ईशा लहर नवम्बर 2016 - भूत-प्रेत : सच्चाई या भ्रम?
हम सभी ने बचपन के दिनों से ही भूत प्रेत की कई कहानियाँ सुनी हैं। क्या सच में भूत प्रेतों का अस्तित्व होता है? क्या मृत्यु के बाद लोग भटकते हैं? जानते हैं इस माह की ईशा लहर से। आइये पढ़ते हैं इस माह का सम्पादकीय स्तंभ
कॉलेज के मित्र से मुलाक़ात
वो बचपन के दिन थे। भूत-प्रेत की कथाओं में तब हमारी जबर्दस्त दिलचस्पी होती थी। ऐसी कथाएं सुनते-सुनते कई बार हमारे दिल की धड़कन तेज हो जाती, सांसें अटक जातीं और मन कौतूहल व विस्मय से भर जाता। वो कहानी मेरी स्मृति में आज भी उतनी ही ताजी है ...। दशकों पहले, हमारे स्कूल के एक शिक्षक अपने पड़ोसी, आनंद की कहानी हमें सुना रहे थे: ‘‘कॉलेज की पढ़ाई के दौरान लोकेश और आनंद बहुत करीबी मित्र थे।
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छह महीने के बाद आनंद को नीलम का एक पत्र मिला, जिसमें लोकेश की आकस्मिक मृत्यु की खबर थी। पत्र में नीलम ने आनंद से जल्दी ही श्रीनगर आने का आग्रह किया था। लेकिन अपनी घर-गृहस्थी में बहुत व्यस्त होने के कारण आनंद को नीलम के घर श्रीनगर पहुंचने में कुछ महीनों का वक्त लग गया।
फिर नीलम से हुई मुलाकात
वह जगह वीरान थी, घर के मुख्य द्वार पर एक बड़ा ताला लटका था। निराश होकर आनंद लौटने ही वाला था कि उसे नीलम की आवाज सुनाई दी। वह उस आवाज का पीछा करता घर के पिछले दरवाजे पर पहुंचा। वहां नीलम खूब सज-धज कर खड़ी थी। नीलम ने आनंद को घर के अंदर बुलाया। उसने आनंद को अपने सोने के कमरे में सोफे पर बैठाया और खुद पलंग पर बैठकर जोर-जोर से हंसने लगी। वह पागलों की तरह हंस रही थी।
लेकिन घर लौटते हुए मेरे मन में प्रश्नों की झड़ी लग गई: क्या वाकई भूत-प्रेत होते हैं? क्या भूत खतरनाक होते हैं? कैसे निकलें भूत के डर से?... विश्वास और अंधविश्वास के बीच झूलते कुछ ऐसे सवाल हमेशा से तार्किक मन को परेशान करते रहे हैं। कुछ ऐसी ही गुत्थियों को सुलझाने की हमने कोशिश की है इस अंक में। उम्मीद है यह अंक भूत-प्रेत की दुनिया से आपका एक बेहतर परिचय कराने में सहायक होगा। तो आइए मिलिए इन कायाहीन प्राणियों से . . .
-डॉ सरस
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