प्रश्नकर्ता: शाकाहारी भोजन खाने के क्या फ़ायदे हैं? कोई व्यक्ति अपने जीवन में इसे आसानी से कैसे अपना सकता है?

सदगुरु: आप किस प्रकार का खाना खाते हैं, यह इस बात पर निर्भर नहीं होना चाहिये कि आप उसके बारे में क्या सोचते हैं, न ही यह आप के मूल्यों या नैतिकताओं पर निर्भर होना चाहिये। बल्कि इसका आधार ये होना चाहिये कि आप का शरीर क्या चाहता है! भोजन का संबंध शरीर से है। जब बात भोजन की हो तो अपने डॉक्टर या भोजन विशेषज्ञ से मत पूछिये क्योंकि ये लोग हर 5 वर्षों में अपनी राय बदलते रहते हैं। जब बात भोजन की आती है तो अपने शरीर से पूछिये कि किस प्रकार के भोजन से ये वाकई खुश है? अलग - अलग प्रकार के भोजन खाईये और देखिये कि एक तरह का खाना खाने के बाद आप के शरीर को कैसा महसूस होता है? यदि आप का शरीर बहुत सजग, ऊर्जा से भरा हुआ और अच्छा महसूस करता है, तो इसका मतलब है कि शरीर खुश है। अगर शरीर को आलस महसूस होता है, और उसको जगाये रखने के लिये चाय, कॉफी या सिगरेट वग़ैरह की ज़रूरत पड़ती है तो इसका मतलब है कि शरीर खुश नहीं है, है कि नहीं?

आप अगर अपने शरीर की बात सुनते हैं तो ये आप को साफ़ तौर पर बतायेगा कि वह किस तरह के भोजन से खुश है। पर अभी तो आप अपने मन की बात सुन रहे हैं। आप का मन आप से हर समय झूठ बोलता रहता है। क्या पहले भी इसने आप से झूठ नहीं बोला है? आज ये आप से कहेगा, "ये अच्छा है" और कल आप को ये ऐसा महसूस करा देगा कि आप बिलकुल मूर्ख थे जो आपने उस बात पर विश्वास कर लिया था। तो अपने मन की बात न सुनिये, आप को अपने शरीर की बात सुनना सीखना होगा।

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हर पशु, हर प्राणी जानता है कि उसे क्या खाना चाहिये और क्या नहीं? इस धरती पर मनुष्य को सबसे ज्यादा बुद्धिमान प्राणी माना जाता है पर वे ये भी नहीं जानते कि उन्हें क्या खाना चाहिये? कैसे रहना है, ये तो छोड़िये, मनुष्य ये भी नहीं जानते कि उन्हें क्या खाना चाहिये? इसीलिए आप में थोड़ा ध्यान और थोड़ी समझदारी होनी चाहिये, जिससे आप अपने शरीर की बात सुनना सीख सकें। जब आप के पास ये होगा तब ही आप जान पायेंगे कि आप को क्या खाना चाहिये और क्या नहीं?

थोड़ा प्रयोग कीजिये और देखिये, कि जब आप शाकाहारी भोजन को जब उसके जीवित रूप में लेते हैं, तो ये कितना अंतर ला देता है!

आप के शरीर के अंदर जो खाना जा रहा है, उसके गुणों की बात करें तो आप के शरीर के लिये, निश्चित रूप से मांसाहारी भोजन की अपेक्षा शाकाहारी भोजन बेहतर है। हम इसको किसी नैतिकता के पैमाने से नहीं देख रहे। हम सिर्फ इस दृष्टि से देख रहे हैं कि हमारी शारीरिक व्यवस्था के लिये क्या अनुकूल है - हम वो चीजें खाना चाहेंगे जो हमारे शरीर को आराम में रखे। आप अपना कारोबार सही ढंग से करना चाहते हों, या पढ़ाई, या अन्य कोई गतिविधि करना चाहें, तो यह बहुत ज़रूरी है कि आप का शरीर आरामदायक अवस्था में हो। तो हमें उस प्रकार का भोजन करना चाहिये जिससे शरीर आराम में रहे और उसे भोजन से पोषण लेने में संघर्ष ना करना पड़े।

शाकाहारी कैसे बनें

थोड़ा प्रयोग कीजिये और देखिये, कि जब आप शाकाहारी भोजन को जब उसके जीवित रूप में लेते हैं, तो ये कितना अंतर ला देता है! आईडिया यह है कि हम जितना हो सके, ज्यादा से ज्यादा भोजन उसके जीवित रूप में लें - जो भी उसके जीवित रूप में खाया जा सकता है वह वैसे ही खाया जाना चाहिये। एक जीवित कोशिका में वह सब है जो जीवन को बनाये रखने के लिये जरूरी है। जब आप एक जीवित कोशिका को खाते हैं तो आप देखेंगे कि आप के शरीर का स्वास्थ्य, अब तक आप ने जो कुछ जाना है, उससे बहुत अलग प्रकार का होगा। जब हम भोजन को पकाते हैं तो उसका जीवन नष्ट हो जाता है, और उसके जीवन को नष्ट करने के बाद उसे खाने से आप के शरीर को उतनी जीवन ऊर्जा नहीं मिलती। पर जब आप जीवित भोजन को खाते हैं तो ये आप में एक नये प्रकार की जीवंतता ला देता है। अगर आप बहुत सारा अंकुरित अनाज, फल और जो भी सब्जियाँ जीवित रूप में खायी जा सकें, ऎसा कम से कम 30 से 40% भोजन लेते हैं - तो आप देखेंगे कि ये आप के जीवन को बहुत अच्छी तरह से रखेगा।

सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि आप जो भी भोजन खाते हैं, वह स्वयं में जीवन है। तो वे अपने जीवन का बलिदान कर रहे हैं, जिससे हमारा जीवन बना रहे। यदि हम उन सभी जीवनों के प्रति अत्यंत कृतज्ञता के भाव के साथ उन्हें ग्रहण करते हैं - क्योंकि हमारा जीवन बनाये रखने के लिये, वे अपने जीवन का बलिदान कर रहे हैं - तो आप के अंदर यही भोजन बिल्कुल अलग ढंग से व्यवहार करेगा।


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