सद्‌गुरु

नदी अभियान के बारहवें दिन हैदराबाद कार्यक्रम में  टी आर एस पार्टी के सांसदों और गवर्नर इ एस एल नरसिम्हन ने हिस्सा लिया। इस कर्यक्रम के बाद सद्‌गुरु ने उर्दू अखबार द सिआसत डेली और सीओवीए द्वारा आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया। तेलंगाना राज्य के माननीय उप मुख्य मंत्री महमूद अली इस कार्यक्रम में मौजूद थे। देखते हैं कुछ झलकें

हैदराबाद ने इतने जोर-शोर से सद्गुरु का स्वागत किया कि सद्गुरु को उन्हें शांत कराना पड़ा। नदी अभियान का कार्यक्रम शहर के गचिबोव्ली स्टेडियम में हुआ। जिसमें बड़ी तादाद में लोग शामिल हुए। सभी लोग बड़े उत्साही और जोश में दिख रहे थे। सभी के जोश और उत्साह का परिचय उनकी तालियाँ और सीटियाँ दे रही थी।

थ्रीओर्य थ्रीओरी बैंड

जैसा कि हमेशा होता हैं साउंड्स ऑफ़ ईशा ने कार्यक्रम की शुरुआत की जिसके बाद फ्यूज़न बैंड थ्रीओरी और फिर सैंड आर्टिस्ट वेणुगोपाल ने अपने अपने कार्यक्रम पेश किए जिनसे वहाँ आए लोग उल्लासित हो गए। कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत से पहले गायिका स्मिथा ने बहुभाषीय गीत “नदी नदी” प्रस्तुत किया।

नदी अभियान : देखें लाइव – बारहवें दिन हुए हैदराबाद के कार्यक्रमों की झलकें साउंड्स ऑफ़ ईशा

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सबसे पहले बोलने वाले थे जैविक खेती करने वाले मशहूर किसान श्री जी नागरत्नम नायडू, उन्होंने कहा “मैं आप सब लोगो के प्रति नतमस्तक हूँ जिन्होंने नदी अभियान के लिए मिस्ड काल देकर वोट दिया।

आदरणीय गवर्नर श्री इ एस एल नरसिम्हन ने कहा कि “ इन दो राज्यों आंध्र प्रदेश और तेलंगाना ने अपने अस्तित्व में आने के 39 महीनो में ही पानी बचाने का बहूत बड़ा काम किया हैं। उन्होंने सद्गुरु को विश्वास दिलाया की सद्गुरु का सपना सबसे पहले इन दोनों राज्यों में ही पूरा होगा।
हम सद्गुरु का सहयोग करते हैं जिन्होंने इस योजना को आरम्भ किया और हमें हमारे जीवन में ये रास्ता दिखाया, नदी अभियान किसी एक व्यक्ति की ज़िम्मेदारी नहीं हैं - ये हर एक की ज़िम्मेदारी है ”

टीआरएस पार्टी के सांसद श्री के केशव राव और के विश्वेश्वर राव ने अभियान का हैदराबाद में स्वागत किया.. तेलंगाना राज्य के सिंचाई, विपणन और विधायी कार्य मंत्री श्री हरीश राव ने बोलते हुआ कहा कि देश में नदियों के पुनर्जीवन और कायाकल्प के लिए सद्गुरु ने कन्याकुमारी से हिमालय तक का अभियान शुरू किया है। आज उन्होंने सभी राजनैतिक पार्टियों, राज्य सरकारों, राजनेताओ और लोगो को प्रेरित किया हैं और वे संपूर्ण राष्ट्र को एक साथ लाये हैं। मैं इस देश के नागरिक के नाते सद्गुरु को प्रणाम करता हूँ.. मैं तेलंगाना राज्य की और से यह विश्वास दिलाता हूँ की सरकार हमारी नदियों को बचाने के लिए हाथ मिलाने को तैयार हैं। मुझे भरोसा हैं इस अभियान से एक राष्ट्रीय नीति बनाने में मदद मिलेगी।

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के सबसे आगे होना का भरोसा दिलाया

आदरणीय गवर्नर श्री इ एस एल नरसिम्हन ने कहा कि “ इन दो राज्यों आंध्र प्रदेश और तेलंगाना ने अपने अस्तित्व में आने के 39 महीनो में ही पानी बचाने का बहूत बड़ा काम किया हैं। उन्होंने सद्गुरु को विश्वास दिलाया की सद्गुरु का सपना सबसे पहले इन दोनों राज्यों में ही पूरा होगा।

सद्गुरु ने अपने भाषण में कहा की “मैं यह सुनकर बहूत खुश हूँ की तेलंगाना पहले ही सही दिशा की और मुड़ गया है। और अब बस विज्ञान और राजनीती को मिलना है। सद्गुरु ने मंत्री जी को कहा कि ईशा को सरकार के साथ काम करने में बड़ी प्रसन्नता होगी वे इस बात को सुनिश्चित करेंगे की जो भी उपाय किये जा रहे हैं वे वैज्ञानिक आधार पर ही हों।

सद्‌गुरु की हैदराबाद से जुड़ी यादें

मैं 30 साल पहले हैदराबाद शहर में चारों ओर सवारी करता था। मेरे पास इस शहर की अच्छी यादें हैं लेकिन, यातायात और जिस तरह से सड़कों की दशा थी, वह शायद देश में सबसे खराब स्थिति में थी।

उस समय मैं आई. एस. डी. रोड किंग 250 सी.सी. की सवारी करता था। उन दिनों में यह सबसे अच्छी मानी जाती थी। लेकिन कल सुबह मुझे लगता है कि मैं एक बेहतर मोटरसाइकिल चलाऊंगा।
लेकिन आज, हैदराबाद शहर पूरी तरह से तब्दील हो गया है और बेहद सुंदर, हरा-भरा और अच्छी तरह से संगठित है। उन सभी लोगों को सलाम करता हूं जिन्होंने इस बदलाव के लिए मेहनत की। मैं चाहता हूं युवा पीढ़ी यह जाने कि पिछले 30 सालों में इस शहर ने कितना परिवर्तन हासिल किया है। इस शहर में अब जो उपलब्ध है कृपया इसकी सराहना करें और आनंद लें। इस खिड़की से यह शहर बेहद अच्छा लग रहा है। लेकिन कल एक बार फिर मैं 33 साल बाद मोटरसाइकिल पर सवारी करने जा रहा हूं। उस समय मैं आई. एस. डी. रोड किंग 250 सी.सी. की सवारी करता था। उन दिनों में यह सबसे अच्छी मानी जाती थी। लेकिन कल सुबह मुझे लगता है कि मैं एक बेहतर मोटरसाइकिल चलाऊंगा। मैं हैदराबाद बाइकर्स के साथ सवारी करने के लिए तत्पर हूं।

भूतपूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम का संदेश देखा गया

सीओविए के मज़हर हुसैन ने सद्‌गुरु का कार्यक्रम में यह कहते हुए स्वागत किया कि "हमने आपको एक सभा के लिए बुलाया था पर अब यह एक मिशन बन गया है"।
ईशा के वीडियो के बाद एक स्लाइड शो हुआ जिसे भूतपूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम ने बनाया था. "2070 - ए प्रेज़ेंटेशन बाय अब्दुल कलाम"।

यह एक बुज़ुर्ग व्यक्ति द्वारा लिखा गया एक पत्र था, जिसमें वे उस वक्त की दुनिया को याद कर रहा है, जब वह जवान था, मूलतः यह एक वर्णन था जिसमे बयां किया गया की बिना पानी के दुनिया कैसी होगी, रोग और कई सारी अन्य समस्याएं होंगी क्योकि उस समय की पीढ़ियों ने परिस्तिथी को सुधारने के लिए और धरती को ठीक करने के लिए उचित कदम नहीं उठाए थे।

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सभी से जुड़ने का आह्वान 

मौलाना सादिक़ मोहिउद्दीन फहीम ने कुरान की शिक्षाओं का उदाहरण देते हुए कहा “खुदा के सारे तौहफों में से पानी भी एक है जो उसने पृथ्वी पर जीवन के लिए दिए हैं। जीवन के हर रूप का आधार पानी है। धरती अक दो-तिहाई हिस्सा पानी है। हमें इसका मूल्य समझना चाहिए और इसकी इज़्ज़त करनी चाहिए। बिना वज़ू के हम नमाज़ भी अता नहीं कर सकते हैं”। उन्होंने नदी अभियान के लिए सद्‌गुरु को धन्यवाद दिया और मुस्लिम समाज को संबोधित करते हुए कहा हमे इसमें शामिल होना चाहिए और जो बन सके वह करना चाहिए । हम भविष्य की पीढ़ियों के प्रति ज़िम्मेदार हैं ।

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तेलंगाना के उप मुख्यमंत्री महमूद अली ने सद्‌गुरु से वादा किया कि वे इस अभियान के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चलेंगे और जो भी ज़रूरी होगा वह करेंगे ।

सभी राज्यों की सहमति से मिलेगी मदद

सद्‌गुरु ने नदी अभियान के विचार के पीछे की रूपरेखा बताते हुए कहा “चाहे आप नमाज़ करैं या भजन गाए या ध्यान में बैठ. अगर आप पानी पीते हैं तो आपको नदी अभियान से जुड़ना चाहिए।”

सभी राज्यों की सहमति के सन्दर्भ में उन्होंने कहा कि एक बड़ी बाधा पार हो गयी है क्योंकि लोग सभी राजनैतिक संबंधो से ऊपर उठकर इकट्ठे हुए हैं, और ऐसा तब हुआ है जब इसकी सबसे ज़्यादा ज़रुरत थी।
  उन्होंने कहा कि “दो अक्टूबर के बाद नीति दस्तावेज़ को मुस्लिम समाज में भी प्रचारित कर दिया जाएगा। अगर उन्हें कुछ जोड़ना है या सलाह देनी है तो ऐसा करने के लिए उनका स्वागत है।
तेलंगाना राज्य के प्रयासों का जवाब देते हुए सद्गुरु ने कहा की भारत जैसे उष्णकटीबंधीय या ट्रॉपिकल देश के लिए बाँध अच्छा विचार नहीं है, क्योंकि यहाँ तापमान पचास डिग्री तक पहुँच जाता हैं और 80 प्रतिशत तक पानी भाप से नष्ट हो जाता है। पानी को खुले में संचित करने का कोई मतलब नहीं है, नदी को सुखाना है, उन्होंने पूछा। परन्तु वे छोटे पोखर और तालाबो के चारों तरफ हरियाली के साथ उनके पुनर्जीवन की योजना पर सहमत थे।

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सभी राज्यों की सहमति के सन्दर्भ में उन्होंने कहा कि एक बड़ी बाधा पार हो गयी है क्योंकि लोग सभी राजनैतिक संबंधो से ऊपर उठकर इकट्ठे हुए हैं, और ऐसा तब हुआ है जब इसकी सबसे ज़्यादा ज़रुरत थी।