पहली बार, अलग-अलग विचारधाराओं और मान्यताओं को मानने वाले राजनीतिक दल, एक मक़सद के लिए एक साथ आए, और वह मक़सद था - देश की नदियों का उद्धार, जो लगभग मरने की कगार पर पहुँच चुकी हैं।

राजनीतिक नेताओं के अलावा, बड़े स्तर के नौकरशाहों, फिल्मी सितारों, किसान-नेताओं, खेल जगत की हस्तियों, कलाकारों, पर्यावरणविदों, वैज्ञानिकों, कार्पोरेट जगत के सीईओ, उद्योगपतियों, कृषि विश्वविद्यालयों और कई दूसरे लोगों ने मिल कर अभियान को अपना सहयोग दिया, जिससे यह अभियान ज़बर्दस्त रूप से सफल हुआ।

तो ‘ऑन-रोड रैली’ या सड़क पर नदी अभियान के काफिले की यात्रा ख़त्म होने के बाद से, अब तक क्या हुआ है?

प्रधानमंत्री कार्यालय में उठाए गए कदम...

PMO

जब 2 अक्टूबर को, नई दिल्ली में रैली ख़त्म हुई, तो सद्गुरु ने आदरणीय प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी जी से भेंट की और उन्हें नदियों के पुनरुद्धार के लिए तैयार नीति का मसौदा पेश किया। प्रधानमंत्री कार्यालय ने कृषि मंत्रालयों के सचिवों, पर्यावरण तथा वन, जल संसाधन, ग्रामीण विकास तथा शहरी विकास के साथ मिल कर एक एक्जीक्यूटिव कमेटी का गठन किया और ऐसी योजना तैयार कर रही है, जिसके अनुसार सरकार राज्य व केंद्र स्तर पर इसमें हिस्सा लेगी।

नदी अभियान

ईशा फाउंडेशन इस पहली मीटिंग का हिस्सा रहा जिसमें रेकमेंडेशन(सुझावों) को पूरे विस्तार से पेश किया गया। इसके बाद, भारत सरकार के नीति आयोग ने दूसरे विशेषज्ञों के साथ मिल कर राय ली और फरवरी 2018 में अपनी रेकमेंडेशन प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंपी।

6 राज्य सरकारों का ईशा फाउंडेशन के साथ एमओयू

6 राज्य सरकारों का ईशा फाउंडेशन के साथ एमओयू

इसी बीच, रैली के दौरान व इसके बाद, ईशा फाउंडेशन ने भारत की 6 राज्य सरकारों -- महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, गुजरात, असम व छत्तीसगढ़ के साथ एमओयूज़(समझौता ज्ञापन) पर हस्ताक्षर किए ।

ईशा फाउंडेशन ने भारत की 6 राज्य सरकारों

महाराष्ट्र सरकार पूरे राज्य में पचास करोड़ पेड़ लगाने की योजना बना रही है और उसके साथ ही नदियों के आसपास की भूमि को ग्रीन कवर में बदलने पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा।

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महाराष्ट्र सरकार पूरे राज्य में पचास करोड़ पेड़ लगाने की योजना बना रही है

दूसरी तरफ़ कर्नाटक सरकार ने अपने राज्य में 25 करोड़ पेड़ लगाने का वादा किया है, जिसमें नदी तटों के क्षेत्रों पर विशेष फोकस रहेगा।
 

इसके अलावा, जल संसाधन मंत्रालय तथा गंगा रिजुवनेशन प्रोग्राम ने गंगा नदी के आसपास 10 करोड़ पेड़ लगाने की योजना बनाई है।

महाराष्ट्र में पहला पायलट प्रोजेक्ट

1 जुलाई 2017 को महाराष्ट्र सरकार के साथ पहला एमओयू साइन किया गया। राज्य में दो जिलों - यवतमाल व पुणे को पायलट प्रोजेक्ट को लागू करने के लिए चुना गया।

नवंबर 2017 से आरंभ करते हुए नदी अभियान (“रैली फ़ॉर रिवर्स”) का कोर ग्रूप सरकारी अधिकारियों, जाने-माने विशेषज्ञों तथा ऐग्रिकल्चर, हॉर्टिकल्चर, वाटरशेड, जीओलॉजी, और रिवर हाईड्रोलॉजी आदि क्षेत्रों के विशेषज्ञों के साथ मिल कर महाराष्ट्र में स्थानों का चुनाव कर रहा है। उसने दो पायलट प्राजेक्ट्स को कार्यरूप देने के लिए दो नदियों के पास के स्थान का चुनाव कर लिया है, जो हैं :

  1.  पश्चिमी महाराष्ट्र के पुणे जिले में भीम नदी के साथ-साथ साठ किलोमीटर का क्षेत्र।
  2. पूर्वी महाराष्ट्र में यवतमाल जिले में, वाघाड़ी नदी के साथ-साथ अस्सी किलोमीटर का क्षेत्र।

नदियों के पुनरुद्धार के नये तरीके

नदी अभियान टीम एक नई पहल पर काम कर रही है, जो सूखती नदियों को बचाने के मौजूदा तरीकों से थोड़ी अलग है।

ईशा फाउंडेशन ने महाराष्ट्र सरकार को, 7 मार्च को डीपीआर की रूपरेखा पेश की और जून के अंत तक, अंतिम दस्तावेज को मंजूरी के लिए जमा कर दिया जाएगा।
इस नई पहल में निम्नलिखित चीजों को आधार बनाया गया है:

  1. पीजीएच (प्रोजेक्ट ग्रीन हैंड) के ज़रिए पेड़ लगाने और तमिल नाडू में किसानों की आजीविका में सुधार लाने के काम का एक दशक(दस साल) लंबा अनुभव
  2. नदियों की दशा पर गहराई से अध्ययन
  3. नदियों से जुड़े लोग - जिनमें प्रमुख रूप से किसान और वनवासी शामिल हैं

वृक्षारोपण की मदद से, नदियों के स्रोत में सुधार के लिए की गई पहल से किसानों की आजीविका में सुधार पाया गया है।

इन सबको देखते हुए, ईशा फाउंडेशन विस्तार से एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर रही है, जिसमें कृषि व जलवायु की दशा, खेती के तौर पर लगाए जाने वाले पेड़ों का चुनाव, से लेकर फसलों की मार्केटिंग सहित क़ई दूसरे पहलुओं को भी शामिल किया जाएगा। बुनियादी तौर पर, सारा प्रोजेक्ट फारमर प्रोडयूसर आर्गेनाईजेशन(ऍफ़ पी ओ) की ओर से पूरा किया जाएगा, जो प्रोजेक्ट की आधारशिला है। ये सभी पहलू डीपीआर(डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) या विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट में तय किए जाएँगे।

ईशा फाउंडेशन ने महाराष्ट्र सरकार को, 7 मार्च को डीपीआर की रूपरेखा पेश की और जून के अंत तक, अंतिम दस्तावेज को मंजूरी के लिए जमा कर दिया जाएगा। मंजूरी आने के बाद ज़मीनी गतिविधियों को आरंभ किया जाएगा।

नदी अभियान स्वयंसेवकों द्वारा कर्नाटक में काम चालू किया गया

कर्नाटक सरकार के साथ नदी अभियान स्वयंसेवकों की मीटिंग हुई, ताकि कावेरी नदी बेसिन में एक पायलट प्रोजेक्ट को लागू करने की नीति के बारे में चर्चा हो सके।

इसके बाद, बाकी चार राज्यों में नदियों के पुररुद्धार कार्यक्रम में ईशा का रोल टेक्निकल पार्ट्नर के तौर पर रहेगा।
इस समय, नदियों को चुनने का काम चल रहा है। एक बार इसके पूरा होने के बाद, एक डीपीआर तैयार होगा और कर्नाटक के लिए भी वही कदम उठाए जाएँगे, जैसा महाराष्ट्र के लिए किया गया।

कर्नाटक बैंक ने कहा है कि वह नदी अभियान और कर्नाटक सरकार के साथ मिल कर, नदी को नया जीवन देने के लिए अपना पूरा सहयोग देगी। कर्नाटक बैंक पायलट प्रोजेक्ट के लिए तैयारी की फंडिंग कर रही है।

इसके बाद, बाकी चार राज्यों में नदियों के पुररुद्धार कार्यक्रम में ईशा का रोल टेक्निकल पार्ट्नर के तौर पर रहेगा।

सद्गुरु के आवाह्न पर भारी प्रतिक्रिया सामने आई

रैली के दौरान, सद्गुरु ने भारत के युवाओं का आह्वान किया

रैली के दौरान, सद्गुरु ने भारत के युवाओं का आह्वान किया था, कि वे प्रोजेक्ट को अपना सहयोग दें। सारे भारत से लगभग 6500 लोगों ने फ़ुलटाइम व पार्टटाइम स्वयंसेवियों के रूप में अपना नाम रजिस्टर किया था। टेलीफोन और निजी इंटरव्यू के कई चरणों के बाद, पहले सौ स्वयंसेवकों को चुना गया और जनवरी 2018 में उन्हें ईशा योग केंद्र में आने का निमंत्रण दिया गया। इन्हें ‘नदी वीर’ कहा गया, वे भारत के अलग-अलग पंद्रह राज्यों से आए हैं और भारत के पर्यावरण और जीवनरेखा को नया रूप देने के लिए पूरी तरह से समर्पित हैं।

नदीवीरों ने अगले तीन सालों तक फ़ुलटाइम स्वयंसेवकों की तरह प्रोजेक्ट से जुड़ने का संकल्प लिया है।

नदी वीरों ने अब तक क्या किया है?

nadi vera

नदी वीरों ने ईशा योग केंद्र में तीन सप्ताह के ओरियंटेशन प्रोग्राम में हिस्सा लिया, जिसके बाद प्रोजेक्ट से जुड़े तकनीकी पहलुओं के लिए ट्रेनिंग वर्कशॉप का आयोजन किया गया।

ट्रेनिंग प्रोग्राम का पहला चरण 30 अप्रैल को समाप्त हुआ और इसके बाद, नदी वीर उन सभी छह राज्यों में काम कर रहे हैं, जिनमें एमओयू(समझौता ज्ञापन) पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
ये स्वयंसेवक जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों से हैं इसलिए हमारा फोकस यही रहा कि उन्हें ज़रूरी जानकारी देने के साथ-साथ, प्रोजेक्ट से जुड़े अहम मसलों के बारे में उनके ज्ञान और क्षमता को बढ़ाया जा सके।

2 month training

इस दिशा में, नदी वीरों को पूरे भारत के राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों से मिलवाया गया। मिट्टी विज्ञान, ऐग्रिकल्चर, हॉर्टिकल्चर, कम्यूनिटी माइक्रो सिंचाई, वाटरशेड विकास, जीआइएस आधारित मॉनिटरिंग, रुरल डिवेलप्मेंट, नीति बनाने वाले, कृषि की मार्केटिंग करने वाले, ऑर्गैनिक फ़ार्मिंग, वृक्षों पर आधारित कृषि, पशु धन, हाईड्रोलॅाजी व दूसरे क्षेत्रों से रिसोर्स लीडर को बुलाया गया ताकि वे अपने-अपने क्षेत्र के अनुभव बाँट सकें।

Tamil Nadu Agriculture University

तमिलनाडू कृषि विश्वविद्यालय तथा फ़ॉरेस्ट कॉलेज एंड रिसर्च संस्थान ने भी इनमें से कुछ पहलुओं के लिए ट्रेनिंग पार्ट्नर के रूप में हिस्सा लिया। ट्रेनिंग प्रोग्राम का पहला चरण 30 अप्रैल को समाप्त हुआ और इसके बाद, नदी वीर उन सभी छह राज्यों में काम कर रहे हैं, जिनमें एमओयू(समझौता ज्ञापन) पर हस्ताक्षर किए गए हैं।