मेरे लिए पहली बार सद्‌गुरु से मिलना वास्तव में एक ऐसे गुरु से मिलने जैसा था जिनके बारे में मैं काफी कुछ सुन चुका था, काफी पढ़ चुका था, उनके बारे में तमाम लोगों के अनुभवों को जान चुका था। पहली बार मैं अपने सामने एक गुरु को देख रहा था। इस बात पर भरोसा करने में ही मुझे कुछ समय लग गया कि मैं ऐसे महान गुरु के सामने बैठा हूं और उन्हें इतने नजदीक से सुन रहा हूं।

उनकी ज्यादातर बातें बहुत ही दिलचस्प और शानदार थीं, लेकिन मुझे हमेशा ऐसा लगता कि वे जो कुछ कह रहे हैं, मैं पहले से ही जानता हूं। एक तरह से उन्होंने मेरी स्मृति को कुरेद दिया। उन्होंने मेरे भीतर उन चीजों को दोबारा से जगा दिया, जो मेरी चेतना के पीछे कहीं सो चुकी थीं। उनकी आवाज मुझे बहुत पसंद है। उनकी आवाज में मुझे एक तरह का दृढ़ निश्चय नजर आया। उनकी बातों में उनका अनुभव झलक रहा था। वे वही बोल रहे थे जिसका उन्होंने अनुभव किया था। वह तमाम चीजों के बारे में जिस नपे-तुले तरीके से बोल रहे थे, वह मुझे खासा पसंद आया। मैंने पाया कि वे तकनीक के इस्तेमाल में दक्ष हैं, और वे बातों की बेहद वैज्ञानिक तरीके से व्याख्या करते हैं। दरअसल, दक्षिण भारत से होने के कारण आप पुराण और इतिहास से संबंधित तमाम बातों के संपर्क में आ जाते हैं। बहुत सारी चीजें आपकी जानी और सुनी होती हैं। तो मैं एक ऐसे शख्स को सुन रहा था जो हर चीज को बड़े ही वैज्ञानिक तरीके से रख रहा था। अगर उदाहरण दूं तो चार्ल्स डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत और हमारी

संस्कृति में वर्णित दशावतर के बारे में उनकी तुलनात्मक व्याख्या जबर्दस्त थी। सुनकर मेरे मुंह से निकला, ‘अरे वाह यह तो अलग तरह की ही सोच है।’ इनके अलावा उनकी दी गई दूसरी व्याख्याएँ भी शानदार हैं। ध्वनि के बारे में उनकी जो व्याख्या है, वह भी मुझे खासतौर से पसंद आई। उन्होंने जो बातें बताईं, वे बातें मैंने महसूस की हैं। मैं ऐसे लोगों से मिला हूं जो उस तरह के अनुभव से गुजरे हैं। मैं ऐसे कई संगीतकारों को जानता हूं जिन्हें ऐसे अनुभव हुए हैं। रेकॉर्डिंग के दौरान और इस धरती की आवाज को सुनते हुए मुझे भी ऐसे ही कुछ अनुभव हुए हैं।

उन्हें सुनकर ऐसा लगता है मानो वह चीजों को मेरे लिए एक क्रम से, सुव्यवस्थित तरीके से पेश कर रहे हैं। उनकी बातों को सुनकर चीजें बिल्कुल साफ हो जाती हैं। गुरुओं को लेकर मेरी कुछ समस्याएं हैं - मैं हर किसी की बात नहीं कर रहा, लेकिन . . . आध्यात्मिक टाइप के गुरुओं के साथ। मैं आध्यात्मिक टाइप इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि वे सामने वाले लोगों को तुच्छ प्राणी के तौर पर देखते हैं, तुच्छ नश्वर प्राणी जिसमें मैं भी शामिल हूं। वे आपको हमेशा ऐसा महसूस कराते रहते हैं कि आपका जीवन व्यर्थ है। आप जीवन में जो भी कर रहे हैं, उसकी कोई कीमत नहीं है। यह सब बेकार है।

सद्‌गुरु ने भी ये बातें कहीं, लेकिन एक बेहद सधे हुए अंदाज में। उन्होंने यह बात इस तरीके से कही कि वह समझते हैं कि आज के लोगों के साथ क्या कुछ हो रहा है। उनके कई अवलोकन तो बेहद सूक्ष्म होते हैं। कुछ जाने-माने विचारों पर उनकी व्याख्या बहुत ही सुलझी और स्पष्ट होती है। मुझे वे व्याख्याएँ अच्छी लगती हैं। वे हमें ऐसी बातों को अच्छी तरह से समझा देते हैं, जिन्हें हम जानते ही नहीं। सद्‌गुरु जिस तरीके से चीजों को समझाते हैं, जैसे हर चीज के पीछे एक वैज्ञानिक कारण खोज लेते हैं, उसने मुझे बहुत प्रभावित किया।

मैंने भौतिकी पढ़ी है और मेरा काम भी मेरी पढ़ाई का ही विस्तार है। मैं हर चीज के पीछे तर्क ढूंढने की कोशिश करता हूं। जैसे ईश्वर मेरे लिए एक मूर्खतापूर्ण और बेकार का विचार था। लेकिन मैंने उस पर कभी उंगली नहीं उठाई। मैं आज भी उंगली नहीं उठाता, क्योंकि एक तरह से मैं सोचता हूं कि शायद मैं उसे जानता ही नहीं। दूसरा विचार यह है कि पूरा का पूरा विचार ही मेरे लिए एक रहस्य की तरह से है। फिर मैंने मेटाफिजिक्स की मदद ली। मैं फिल्म लाइन में हूं और हम लोग रोज ऐसे वाकयों से गुजरते हैं, जिसमें हम लोगों की भावनाओं को प्रदर्शित करने की कोशिश करते हैं।

कई बार जीवन में ऐसा लगता है कि जो कुछ आप कर रहे हैं, उन्हें करने का कोई कारण नहीं है। लेकिन सद्‌गुरु हर किसी की छिपी शक्तियों को बाहर लाने की कोशिश करते हैं और उसके लिए बाकायदा उनका एक तरीका है। हर चीज के लिए उनके पास एक कारण है या कह सकते हैं कि हर चीज के लिए वह एक कारण ढूंढ लेते हैं और यह आधुनिक समझ है। सद्‌गुरु की यह बात मुझे बहुत पसंद है और इसके लिए मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं। कार्यक्रम की समाप्ति के बाद जब वह हर किसी को कमल के फूल दे रहे थे, तो मुझे लगा कि उनके भीतर कुछ तो खास है। मुझे ऐसा महसूस होता है कि अगर कभी मैं अटक गया, तो मैं बस एक कॉल करके चुटकी में उनसे उस समस्या का हल पा सकता हूं। वह दयालु हैं, प्रेम करने वाले हैं, वे हम सबके लिए दादाजी जैसे हैं। जब उनसे कमल लिया तो मेरे भीतर ऐसे ही भाव आए।

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