45 मिनट खड़े रहे मौत के द्वार पर
‘‘यह बात साल 2003 की है। मैं कारोबार के सिलसिले में सेल्स-टैक्स ऑफिसर से मिलने के लिए चेन्नई गया था। मैं एक रात के लिए एक लॉज में रुका था। सुबह 5.30 बजे मैं गुरु पूजा कर रहा था, तभी अचानक मुझे तेज पसीना आने लगा और छाती के बाएं हिस्से में बहुत कड़ापन और दर्द महसूस होने लगा। मैंने गुरु पूजा समाप्त होते ही अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को फोन करने की कोशिश की मगर हर कोई सोया हुआ था। मैं फर्श पर गिर पड़ा और मेरे हाथ-पैर सख्त होकर ऐंठने लगे। लेकिन किसी तरह से मैं उस स्थिति में अपनी सांस पर ध्यान देने लगा। 45 मिनट तक पड़े-पड़े अपनी सांस पर ध्यान देने के बाद मेरा दर्द पूरी तरह चला गया और मैं बिल्कुल सामान्य हो गया। मैं इस तरह खड़ा हो गया मानो मैं नींद से जागा हूं, कोई सपना देखा हो।
इनर इंजीनियरिंग क्या एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है? क्या इसे करने का मतलब एक खास तरह के धर्म या पंथ से जुड़ना है? क्या है ये इनर इंजीनियरिंग और क्या पा सकते हैं आप इससे? (पढ़िए और जानिए)
इनर इंजीनियरिंग : जीवन को खुशहाल बनाने की तकनीक
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थोड़ी ही देर में मैं चेन्नई की सडक़ों पर घूम रहा था। मैंने नाश्ते में स्वादिष्ट पूरी खाई, सेल्स टैक्स ऑफिसर से मिला और उसी दिन इरोड लौट आया। बाद में मैंने इस घटना के बारे में अधिक नहीं सोचा। लेकिन कुछ दिन बाद मैंने अपने डेंटिस्ट को यह बात बताई तो उसने मुझे तुरंत कार्डियोलॉजिस्ट से मिलने और कुछ टेस्ट करवाने का सुझाव दिया।
मै कोयंबटूर में एक कार्डियोलॉजिस्ट के पास गया। टेस्ट करवाने पर पता चला कि मेरी तीन रक्त वाहिकाएं नसें इस हद तक ब्लॉक हो चुकी थीं कि मुझे तुरंत बाईपास सर्जरी करवाने की जरूरत थी। मैंने उनसे कहा कि मैं इस तरह की चीर-फाड़ करवाने से पहले अपने गुरु से परामर्श करना चाहता हूं। मगर वे उपचार पूरा किए बिना मुझे अस्पताल से छोडऩे के लिए तैयार नहीं थे। कोयंबटूर के केजी अस्पताल के डॉ जे के पेरियासामी ने कहा, ‘आध्यात्मिकता को विज्ञान के साथ मत मिलाइए।’ मगर मैं किसी भी तरह का निर्णय लेने से पहले सद्गुरु से मिलने के फैसले पर अटल था। इसलिए मैं एक डिस्क्लेमर साइन करके आश्रम आ गया। सद्गुरु तुरंत मुझसे मिले और मेरी रिपोर्टों देखने के बाद पूछा, ‘आपने अपनी क्रियाएं क्यों छोड़ दी थीं?’ फिर उन्होंने मुझे कुछ क्रियाएं, आहार के साथ एक खास दिनचर्या पर चलने की हिदायत दी और एक महीने तक आश्रम में रहने के लिए कहा। इससे मुझे काफी लाभ हुआ।
सद्गुरु द्वारा रचे गए ईशा योग में मूल कार्यक्रम को ‘इनर इंजिनियरिंग’ कहा जाता है। वैज्ञानिक रूप से तैयार किया गयायह कार्यक्रम,उत्तम शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य और शक्ति बनाये रखने में हमारी मदद करता है। (पढ़िए और जानिए)
आध्यात्मिक खोज – इनर इंजीनियरिंग करने से पहले मैं साठ प्रतिशत मरी हुई थी
अस्पताल में रहते हुए मुझे दो-चार सीढिय़ां चढऩे की भी इजाजत नहीं थी, मगर यहां एक महीने के भीतर मैंने सद्गुरु के साथ ‘वेलिंगिरि के पांचवे हिल्स’ की चढ़ाई की। फिर जब मैं डॉक्टर के पास गया तो मुझे बेहतर हालत में देखकर डॉक्टर हैरान रह गए। लेकिन तसल्ली करने के लिए उन्होंने मेरे कुछ टेस्ट करवाए। अब मेरी नसों में कोई ब्लॉकेज नहीं था। इसके तुरंत बाद के.जी अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. जे.के पेरियासामी और एक और डॉक्टर ने सद्गुरु के साथ इनर इंजीनियरिंग प्रोग्राम में दाखिला ले लिया।’’