सद्‌गुरुकभी कभी कुछ लोगों को जीवन में कई चीज़ें हासिल हो जाती हैं, लेकिन दूसरों को वो सब हासिल नहीं होता। क्या वजह होती है इसकी, और क्या उपाय अपनाना चाहिए?

प्रश्न : सद्‌गुरु, अगर कोई इंसान आज भूखा है और उसकी किस्मत ऐसी है कि उसे दो दिन बाद खाना मिलेगा तो वह क्या करे? आम जिंदगी में हमेशा ऐसा ही होता है कि इंसान को किसी चीज की जरूरत आज है और उसे वह मिलती दो दिन के बाद है। हर कोई कहता है कि यह तो किस्मत है। जब कोई चीज मिलनी होगी, तभी मिलेगी।

सद्‌गुरु : वह अपनी योग्यता बढ़ा सकता है। अपनी क्षमता में बढ़ोत्तरी कर सकता है। अगर हर चीज उसे बाद में ही मिल रही है तो यह उसके किसी काम की नहीं है। हालांकि जब कोई चीज आपको मिल जाती है तब भी उसका कोई महत्व नहीं रह जाता, लेकिन अप्रासंगिक हो जाने के बाद कोई चीज आपको मिल रही है तब तो उसका कोई मतलब ही नहीं है।

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प्रश्न : जब दांत होते हैं तो चने नहीं मिलते और जब चने मिलते हैं तो दांत नहीं होते। ऐसे में कोई करे तो क्या करे?

क्या ऐसा किस्मत की वजह से होता है?

सद्‌गुरु : आप तर्क दे रहे हैं कि आमतौर पर लोगों को चीजें तब मिलती हैं, जब उनके लिए उनकी कोई अहमियत नहीं रह जाती। ऐसा हर किसी के साथ नहीं होता है। ऐसा ज्यादातर उन लोगों के साथ होता है जो अपनी जिंदगी को ठीक तरीके से नहीं संभालते। बहुत सारे लोगों ने अपने जीवन को इस तरह व्यवस्थित किया हुआ है कि उन्हें जीवन में जो चाहिए, उनके पास वो है। यह अलग बात है कि आने वाले समय में वह कोई और चीज हासिल करना चाहते हों। जो लोग ऐसा कर पाने में सफल नहीं हो पाते, वे ऐसे तर्क देते हैं- ‘मुझे जो चाहिए था, मुझे नहीं मिला, यह मेरी किस्मत है।’ अगर यह किस्मत है तो आप शिकायत क्यों कर रहे हैं? अगर यही किस्मत है तो इसे ऊपर बैठ कर किसी ने तय किया होगा। फिर आप शिकायतें क्यों करते हैं?

सिर्फ एक ख़ास चीज़ की उम्मीद न करें

आपको पता है ऐसा क्यों महसूस होता है? क्योंकि आम का मौसम न होने पर भी आप आम खाना चाहते हैं।

अगर यह किस्मत है तो आप शिकायत क्यों कर रहे हैं? अगर यही किस्मत है तो इसे ऊपर बैठ कर किसी ने तय किया होगा। फिर आप शिकायतें क्यों करते हैं?
केले हैं, अमरूद हैं लेकिन आपको आम ही चाहिए, जबकि वह आम का मौसम नहीं है। जब तक आम का मौसम आता है आप केले खा सकते हैं, लेकिन आप बैठकर रोते रहते हैं कि मुझे तो बस आम ही चाहिए, आम तो दो महीने बाद आएंगे। पर कुछ लोग ऐसे होते हैं जो इंतजार नहीं करना चाहते। वे आम के पेड़ इस तरह से लगा लेते हैं कि उनके पेड़ पूरे साल आम देते रहते हैं। ये आम संख्या में कम होते हैं, स्वाद में भी थोड़े कमतर होते हैं, लेकिन हां इतना तय हो जाता है कि पूरे साल आपको आम मिलते रहते हैं। बस यही जीवन है। कई बार बहुत सी चीजें जो आप चाहते हैं, बाद में मिलती हैं, लेकिन उस वक्त आपके पास बहुत सारी दूसरी चीजें होती हैं। समस्या यह है कि आप हमेशा एक खास चीज पर ही निगाहें गड़ाए रहते हैं। आप एक ऐसी चीज की इच्छा करते रहते हैं, जिसे हासिल करने की क्षमता आपके पास नहीं है, लेकिन उसके अलावा भी तो बहुत चीजें हैं आपके आसपास। ये धरती लोगों के जीवन को अच्छे से सहारा दे सकती है। आप कहेंगे - पर इस दुनिया में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो बिना भोजन के मर रहे हैं। वो इसलिए है कि एक छोटी सी जगह पर लाखों लोग एक साथ रहते हैं। मसलन आप मुंबई जाकर देखें। एक छोटी सी जगह में डेढ़ करोड़ लोग रह रहे हैं। क्या इसलिए कि उन्हें एक दूसरे से प्यार है और वे एक दूसरे के बिना रह नहीं सकते? नहीं, वे एक दूसरे का गला काट देने को तैयार हैं, फिर भी साथ रहते हैं। तो यह सब प्रेम की वजह से नहीं है, इसकी वजह एक खास किस्म का लालच या एक खास किस्म की मजबूरी है। तो अगर कोई उस शहर की गति के साथ कदम मिलाकर नहीं चल पा रहा है तो हो सकता है वह भूखा रह जाए।

किसी की तरह जीने के लिए, वैसी काबिलियत और मेहनत चाहिए

मेरे पिताजी बड़े चिंतित रहते थे कि मैं क्या करूंगा। वह हमेशा कहते रहते थे, ‘तुम क्या करोगे? तुमने ठीक से पढ़ाई नहीं की है और न करना चाहते हो। तुम जीवन में करोगे क्या?’ मैंने उन्हें शुरू में ही बता दिया था कि मैं नौकरी तो कभी नहीं करूंगा। उन्होंने पूछा - ‘फिर क्या करोगे?’ मैंने कहा - मुझे नहीं पता। कुछ न कुछ तो करूंगा ही। अगर कुछ नहीं कर सका, तो जंगलों की ओर चल दूंगा और वहीं रहूंगा। मैं पहले भी कई सप्ताह तक जंगल में रह चुका था। मैंने कहा कि ऐसी नौबत आ ही गई तो मैं फिर से जंगल की ओर चल दूंगा। दरअसल मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि अगर इंसान जीना चाहता है तो उसके बहुत सारे तरीके हैं। समस्या यह है कि हम किसी और की तरह की जिंदगी जीना चाहते हैं, जबकि उसके जैसी क्षमता हमारे भीतर होती नहीं है, उसके जैसा काम हम नहीं करना चाहते, फिर भी उसकी तरह का जीवन चाहते हैं। ऐसे तो काम नहीं चलने वाला।

ऊंचाई मिलने के बाद आराम हो सकता है

कई बार आप किसी रईस इंसान को देखते हैं और सोचते हैं कि अरे इसके पास तो सब कुछ है, लेकिन आपको उसके जीवन को भी देखना चाहिए।

एक दूसरा शख्स है जो लगातार अपने कामों में लगा है और जब वह एक खास मुकाम हासिल कर लेता है तो आपको लगता है कि अरे यह तो जिंदगी के मजे ले रहा है।
  आप दोपहर का खाना खाने के बाद दो घंटे सो लेते हैं, शाम के पांच बजते ही ऑफिस से घर निकल जाते हैं और परिवार के साथ वक्त बिताते हैं। एक दूसरा शख्स है जो लगातार अपने कामों में लगा है और जब वह एक खास मुकाम हासिल कर लेता है तो आपको लगता है कि अरे यह तो जिंदगी के मजे ले रहा है। ‘इनसाइट’ कार्यक्रम में मैं एक कहानी सुना रहा था। आपको भी यह अच्छी लगेगी। एक दिन एक पेड़ पर एक उल्लू बैठा था। आपने कभी उल्लू को बैठे देखा है? देश के कई हिस्सों में बेवकूफ के लिए उल्लू शब्द का प्रयोग किया जाता है, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि दुनिया के कई हिस्सों में उल्लू का मतलब बुद्धिमान भी होता है। उल्लुओं को मैं अच्छी तरह समझता हूं, क्योंकि मैंने उल्लू पाले हैं। वैसे उन्हें अपशगुन माना जाता है। कोई नहीं चाहता कि वे आपके घर के आसपास रहें, लेकिन मैंने उन्हें रखा। मेरे घर की छत पर कई उल्लू रहते थे। मैंने  उन्हें बड़े गौर से देखा है। वे दूसरे पक्षियों की तरह नहीं थे। वे पूरी तरह से भावरहित होते हैं। अगर कोई दिलचस्प चीज हो रही है तो वे अपनी आंखें बायें दांयें घुमाते हैं, बस। वह मुड़कर चीजों को नहीं देखेंगे। तो एक उल्लू बैठा हुआ था। वहीं एक खरगोश आया जो एक जगह टिककर बैठ ही नहीं सकता। वह कूदता फांदता आया और उल्लू को देखकर मन में सोचने लगा, देखो मुझे चीजों के लिए इधर उधर भागना पड़ता है, और एक यह उल्लू है, आराम से बैठा है। उसने पूछा - क्या मैं भी तुम्हारी तरह आराम से बैठ सकता हूं? उल्लू ने इशारा करके कहा - क्यों नहीं, बिल्कुल बैठ सकते हो। बस खरगोश भी पेड़ के नीचे आकर बैठ गया। वह पूरी तरह शांत बैठा रहा। उसने कुछ भी नहीं किया। वहीं एक लोमड़ी जा रही थी। उसे बिना कुछ किए अपना नाश्ता मिल गया। यह कहानी हमें यही बताती है कि अगर आप बस ऐसे ही बैठे रहना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको वैसी ऊंचाई हासिल करनी होगी। आप यहां बैठ जाएं और ऐसे ही आराम से बैठे रहें, तो क्या होगा? आपको कोई कुचल कर चला जाएगा।