योग विज्ञान में सिखाई जाने वाली कई योग क्रियाएं सांसों पर आधारित होती हैं। योग आसनों में भी सांस लेने और छोड़ने का एक खास तरीका सिखाया जाता है। सांसों में ऐसा क्या खास है, कि योग विज्ञान ने इन्हें इतना महत्व दिया है? 

प्रश्‍न: हमारे जीवन में सांस का बहुत महत्व है। अच्छी तरह सांस लेने से आदमी स्वस्थ रहता है। क्या इसके और दूसरे फायदे भी हैं?

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सद्‌गुरु:

सांस वो धागा है, जो आपको शरीर से बांध कर रखता है। अगर मैं आपकी सांसें ले लूं तो आप अपने शरीर से अलग हो जाएंगे । यह सांस ही है, जिसने आपको शरीर से बांध रखा है। जिसे आप अपना शरीर और जिसे ‘मैं’ कहते हैं, वे दोनों आपस में सांस से ही बंधे हैं। यह सांस ही आपके कई रूपों को तय करती है।

 जिसे आप अपना शरीर और जिसे ‘मैं’ कहते हैं, वे दोनों आपस में सांस से ही बंधे हैं।
जब आप विचारों और भावनाओं के विभिन्न स्तरों से गुजरते हैं, तो आप अलग-अलग तरह से सांस लेते हैं। आप शांत हैं तो एक तरह से सांस लेते हैं। आप खुश हैं, आप दूसरी तरह से सांस लेते हैं। आप दुखी हैं, तो आप अलग तरह से सांस लेते हैं। क्या आपने यह महसूस किया है? इसके ठीक उल्टा है - प्राणायाम और क्रिया का विज्ञान। जिसमें एक खास तरह से, सचेतन हो कर सांस ली जाती है। इस तरह से सांस लेकर अपने सोचने, महसूस करने, समझने और जीवन को अनुभव करने का ढंग बदला जा सकता है।

शरीर और मन के साथ कुछ दूसरे काम करने के लिए इन सांसों को एक यंत्र के रूप में कई तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है। ईशा क्रिया में हम सांस लेने की एक साधारण प्रक्रिया का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन पूरी ईशा क्रिया सिर्फ सांस लेने के तरीके तक सीमित नहीं है। सांस सिर्फ एक उपकरण है। सांस से हम शुरू करते हैं, पर जो होता है वह अद्भुत है। आप जिस तरह से सांस लेते हैं, उसी तरह से आप सोचते हैं। आप जिस तरह से सोचते हैं, उसी तरह से आप सांस लेते हैं। आपका पूरा जीवन, आपका पूरा अचेतन मन आपकी सांसों में लिखा हुआ है। अगर आप सिर्फ अपनी सांसों को पढ़ सकें, तो आप अपना अतीत, वर्तमान और भविष्य जान सकते हैं। यह तीनों आपकी सांस लेने की शैली में लिखे हुए हैं।

 अगर आप सिर्फ अपनी सांसों को पढ़ सकें, तो आप अपना अतीत, वर्तमान और भविष्य जान सकते हैं।
एक बार जब आप इसे जान जाते हैं, तब जीवन बहुत अलग हो जाता है। इसे अनुभव करना होता है, यह ऐसा नहीं है जिसे आप प्रवचन से सीख सकते हैं। अगर आप कुछ सोचे या  कुछ किए बिना सहजता से बैठने का आनंद जानते हैं, तो जीवन बहुत अलग हो जाता है।

आज इसका वैज्ञानिक सबूत है कि बिना शराब की एक बूंद लिए, बिना कोई चीज लिए, आप सहजता से बैठकर, अपने आप नशे में मतवाले और मदहोश हो सकते हैं। अगर आप एक खास तरह से जागरूक हैं, तो आप अपनी आंतरिक प्रणाली को इस तरह से चला सकते हैं, कि आप सिर्फ बैठने मात्र से परमानंद में चले जाते हैं। एक बार जब केवल बैठना और सांस लेना इतना बड़ा आनंद बन जाए, तब आप बहुत हंसमुख, विनम्र और अद्भुत हो जाते हैं, क्योंकि तब आप अपने अंदर एक ऊंची अवस्था में होते हैं। दिमाग पहले से ज्यादा तेज हो जाता है।