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“पिछले एक महीने के ज़मीनी प्रचार के दौरान, सैकड़ों वाहन चालकों ने मुझे कावेरी पुकारे का पोस्टर पकड़कर ट्रैफिक के बीच खड़े होने के लिए धन्यवाद दिया। लेकिन कल, एक बहुत ही सुन्दर घटना हुई, जिसकी मैंने उम्मीद नहीं की थी।

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मैं कोऑर्डिनेट कर रहा था, और हम बेंगलुरु के चलुक्या सर्किल पर मोटरसाइकिल रैली का इंतज़ार कर रहे थे। जब मैंने मोटरसाइकिलें अपनी ओर आती देखीं तो मुझे ऐसा महसूस हुआ, कि कावेरी मेरे भीतर ही है और मदद के लिए पुकार रही है। मैंने ऊँची आवाज़ में नदी स्तुति गाना शुरू कर दी। सद्‌गुरु ने मेरी तीव्रता को देखा और सिर हिला कर उसका उत्तर दिया। मैं अपनी भावनाओं को नहीं संभाल पाया, और अगले दस मिनट तक मेरी आँखों से आंसूं बहते रहे।

मैं कावेरी पुकारे का धन्यवाद देना चाहूँगा, क्योंकि इसने मुझे एक अनिच्छुक व्यक्ति से एक इच्छुक व्यक्ति बना दिया। - गौरव, कावेरी पुकारे स्वयंसेवक, बेंगलुरु

क्या पानी की कमी से हत्याएं होने लगेंगी?

भारत में पानी की इतनी कमी हो गई है, कि पानी के मुद्दे पर हत्याएं हो चुकी हैं। क्या इस स्थिति को पलटने का कोई तरीका है, या फिर ये भविष्य में और बुरी होती जाएगी?

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