आजकल लगभग पूरे देश में परीक्षाएं चल रही हैं। इस समय बच्चे सबसे अधिक तनाव महसूस करते हैं। उन्हें सबसे अधिक परेशानी होती है अपनी कमजोर याद्दाश्त को लेकर। तो आइए जानते हैं इसका उपाय सद्‌गुरु से :

एक छात्र:

अपनी याददाश्त को सुधारने के लिए हम कौन से उपाय अपना सकते हैं और परीक्षा के डर पर काबू कैसे पा सकते हैं?

सद्‌गुरु:

परीक्षा का डर? आप सही सवाल पूछ रहे हैं, और सही इंसान से पूछ रहे हैं – जिसे कभी परीक्षा का कोई डर नहीं था। मेरे पिता की सबसे बड़ी चिंता यही थी कि मुझे परीक्षा का कोई डर नहीं था। वह कहते, ‘इस लड़के को कोई डर ही नहीं है। इसका क्या करें?’

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कहीं न कहीं से समाज में यह धारणा प्रचलित है कि डर एक तरह का गुण है। डर कोई गुण नहीं है। डर आपको सबसे बदसूरत प्राणी बना देता है। आपके जीवन का सबसे अप्रिय और खराब अनुभव शायद डर ही है। सिर्फ इसी चीज के अभाव ने मेरी जिंदगी को बहुत ही सुखद बना दिया क्योंकि डर हमेशा किसी ऐसी चीज का होता है, जो अभी तक घटित नहीं हुई है, जिसका अभी कोई अस्तित्व ही नहीं है। 'क्या होगा'- यह डर है।

 

सीखना है या साबित करना है?

बात यह है कि आप स्कूल कुछ सीखने जा रहे हैं या कुछ साबित करने? आपको यही फैसला करना है। अगर आप अपने बारे में कुछ साबित करने जा रहे हैं, तो असफलता और सफलता की व्याकुलता आपके अंदर बैठ जाएगी।

यही विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान, भूगोल है – सब कुछ यही है। आज जो पढ़ रहे हैं, वह कोई विषय नहीं है। वह जीवन के अलग-अलग टुकड़े हैं। उसे बहुत ही नीरस तरीके से प्रस्तुत किया जा सकता है, मगर फिर भी वह जीवन है।
लेकिन जो सीखना चाहता है, उसके लिए नाकामयाबी या कामयाबी जैसी कोई चीज नहीं होती, यह बस कोशिश की बात होती है। किसी को वह एक दिन में समझ आ सकता है, मुझे वह सीखने में दस दिन लग सकते हैं, किसी को सौ दिन लग सकते हैं। यह बस कोशिश करने की बात है। अगर आपकी दिलचस्पी सीखने में है, तो लगातार कोशिश करने के काबिल होना भी सीखने की एक बहुत महत्वपूर्ण प्रक्रिया है।

कृपया अपनी याददाश्त को सुधारने की कोशिश न करें। आप स्कूल इसलिए नहीं गए कि किसी बेकार की चीज को याद करें, बल्कि इसलिए गए हैं कि कुछ सीख सकें और अपने जीवन के क्षितिज का विस्तार कर सकें। आपको अपने चारों ओर के इस अस्तित्व के बारे में कुछ जानना और समझना है। यही विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान, भूगोल है – सब कुछ यही है। आज जो पढ़ रहे हैं, वह कोई विषय नहीं है। वह जीवन के अलग-अलग टुकड़े हैं। उसे बहुत ही नीरस तरीके से प्रस्तुत किया जा सकता है, मगर फिर भी वह जीवन है। आप ऐसी चीजें सीख रहे हैं जो आपके जीवन के दायरे को बेहतर बना सकती हैं। अगर आप चीजों को याद करने की कोशिश करेंगे तो वह किसी भी रूप में आपके जीवन को रूपांतरित नहीं कर सकेगा। आप वहां सीखने गए हैं। जब आप याद करने से ज्यादा सीखने पर ध्यान देंगे, तो आप देखेंगे कि - जो आपने सीखा है, वह आपने सीख लिया है, जो आपने नहीं सीखा है, वह नहीं सीखा है।

नकल करें या नहीं?

अगर आप नकल करना जानते हैं, मैंने सुना है कि कई जगहों पर शिक्षक ऐसी चीजों को बढ़ावा देते हैं! मुझे नहीं लगता कि जीवन के इस चरण में आपको अपना जीवन छल से शुरू करना चाहिए। मैं ईमानदारी की बात नहीं कर रहा हूं, मैं यह कह रहा हूं कि आप जीवन के साथ सीधा और सरल रहना सीख सकें, ताकि कल आप छोटी-छोटी बातों पर परेशान न हो जाएं। कम अंक पा कर भी आप यह समझ सकते हैं कि - ‘मैं ऐसा ही हूं। मुझे सिर्फ पैंतीस मिले, ठीक है। इससे मेरे जीवन की गुणवत्ता तय नहीं होगी।’

मैं चाहता हूं कि आप इस बात को समझें कि आपके जीवन की गुणवत्ता इस बात से तय नहीं होगी कि आपको कितने अंक मिले हैं।

नकल मत कीजिए क्योंकि छोटी, मामूली चीजों के लिए आपको अपनी ईमानदारी नहीं खोनी चाहिए। वरना कल जब आपके सामने बड़ी चीजें आएंगी तो आप उनका सामना नहीं कर पाएंगे।
मगर आपके जीवन की गुणवत्ता इस बात से जरूर तय होगी कि आप कितनी ईमानदारी से जीवन जीते हैं। इसलिए नकल ठीक नहीं है। मान लीजिए आपको कुछ नहीं आता, कोई बात नहीं। वहां खुशी-खुशी बैठिए और बाहर आ जाइए। थोड़ा योग कीजिए ताकि आपका जीवन लंबा हो और आपको सीखने के लिए एक और साल मिल जाए। मगर नकल मत कीजिए क्योंकि छोटी, मामूली चीजों के लिए आपको अपनी ईमानदारी नहीं खोनी चाहिए। वरना कल जब आपके सामने बड़ी चीजें आएंगी तो आप उनका सामना नहीं कर पाएंगे।

 

अपनी क्षमताओं को बढ़ाएं

थोड़े अंक ज्यादा या कम पाने से बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। लेकिन आप कितना सीखते हैं और कितना समझते हैं, इससे बहुत फर्क पड़ता है। फिलहाल, उसी पर ध्यान दीजिए। बहुत सारे विद्यार्थी बस किताब को निगल जाते हैं और परीक्षा में जाकर बस उसकी उल्टी कर देते हैं। परीक्षा खत्म होने के बाद, वे बिल्कुल साफ-सुथरे और बेदाग होते हैं। उनके अंदर शिक्षा का कोई लेश बचा नहीं होता। हो सकता है कि यह परीक्षा के नजरिए से अच्छी बात हो, मगर आपके लिए, समाज के लिए या दुनिया के लिए अच्छी बात नहीं है। अपने साथ ऐसा न करें। जब तक आप स्कूल से बाहर आते हैं, तब तक आपको ज्यादा से ज्यादा चीजें सीख लेनी चाहिए। मैं चाहता हूं कि आप जानकार बनें, काबिल बनें और सक्षम बनें ताकि कल जब आप दुनिया में कदम रखें, तो आप अपने जीवन के साथ कोई समझदारी का काम कर पाएं।

अपनी याददाश्त की चिंता न करें। जो आप जानते हैं, आप वही करेंगे, जो आप नहीं जानते, वह आप वैसे भी नहीं कर पाएंगे। मैं एक भी चीज याद नहीं रखता। इसीलिए मैं यहां बैठकर आपके साथ किसी भी चीज पर बातें कर सकता हूं क्योंकि मुझ पर कुछ याद रखने का कोई बोझ नहीं है। आप कितना याद रखते हैं, यह अहम नहीं है। आप कितनी समझदारी से, कितने बढ़िया तरीके से, कितनी काबिलियत से अपना जीवन जीते हैं, यह महत्वपूर्ण है।