इस श्रृंखला की पिछली कड़ी में हमने पढ़ा तीन पांडवों - युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन के आगमन के बारे में। आइये आगे पढ़ते हैं दो छोटे पांडवों - नकुल और सहदेव के जन्म की कथा

Subscribe

Get weekly updates on the latest blogs via newsletters right in your mailbox.

सद्‌गुरुतीनों बच्चे बड़े हुए और उन्होंने अद्भुत कौशल, क्षमताओं और बुद्धि का प्रदर्शन किया। सभी का ध्यान उन पर और उनकी माता कुंती पर था। पांडु की दूसरी युवा पत्नी जिसके पास अपना कहने के लिए न पति था और न ही बच्चे, वह दिन-ब-दिन कड़वाहट से भरती चली गईं। एक दिन पांडु ने ध्यान दिया कि माद्री अब वह सुंदर युवती नहीं रही थी, जिससे उन्होंने विवाह किया था, उसका चेहरा द्वेषपूर्ण लगने लगा था। उन्होंने पूछा, ‘क्या बात है? क्या तुम खुश नहीं हो?’ माद्री ने कहा, ‘मैं कैसे खुश हो सकती हूं? बस आप, आपके तीन बेटे और आपकी दूसरी पत्नी ही सब कुछ है। मेरे लिए क्या है?’ थोड़ी देर बहस करने के बाद, वह बोलीं, ‘अगर आप कुंती से मुझे मंत्र सिखाने के लिए कहें, तो मैं भी मां बन सकती हूं। फिर आप मुझ पर भी ध्यान देंगे। वरना, मैं सिर्फ‍ पिछलग्गू बन कर रह जाऊंगी।’

कुंती ने माद्री को मन्त्र सिखाया

पांडु उसका दुख समझ गए। वह कुंती के पास गए और कहा, ‘माद्री को बच्चे की जरूरत है।’ कुंती ने कहा, ‘क्यों? मेरे बच्चे भी तो उसके बच्चे हैं।’ पांडु बोले, ‘नहीं, वह अपने बच्चे चाहती है। क्या तुम उसे मंत्र सिखा सकती हो?’ कुंती ने कहा, ‘मैं मंत्र नहीं सिखा सकती, लेकिन अगर यह जरूरी है तो मैं मंत्र का प्रयोग करूंगी और वह जिस देवता को चाहे बुला सकती है।’ वह माद्री को जंगल की एक गुफा में ले गई और बोलीं, ‘मैं मंत्र का प्रयोग करूंगी। तुम जिस देवता को चाहो, बुला सकती हो।’ माद्री असमंजस में पड़ गई, ‘मैं किसे बुलाऊं? मैं किसे बुलाऊं?’ उसे दोनों अश्विनों का ख्याल आया, जो देवता नहीं, परंतु आधे देवता हैं। अश्व का मतलब है घोड़ा, ये दोनों दिव्य अश्वारोही थे, जो अश्व विशेषज्ञों के कुल से संबंध रखते थे। माद्री ने इन अश्विनों के जुड़वां बच्चों – नकुल और सहदेव को जन्म दिया।

पांडू की पुत्रों की चाह

अब कुंती के तीन बच्चे – युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन थे और माद्री के दो बच्चे – नकुल और सहदेव थे। मगर पांडु को और भी बच्चों की इच्छा थी। एक राजा के नाते उसके जितने बेटे होते, उतना ही बेहतर होता। युद्धों में बेटों की संख्या कम हो सकती थी, इसलिए राज्यों को जीतने या सिर्फ राज करने के लिए भी जितने संभव हो, उतने बेटे होना बेहतर था। कुंती ने अब हाथ खड़े कर दिए, ‘अब मैं और बच्चे पैदा नहीं कर सकती।’ पांडु ने प्रार्थना की, ‘ठीक है, अगर तुम नहीं चाहतीं, तो माद्री के लिए इस मंत्र का प्रयोग करो।’ कुंती ने इंकार कर दिया क्योंकि ज्यादा बेटों वाली रानी ही पटरानी बनती। उसके तीन बेटे थे और माद्री के दो। वह इस फायदेमंद स्थिति को हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी। उसने साफ मना कर दिया, ‘यह बिल्कुल नहीं हो सकता। हम अब इस मंत्र का प्रयोग नहीं करेंगे।’
ये लड़के पांच पांडवों के रूप में बड़े हुए। पांडु के बेटों को पांडव कहा गया। वे राजकुमार और शाही परिवार के सदस्य थे मगर वे जंगल में पैदा और बड़े हुए। 15 वर्ष की उम्र तक वे जंगल में ही पले-बढ़े।