ईशा लहर का अगस्त अंक देश के विकास से जुड़े अनेक पहलूओं पर प्रकाश डालता है। सद्‌गुरु बता रहे हैं कि देश महान सिर्फ सड़कों के कारण नहीं बनता। देश यहाँ रहने वाले लोगों के कारण महान बनता है, और हमें इसके लिए मानव विकास में निवेश करना होगा।

हमारा देश बेशक विकास के मार्ग पर अग्रसर है। हम तरक्की की नित नई राहें तलाश रहे हैं, पर साथ ही हम कई तरह की समस्याओं से भी जूझ रहे हैं। इन्हीं समस्याओं में से एक या कहें कई समस्याओं के मूल में है - हमारी विशाल जनसंख्या। सवा सौ करोड़ लोग हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ा वरदान साबित हो सकते थे, पर असल में यह विशाल जनसंख्या एक अभिशाप बन कर रह गई है। आखिर ऐसा हुआ क्यों?

निरक्षरता और कौशल का अभाव

अगर हम गौर करें तो इसके दो प्रमुख कारण नजर आते हैं - पहला है निरक्षरता और दूसरा है साक्षर लोगों में कौशल व प्रशिक्षण का अभाव।

भारत की एक चौथाई आबादी निरक्षर है, यानी लगभग तैंतीस करोड़ लोग देश निर्माण की प्रक्रिया में खुलकर हिस्सा नहीं ले सकते। और जो साक्षर लोग हैं उनमें हुनर व कौशल का जबर्दस्त अभाव है। तथाकथित शिक्षित लोगों की एक बहुत बड़ी संख्या कारगर ढंग से कार्य करने में सक्षम नहीं हैं, क्योंकि उनमें पर्याप्त कौशल नहीं है।

Subscribe

Get weekly updates on the latest blogs via newsletters right in your mailbox.

एक तरफ देश बेरोजगारी की विभीषिका से जूझ रहा है तो दूसरी तरफ हर जगह, हर कार्यक्षेत्र व विभाग में मानव संसाधन की भारी कमी है - यह वाकई हैरान करने वाली बात है। चाहे वो प्रधानमंत्री का मंत्रिमंडल हो या कॉरपोरेट क्षेत्र के बड़े पद, सरकारी कार्यालयों में चाहे पदाधिकारी का पद हो या क्लर्क का, घरेलू कार्यों के लिए बढ़ई की जरुरत हो या बाई की - हर जगह बड़ी संख्या में स्थान खाली हैं, हर क्षेत्र में हुनरमंद व काबिल लोगों का जबर्दस्त अभाव है।

शिक्षा व्यवस्था में बदलाव की जरुरत

यह एक दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थिति है कि देश के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का एक बहुत बड़ा हिस्सा हम देश की सुरक्षा पर खर्च करने के लिए विवश हैं।

अगर हम अगले 15-20 सालों में देश की एक बड़ी आबादी को शिक्षित व हुनरमंद नहीं बना पाए, तो हमारी ये विशाल आबादी निश्चित रूप से हमारे लिए एक बड़ी त्रासदी साबित होगी।
नतीजतन हम शिक्षा, स्वास्थ्य और मानव कौशल जैसे अहम पहलुओं के विकास को ठीक तरह से संबोधित नहीं कर पाते। और इससे भी अधिक दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि जो छोटी सी रकम इन अहम पहलुओं पर व्यय के लिए आवंटित की जाती है, उसे भी हम मानव संसाधन के अभाव के कारण पूरी तरह से खर्च नहीं कर पाते।

एक विकसित और सफल देश का निर्माण कई घटकों पर निर्भर करता है। सबसे महत्वपूर्ण घटक यह है कि हम सिर्फ साक्षर ही नहीं, बल्कि शिक्षित, हुनरमंद और सबसे बढक़र आनंदमय इंसान बनाएं। इसके लिए शिक्षा व्यवस्था में भी बहुत बड़े बदलाव की जरुरत है। लेकिन यह सब करने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की नहीं है, इसका जिम्मा हर भारतीय को लेना होगा और राष्ट्र निर्माण में पूरी तन्मयता से हिस्सा लेना होगा। अगर हम अगले 15-20 सालों में देश की एक बड़ी आबादी को शिक्षित व हुनरमंद नहीं बना पाए, तो हमारी ये विशाल आबादी निश्चित रूप से हमारे लिए एक बड़ी त्रासदी साबित होगी।

आजादी की इस वर्षगांठ पर हमने उन सभी पहलुओं पर गौर करने की कोशिश की है, जो एक राष्ट्र का निर्माण करते हैं। इस बार के अंक में स्थाई स्तंभों के अतिरिक्त ‘देश’ को विशेष स्थान देने की हमारी कोशिश आपको कैसी लगी हमें जरुर बताइएगा। राष्ट्र के विकास में आपके बहुमूल्य योगदान की अपेक्षाओं के साथ समर्पित है आपको यह अंक। जय हिंद।

– डॉ सरस

ईशा लहर प्रिंट सब्सक्रिप्शन के लिए इस लिंक पर जाएं

ईशा लहर डाउनलोड करने के लिए इस लिंक पर जाएं