बारीकियों पर ध्यान देने से खुलती हैं आध्यात्मिक संभावनाएं
सद्गुरु ध्यान देने की अहमियत पर जोर देते हैं और कहते हैं कि हमें अपनी ध्यान देने की क्षमता को चरम पर पहुंचाना चाहिए।
बारीकियों पर ध्यान
“व्यक्तिगत जीवन का सुंदर या मामूली होना इस बात पर निर्भर करता है कि आप अपने जीवन की बारीकियों पर कितना ध्यान देने को तैयार हैं। यही योग है। कैसे उठना है, कैसे बैठना है, कैसे श्वास लेनी है, सब कुछ कैसे करना है, आपके दिल को कैसे धड़कना चाहिए, आपके भीतर के जीवन को कैसे स्पंदित होना चाहिए - जब आप हर चीज़ पर ध्यान देते हैं, तो आप योग कर रहे हैं।”
– सद्गुरु
ध्यान दें!
सद्गुरु: कोई व्यक्ति रहस्यदर्शी है और कोई नहीं है, इसकी इकलौती वजह केवल ध्यान ही है। कोई कलाकार है, कोई नहीं है। क्यों? ध्यान की कमी। कोई सीधा निशाना लगा सकता है और कोई नहीं लगा सकता। क्यों? ध्यान की कमी। सादी से ले कर ऊँची बातों तक, यह केवल ध्यान का अभाव है।
ऐसा नहीं है कि आप इस समय ध्यान के जिस भी स्तर पर हैं, केवल उतना ही संभव है। इसके अलावा और भी बहुत कुछ है, परंतु वो अव्यक्त स्थति में है, अब भी बहुत कुछ ऐसा है जिस तक आपकी पहुँच नहीं है। तो कम से कम आप उतना ध्यान दें, जितना आप दे सकते हैं। परंतु आपकी मानसिक सजगता के मामले में भी, आप जीवन के अलग-अलग पड़ावों में, दिन के अलग-अलग पर, ध्यान के अलग-अलग स्तर में होते हैं। अगर आप काम कर रहे होंगे तो आप ध्यान के अलग स्तर में होंगे। अगर आप ध्यान लगा रहे होंगे तो आप ध्यान के अलग स्तर में होंगे। अगर आप कुछ ऐसा खा रहे हों जो आपको बहुत पसंद है, तो आप ध्यान के अलग स्तर में होंगे। अलग-अलग समय पर आपके ध्यान के स्तर अलग होते हैं, और आपने जीवन में जो ध्यान का उच्चमत शिखर जाना है, वो भी ध्यान का परम स्तर नहीं है। उससे कहीं ज्यादा ऊंची ध्यान की अवस्था तक आप पहुँच सकते हैं।
कुछ वर्ष पूर्व, मैं कुछ लोगों के दल को अपने साथ सुब्रमण्यन और मंगलौर के बीच बनी रेलवे पटरी पर ट्रैक के लिए ले गया। इस रास्ते में 300 पुल और 100 सुरंगें आती हैं। आप लगभग हमेशा किसी एक पुल पर या सुरंग के अंदर होते हैं और यह वास्तव में बहुत सुंदर पहाड़ है। कुछ सुरंगें तो एक किलोमीटर से ज्यादा लंबी हैं। दिन में भी गहरा अंधेरा बना रहता है। आप अपने ही हाथ को नहीं देख सकते। बहुत से लोग ऐसे स्थानों पर कहीं गए भी नहीं होंगे क्योंकि आपको हमेशा रोशनी में रहने की आदत रही है। सितारों की रोशनी में भी आपको कुछ दिखाई पड़ने का अनुभव होता है, पर उन सुरंगों में, कुछ देर बाद आंखें खुलीं हों या बंद, कोई अंतर नहीं पड़ता क्योंकि इतना ज्यादा अंधेरा होता है।
मैंने उनसे कहा कि वे टॉर्च के बिना उन सुरंगों से निकलें। आरंभ में लोग डरे पर कुछ देर बाद वे आराम से चलने लगे और उस अनुभव का पूरा आनंद लिया। अगर आप किसी ऐसे स्थान में हों तो आपका ध्यान गहरा हो जाता हे। अगर आप जीवन के हर क्षण में अपने ध्यान को ऐसे ही सजग रख सकें तो आप चमक उठेंगे। आप सही मायनों में चमक उठेंगे।
आश्रम में, मैं लगातार लोगों को कहता हूँ कि वे छोटी-छोटी बातों पर ध्यान दें। यह सिर्फ किसी स्थान की सफाई या सुंदरता से जुड़ी बात नहीं है। यह हर छोटी चीज पर पूरा ध्यान देने की बात है।
आश्रम में, मैं लगातार लोगों को कहता हूँ कि वे छोटी-छोटी बातों पर ध्यान दें। यह सिर्फ किसी स्थान की सफाई या सुंदरता से जुड़ी बात नहीं है। यह हर छोटी चीज पर पूरा ध्यान देने की बात है। अगर एक कंकड़ पलट जाए, तो आपका ध्यान उस पर जाना चाहिए। बात कंकड़ की नहीं है, बात ये है कि आप ध्यान दे रहे हैं। अगर आप इस ध्यान देने की क्षमता को ऊंचा उठाएं, अगर आप ध्यान देने की ऊंची अवस्था पाना सीख लें, तो हम आपको ये सिखा सकते हैं कि अपने भीतर किन चीज़ों पर ध्यान देना चाहिए, और किन चीज़ों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। हम ऐसे तरीके सिखा सकते हैं।
अगर आप हर चीज पर पूरा ध्यान देने लगें, तो हम उस सजगता का उपयोग करने पर विचार कर सकते हैं। आध्यात्मिकता तभी संभव हुई क्योंकि आपने जीवन के प्रति ध्यान दिया और आपने देखा कि आप नहीं जानते कि इसका आरंभ और अंत कहाँ है। आप हर काम को ऐसे कर रहे हैं मानो यही जीवन का आरंभ और यही अंत है। जिस क्षण में आप थोड़ा सा ध्यान देते हैं तो आप समझ जाते हैं, “ये असली चीज़ नहीं है”।
तो कुछ आध्यात्मिक विचार करने का पहला चरण भी आप तक इसलिए ही आता है क्योंकि आप ध्यान के एक निश्चित स्तर पर हैं। अगर आप हर चीज पर और ज्यादा ध्यान देंगे, अगर आप ध्यानशील रहने की योग्यता को और बढ़ा सकें, तो आप इसे करिश्माई तरीके से प्रयोग में ला सकते हैं।