प्रश्न : मैं इंजीनियरिंग का एंट्रन्स टेस्ट पास करने की कोशिश कर रहा हूं, मगर दो बार फेल हो चुका हूं। मैं बहुत निराश हो गया हूं और उस निराशा से बाहर नहीं आ पा रहा हूं।

सद्‌गुरु: निराशा, हताशा और डिप्रेशन एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। जब आप निराश होते हैं, तो हताश होते हैं और हताश होने पर आप डिप्रेशन में चले जाते हैं। मैं आपको एक किस्सा सुनाता हूं। 

राम, कृष्ण, बु‍द्ध, ईसामसीह –उन लोगों ने कभी कोई परीक्षा पास नहीं की। फिर आप उनकी पूजा क्यों करते हैं? 
एक बार शैतान ने अपना कारोबार बंद करने का फैसला किया, इसलिए उसने अपने सारे हथियार बेचने के लिए लगा दिए। उनमें क्रोध था, वासना थी, लालच, ईर्ष्या, धन की लालसा, अहं था – उसने सब कुछ बेचने के लिए रख दिया। लोगों ने सारी चीजें खरीद लीं। लेकिन फिर किसी ने ध्यान दिया कि उसके झोले में अब भी कुछ बचा है। उन्होंने शैतान से पूछा, ‘तुम्हारे पास अब क्या है?’ शैतान बोला, ‘ये मेरे सबसे असरदार हथियार हैं। इन्हें मैं नहीं बेचूंगा, शायद फिर कभी मुझे आपना धंधा शुरू करना पड़े। और अगर मैं इन्हें बेचने के लिए लगा भी दूं, तो वे बहुत अधिक महंगे होंगे। क्योंकि वे जीवन को तबाह करने वाले मेरे सबसे बेहतरीन हथियार हैं।’ लोगों ने पूछा, ‘हमें बताओ कि वे क्या हैं?’ शैतान बोला, ‘हताशा और डिप्रेशन’। जब आपके अंदर कोई उत्साह नहीं रह जाता, डिप्रेशन आ जाता है, तो जीवन की कोई संभावना नहीं रह जाती। जब आप कहते हैं, ‘मैं किसी चीज से निराश हो रहा हूं,’ तो आप हताशा और डिप्रेशन से ज्यादा दूर नहीं होते – निराशा पहला पायदान होता है।

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जीवन ऊर्जा निराश होना नहीं जानती

तो आप निराशा को कैसे छोड़ें? देखिए आपको उसे छोड़ने की जरूरत ही नहीं है, बस आप उसे पकड़ें ही नहीं। जीवन का हर रूप ख़ुद उत्साह है। किसी चींटी को चलते हुए देखिए।

  निराशा, हताशा और डिप्रेशन का मतलब है कि आप अपने ही जीवन के खिलाफ चल रहे हैं। 
अगर आप उसका रास्ता रोकते हैं, तो क्या वह कभी निराश या हताश होती है? वह मरते दम तक अपनी पूरी कोशिश करती है। एक नन्हें पौधे को देखिए, चाहे आप उसको छत पर रख दीजिए और कुछ नहीं, बस थोड़ी सी मिट्टी डाल दीजिए तो वह पच्चीस मीटर नीचे तक अपनी जड़ें फैला सकता है। आपको लगता है कि पौधा कभी निराश होता है? जीवन ऊर्जा किसी तरह की निराशा नहीं जानती। निराश सिर्फ आपका मन होता है क्योंकि सीमित मन झूठी उम्मीदें पालता है। जब आपकी उम्मीदें जीवन के तालमेल में नहीं होतीं, जब आपकी आशाएं सिर्फ काल्पनिक और मनोवैज्ञानिक होती हैं, जीवन की हक़ीक़त नहीं, फिर उन उम्मीदों के पूरा न होने पर मन को लगता है कि अब दुनिया में कुछ नहीं बचा।

अवतारों ने कभी कोई परीक्षा पास नहीं की

कई लोग परीक्षा में फ़ेल होने पर आत्महत्या कर लेते हैं। क्योंकि उन्हें लगता है कि इसके बिना दुनिया ख़त्म है। आप जिन लोगों की पूजा करते हैं – राम, कृष्ण, बु‍द्ध, ईसामसीह –उन लोगों ने कभी कोई परीक्षा पास नहीं की। फिर आप उनकी पूजा क्यों करते हैं? आप अपनी परीक्षा में पास होने के लिए उन लोगों को पुकारते हैं, जिन्होंने कभी कोई परीक्षा पास करने की परवाह ही नहीं की। यह कोई समझदारी की बात नहीं है। तो परीक्षा पास नहीं करना कोई मायने नहीं रखता। आप उसे एक सामाजिक ज़रूरत के लिए पास करना चाहते हैं, यह अलग बात है। मगर निराश होना पूरी तरह एक मनोवैज्ञानिक चीज है, यह जीवन से जुड़ा नहीं है। जब आप निराश हों और आपका मन कहे, ‘जीने से कोई लाभ नहीं, मुझे मरने दो,’ तो बस दो मिनट के लिए अपना मुंह और नाक बंद करके देखिए, आपके अंदर का जीवन कहेगा, ‘मुझे जीने दो।’

बुद्धि काम करे, तो निराशा का सवाल ही नहीं है

आप अपने ही जीवन के खिलाफ अगर कुछ भी करते हैं, तो वह मूर्खता के अलावा कुछ नहीं है। सिर्फ एक मूर्ख ही अपने जीवन के खिलाफ चल सकता है। लेकिन अभी आपने खुद को ऐसी मानसिक स्थिति में डाल लिया है, जहां आप अपने ही जीवन के खिलाफ काम कर रहे हैं। निराशा, हताशा और डिप्रेशन का मतलब है कि आप अपने ही जीवन के खिलाफ चल रहे हैं। एक मूर्ख व्यक्ति ही डिप्रेशन में जा सकता है। अगर आप बुद्धिमान होंगे तो आप कैसे डिप्रेशन में जा सकते हैं? आपने अपनी बुद्धि को पूरी तरह कैद कर दिया है, इसीलिए डिप्रेशन की गुंजाइश हुई। वरना डिप्रेशन या निराशा का कोई सवाल ही नहीं है।