सद्‌गुरुनदी अभियान रैली की शुरुआत कोयंबतूर से हुई और फिर रैली मदुरै की और बढ़ गई। पढ़ते हैं पहले तीन दिनों की गतिविधियों के बारे में और देखते हैं कुछ तस्वीरें

3 सितंबर 2017, 09:30 प्रातः

करीब दो महीनों की व्यस्त गतिविधियों और तैयारियों के बाद आखिरकार वह निर्णायक दिन आ ही गया। विशालकाय नदी अभियान सड़क यात्रा कोयंबटूर के वीओसी मैदान से आज शुरू होने जा रही है।

कुछ महीनों पहले जब सद्गुरु ने घोषणा की थी कि वे भारत की नदियों के पुनर्जीवन के लिए एक जागरूकता आंदोलन शुरू कर रहे हैं तब ही से बड़ी तादाद में लोग इस अभियान से जुड़ने लगे थे। समाज के सभी क्षेत्रों के लोगों - सरकारी, सेना, फिल्म और मनोरंजन जगत, खेल जगत और कई प्रसिद्द हस्तियों - ने इस अभियान के सन्देश को साझा किया और इस आंदोलन को समर्थन देने का संकल्प किया । लोगों ने स्कूलों कॉलेजों और दफ्तरों में सत्र किए।  वे सड़को के किनारे नदी अभियान के पोस्टरों के साथ खड़े रहे । सभी इस बात को सुनिश्चित करना चाहते थे की देश में सभी इस आंदोलन को समझे और अपना समर्थन दर्ज करने के लिए मिसकॉल करें ।

समर्थन की छोटी सी लहर ने देखते ही देखते एक ऐसे विशाल जन समूह का रूप ले लिया है,  जिसमे ज़बरदस्त वेग और जोश है । अब समय है आगे बढ़ने का । भारतम महाभारतम।

नदी अभियान का पहला समारोह बहुत उत्साहवर्धक रहा। कोयम्बटूर के वीओसी मैदान में हुए इस कार्यक्रम मे करीब दस हज़ार से ज़्यादा उत्साहित लोगों ने हिस्सा लिया और नदी अभियान रैली का ज़ोरदार आगाज़ किया ।नदी अभियान के इस पहले समारोह में मौजूद थे पंजाब के माननीय राज्यपाल श्री वी.पी.सिंह बदनोर और केंद्रीय मंत्री डॉ.हर्ष वर्धन, तमिलनाडु के केंद्रीय ग्रामीण विकास व नगरपालिका प्रशासन मंत्री तिरु एस.पी.वेलुमनी। इसके अलावा कई नामी और प्रतिष्ठित हस्तियों के साथ साथ खेल जगत के कई बड़े सितारे - स्टार बैट्समैन श्री वीरेंद्र सहवाग, महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज, फार्मूला वन रेस कार ड्राइवर नारायण कार्तिकेयन, रैली पार्टनर महिंद्रा ग्रुप के सीनियर वाइस प्रेसीडेंट – वीजे राम नाकरा और तकनीकी पार्टनर तमिलनाडु एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ.के.रामास्वामी - भी उपस्थित थे ।

केंद्रीय मंत्री ने आधिकारिक तौर पर झंडी दिखाकर रैली की शुरुआत की। यह यात्रा 16 राज्यों से होकर गुजरेगी, जहां विभिन्‍न शहरों में 23 कार्यक्रम होंगे। करीब सात हज़ार किलोमीटर की दूरी तय करके दो अक्टूबर को राजधानी दिल्ली में इस रैली का समापन होगा।

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वन, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण मंत्री, डॉ हर्षवर्धन ने कहा। "मैं यहां एक पर्यावरण मंत्री के रूप में नहीं आया हूं, मैं यहां इस आंदोलन के एक सैनिक के रूप में हूं। मैं न केवल यहां हूं, मैं 2 अक्तूबर को दिल्ली में भी सद्गुरु का स्वागत करूंगा। आज, सद्गुरु बस ये कोशिश कर रहे हैं कि हमें हमारे बच्चों के प्रति अपना कर्तव्य याद आ जाए। यह अगली पीढ़ी के लिए है, ये हमारे बच्चों के लिए है। मुझे यकीन है कि कुछ साल बाद यह आंदोलन सद्‌गुरु के आशीर्वाद के साथ अपने पूर्ण रूप को प्राप्त करेगा, और देश के एक सौ पच्चीस करोड़ भारतीयों को इस पर गर्व होगा। "

सद्गुरु ने कहा "यह कोई धरना या विरोध प्रदर्शन नहीं है। यह अभियान इस जागरूकता को बढ़ाने के लिए है कि हमारी नदियां सूख रही हैं। हर इंसान जो पानी पीता है, उसे नदी अभियान में हिस्सा लेना होगा। भारत के नागरिको  के रूप में, हमें अपनी जिम्मेदारी व्यक्त करने और हमारी नदियों की मौजूदा स्थिति को बदलने की जरूरत है। हमारे माता-पिता ने हमारे लिए नदियों को जिस रूप में छोड़ा था, कम से कम हमें जाने से पहले नदियों को उस स्थिति में वापस पहुँचाना चाहिए। राष्ट्र की भलाई के लिए, भावी पीढ़ी और हमारी पीढ़ी के लिए, आइये उठ खड़े हों,और ऐसा कर दिखाएं। "

 

दूसरा दिन

वईगई नदी, कंबम घाटी के घुमावदार दर्रो से गुज़रकर पाक जलडमरू (पाक स्ट्रेट) में जाकर गिरने वाली तमिलनाडु की इस नदी का स्रोत पश्चिमी घाट के पेरियार पठार के वारूसनाड़ु की पहाड़ियां हैं। "छूने पर यह नदी जल लाती है" दक्षिण भारत के संगम साहित्य में इसी तरह से वईगई नदी का गुणगान किया गया है। "वईगई" शब्द दो शब्दों की संधि से बना है " वई " और " गई " मतलब " स्थान " और " हाथ " । पौराणिक कथाओं में इस नदी के उद्गम का सम्बन्ध मदुरै शहर की देवी मिनाक्षी से भी बताया गया है, जिन्हें मदुरै शहर की साम्राज्ञी जाता है।

लेकिन पिछले कुछ दशकों में जिस तरह भारत की नदियों की दुर्दशा हुई  है, आज की वईगई नदी उसी दुर्दशा की एक तस्वीर है। उसकी स्थिति  बद से बद्तर होती जा रही है।  गर्मियों के मौसम में तो यह नदी सूखकर एक पतली सी धारा बनकर मदुरै शहर से गुज़रती है।

11:52 प्रातः, 4 सितम्बर 2017, मदुरै से कन्याकुमारी

आज सुबह बहुत जोश और उल्लास के साथ नदी अभियान की रैली कन्याकुमारी के लिए रवाना हुई । यह यात्रा करीब 270 किलोमीटर है। कन्याकुमारी भारत के सुदूर दक्षिण में देश का अंतिम छोर है।  वैसे तो यह जगह तीन अलग अलग सागरों के मिलन के स्थल के रूप में प्रसिद्द है पर सच्चाई यह है की यह स्थान तीनो तरफ से सिर्फ एक लक्कादीव समुद्र या लक्षद्वीप समुद्र से ही घिरा हुआ है।  इस स्थान का नाम वहाँ मौजूद देवी कन्याकुमारी के मंदिर नाम पर गया है।

 

रैली में भाग लेने वाले सभी लोग स्वामी विवेकानंद मेमोरियल जाएंगे। यह ववाथुरई के किनारे से पांच सौ मीटर दूर पूर्व में एक चट्टान पर है। 1893 में हुई विश्व धर्म संसद में शिकागो जाने से पहले स्वामी विवेकानंद इसी स्थान पर आये थे । ऐसा कहा जाता है स्वामी विवेकानंद ने इसी चट्टान पर दो दिनों तक ध्यान किया था जिसके बाद ही उन्हें परम ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

1:50 दोपहर, 4 सितम्बर 2017, मदुरै से कन्याकुमारी

मदुरै का सुन्दर गाँधी मेमोरियल संग्रहालय, नदी अभियान के कार्यक्रम का आयोजन स्थल बना ।  कार्यक्रम में  लाखों लोग तो नहीं थे पर कुछ हज़ारों की तादाद थी। लेकिन सभी नदी अभियान के बारे में सुनने को बेहद उत्सुक दिखे। वे सभी जोश और उत्साह से भरे हुए थे।

साहित्य के प्रति असीम प्रेम रखने वाले इस शहर में अगर कार्यक्रम हो तो ज़ाहिर है की लेखकों, कथाकारों, कवियों और साहित्य प्रेमियों की उपस्थिति तो महसूस होगी ही । नदी अभियान कार्यक्रम के मंच पर भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला जहां मौजूद थे तमिल और मलयालम के लेखक और साहित्य आलोचक श्री बी जेयामोहन और तमिल साहित्य के विद्वान डॉ जी ज्ञानसंबंदन। अन्य गणमान्य अतिथियों में थे थिरु एस रथिनावेलु, वरिष्ठ अध्यक्ष तमिलनाडु चेम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज़, थिरु के वीरा राघव राव, आई ए एस, ज़िलाधीश, मदुरै और श्री मानिश्वर राजा, आई एफ एस, रीजनल पासपोर्ट ऑफिसर, मदुरै। कार्यक्रम में बोलनेवाले सभी लोगो ने नदियों को पुनर्जीवित करने और उनमें प्राण फूंकने के इस राष्ट्रीय स्तर पर शुरू किए गए नदी आंदोलन पर गहरा संतोष जताया।

सुबह से ही काफी गर्मी थी जिस वजह से रैली में आए लोग धुप से बचने के लिए नदी अभियान के पोस्टर्स का इस्तेमाल कर रहे थे जिस पर चुटकी लेते हुए सद्गुरु ने कहा की इस पूरे महीने जागरूकता फैलाना अत्यंत महत्वपूर्ण है इसलिए नदी अभियान के पोस्टर्स पूरे महीने इसी तरह चमकते रहने चाहिए।

मदुरै में कार्यक्रम समाप्त हुआ।  नदी अभियान के उत्साहित जोशीले और श्रद्धा से भरे लोगो के मध्य से सद्गुरु की कार धीरे धीरे आगे बढ़ गयी।  सद्गुरु कन्याकुमारी के अगले चरण के लिए रवाना हो गए ।

तीसरा दिन

 

 

 

 

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क्या होता हैं जब ओणम के आनंद और उल्लास से सराबोर किसी शहर में नदी अभियान पहुँचता है। जवाब है एक ऐसी उमंग और तरंग उठती है जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।
तिरुवनंतपुरम के दिल की धड़कन है कला केंद्र मानवीयम वीधी, यहाँ चित्रकारों के साथ साथ वेलकलि, थेय्यम, पदयानी, कुम्मटी कली, अर्जुन निरथम, पुलीकली और कई अन्य नृत्य शैलियों के कलाकार इकट्ठा हुए, एक तरफ मिजावू ड्रमर्स जोशीली धुन बजा रहे तो दूसरी ओर डफमुथु गायक मदमस्त कर देने वाले गीत गुनगुना रहे थे। इन सबके साथ चल रहा था लोगो का लम्बा हुजूम अपने हाथो में नदी अभियान के झंडे थामे। अद्भुत समां था।
तिरुवनंतपुरम में एक सफल आयोजन के बाद केरल आधिकारिक रूप से नदी अभियान को समर्थन देकर साथ आने वाला पहला राज्य बन गया। मानवीयम वीधी पर हुए भव्य स्वागत के बाद मुख्य कार्यक्रम शहर के सांस्कृतिक केंद्र टैगोर थिएटर में हुआ।
जहां प्रख्यात कवि श्री कल्वम श्रीकुमार ने विभिन्न वाद्य कलाकारों के साथ मिलकर नदियों की प्रशंसा में 'नील नदी' कार्यक्रम प्रस्तुत किया। कई विशिष्ट व्यक्तियों ने समारोह की शोभा बढ़ाई और इस महान प्रयास के प्रति अपना समर्थन जताया। इनमे मुख्य हैं श्री मैथ्यू टी थॉमस, जल संसाधन मंत्री, श्री कड़कमपल्ली सुरेंद्रन, पर्यटन मंत्री, श्री ओ राजगोपाल, एम पी, श्री जयकुमार, उप कुलपति मलयालम विश्वविद्यालय और प्रसिद्ध फिल्म निर्माता अडूर गोपालकृष्णन।
इस अवसर पर सद्गुरु ने कहा की उन्हें बताया गया हैं की केरल में 44 नदियां हैं जिनमे से कई नदियां सूखने की गंभीर अवस्था तक पहुंच गई थी लेकिन राज्य प्रशासन के प्रतिबद्ध प्रयासों से पिछले कुछ साल में कई नदियों को पुनर्जीवित किया गया है। यह दर्शाता है की ऐसा किया जा सकता है। सद्गुरु ने कहा कि "केरल को ईश्वर का अपना देश कहा जाता है इसकी हरियाली और जल स्रोतों के कारण" सद्गुरु ने स्पष्ट करते हुए कहा कि "हमें इस बात को सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए कह सकने की स्थिति में पहुंचना होगा"।
सभी गणमान्य अतिथियों ने खस के पौधे को पानी दिया। केरल में इस पौधे को शुभ माना जाता है।