गायिका

सद्‌गुरु : मेरी माँ एक बहुत अच्छी गायिका थीं और वे वीणा बजाती थीं। वे हमेशा गाती रहतीं। हालाँकि वे अपने-आपको किसी पर थोपना पसंद नहीं करती थीं पर जब भी कोई पूछता, ”क्या कोई गा सकता है?“ तो आप उन्हें गाते हुए सुन सकते थे। भारत में, टेप रिकाॅर्डर और सीडी प्लेयर आने से पहले, यह एक सामान्य सी बात थी। अगर कोई गाना गा सकता था, तो इसे बहुत अनमोल देन माना जाता था। तो केवल एक आग्रह के बाद ही, वे बेहिचक गाने लगतीं। अगर लोग सुनना चाहते तो वे उनके लिए गातीं, अगर कोई आसपास न होता, तो वे हमेशा ही गाती रहतीं।