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Wisdom
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दुःख और आनंद, दोनों ही आपके मन में निर्मित होते हैं।
जो काम आप अचेतन होकर करते हैं, वही काम आप सचेतन भी कर सकते हैं। अज्ञानता और आत्मज्ञान के बीच बस यही फर्क है।
मन एक पागलपन है; जब आप मन से परे चले जाते हैं तभी ध्यान घटित होता है।
योग का मतलब है अपने व्यक्तित्व की सीमाओं को मिटाकर ब्रह्मांड के साथ एकत्व का अनुभव करना।
यह सृष्टि मनुष्य-केंद्रित नहीं है। आप इस ब्रह्मांड में एक छोटे से कण मात्र हैं।
किसी भी व्यक्ति या वस्तु के प्रति आपका कोई दायित्व नहीं है। यदि आपके भीतर प्रेम और परवाह की भावना है, तो आप वही करेंगे जो जरूरी है।
हमें सत्य के रूप में किसी सत्ता की जरूरत नहीं हैl सत्य ही एकमात्र सत्ता है।
निष्कर्ष आपको बिना स्पष्टता के आत्मविश्वास देता है। बिना स्पष्टता के आत्मविश्वास का होना विनाशकारी होता है।