने के लिए।” – पंडित तेजेंद्र मजुमदार

पंडित तेजेंद्रजी पहली बार आश्रम आएं हैं, और उन्होंने ब्लॉग टीम को बताया कि ईशा योग केंद्र के तरोताज़ा कर देने वाले माहौल से वे मंत्रमुग्ध हैं।

पंडित जी ने सभी को सरोद के बारे में एक संक्षिप्त परिचय दिया। उन्होंने अपनी प्रस्तुति शाम को बजाये जाने वाले राग झिंझोटी आलाप के साथ शुरू की। उसके बाद उन्होंने रूपक ताल पर जोर और झाला बजाया। पंडित तेजेंद्रजी इस पीढ़ी के सबसे लोकप्रिय सरोद वादकों में से एक हैं। उन्होंने अपने संगीत के असाधारण तान और स्पर्श से दर्शकों को बांध लिया। यह शाम वर्णन से परे है। लिंग भैरवी देवी मंदिर के आंगन में एक सुकून भरी शाम की सुन्दरता को यह राग और बढ़ा रहा था।

आलाप से शुरू करते हुए वे अपनी प्रस्तुति को जोर झाला की लय की ओर ले गए। राग झिंझोटी से जुड़े आनंद और प्रेम का अनुभव करने के बाद श्रोताओं की तालियों से सारा वातावरण गूँज गया। सारी शाम रागों की सुगंध से महक उठी।

 टी.वी.शंकरनारायण – कार्नेटिक शास्त्रीय गायन – 12 फरवरी

टी.वी.शंकरनारायण जी के लिए यक्ष का मंच नया नहीं है। वे यहाँ साल 2011 में प्रस्तुति दे चुके हैं। कुछ घंटे पहले जब वे यहाँ आए तो ब्लॉग टीम के साथ एक चर्चा में उन्होंने कहा -  "एक बार फिर से अपनी प्रस्तुति के लिए यहां आकर बहुत प्रफुल्लित महसूस कर रहा हूँ"।

टी.वी.शंकरनारायण ने बहुत ही जोश और ऊर्जा के साथ अपनी प्रस्तुति पेश की। उनकी एक खास शैली है, और संगीत में उत्कृष्टता के नए आयामों की खोज करने की सहज प्रवृत्ति प्रत्यक्ष रूप से नज़र आयी। इस कला के सर्वश्रेष्ठ गुणों को अपनाने के उत्साह के कारण वह जोशीले संगीत के साकार रूप हैं। इन्होंने अपने तीव्रता से भरपूर गायन का अंत शिव को समर्पित एक कविता और गीत - 'राग शेंजुरुटी में रचे गए अपु वरुवयो' - से किया।

दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से उनका अभिनंदन किया। इसके बाद महफिल ने यक्ष की हर शाम को होने वाली देवी महाआरती की ओर प्रस्थान किया।

संपादक की टिप्पणी: इस वर्ष ईशा योग केंद्र में महाशिवरात्रि महोत्‍सव 17 फरवरी को मनाया जा रहा है। सद्‌गुरु के साथ रात भर चलने जाने वाले इस उत्सव में सद्‌गुरु के प्रवचन और शक्तिशाली ध्यान प्रक्रियाओं के साथ-साथ जिला खान और पार्थिव गोहिल जैसे कलाकारों के भव्‍य संगीत कार्यक्रम भी होंगे। आस्‍था चैनल पर सीधे प्रसारण का आनंद लें शाम 6 बजे से सुबह सुबह 6 बजे तक।

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