प्रश्न : सद्गुरु, ईर्ष्या को हमेशा से एक कुटिल भावना के रूप में देखा गया है लेकिन ईमानदारी से कहूं तो मेरे लिये इसने बराबर काम किया है। ये मुझे प्रेरणा देती है। तो जब भी मेरे मित्र कुछ नया सीखते हैं तो मेरे अंदर से भाव आता है कि मैं उनसे बेहतर करूँ। और शायद यही कारण है कि मैं अपने सपनों के कॉलेज में पहुंच गई हूँ। तो, आपको क्या लगता है कि ईर्ष्या क्या एक नकारात्मक भावना है या यह आपको बेहतर करने के लिये प्रेरित करती है?

सद्‌गुरु: सौभाग्यवश, आज के दिनों में ऐसा नही होता लेकिन उन दिनों, जब हम बड़े हो रहे थे, खास तौर से छोटे शहरों में, लोग मजा लेने के लिये, एक डिब्बे में पटाखे भर के किसी गधे की पूंछ से बांध देते थे। विशेष रूप से, दीवाली के दिनों में यह काफी लोकप्रिय था। जब पटाखे छूटने लगते तब वो बेचारा गधा इधर उधर भागता था, घोड़े से भी ज्यादा तेज़। क्या आपको लगता है कि जीवन को प्रेरित करने का यह कोई अच्छा तरीका है? आपके पास और भी बेहतर और समझदार तरीके हैं।

चेतन भगत सदगुरु से पूछते हैं : "अपने उद्देश्य की ओर हम कैसे प्रेरित रहें?"

सद्‌गुरु: जब आपको लगता है कि आपकी पूंछ सुलग रही है तो आप दौड़ सकते हैं। लोग कहते हैं कि अगर कोई कुत्ता आपके पीछे पड़ जाये तो आप वाकई तेज दौड़ेंगे। लेकिन उसैन बोल्ट इसलिये तेज नहीं दौड़ते कि उनकी पूंछ में आग लगी है। वे इसलिये तेज़ दौड़ते हैं क्योंकि उन्होंने अपने पैरों और फेफड़ों को इस तरह तैयार किया है कि वे चाहे जैसे दौड़ें, वे सबसे तेज़ होंगे। क्या यह तेज दौड़ने का सही तरीका नहीं है? अब, यदि आप इसलिये तेज़ दौड़ना चाहते हैं कि एक कुत्ता आपके पीछे लगा है या आपकी पूंछ में आग लगी है तो यह तेज दौड़ने का सुखद तरीका नही है।

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अगर आप इसलिये तेज़ दौड़ना चाहते हैं कि कोई कुत्ता आपके पीछे लगा है या आपकी पूंछ में आग लगी है तो यह तेज़ दौड़ने का सुखद तरीका नहीं है।

एक बात यह है कि आप तेज़ दौड़ते हैं। यह महत्वपूर्ण है। लेकिन दूसरी बात यह है कि तेज़ दौड़ने का आपका अनुभव शानदार है। क्या यह भी महत्वपूर्ण नहीं है? आप अपने सपनों के कॉलेज में आ गये हैं लेकिन अब आपके लिये ये तीन साल नरक समान भी हो सकते हैं। क्या यह महत्वपूर्ण नही है कि ये तीन साल आपके जीवन का एक शानदार अनुभव बनें? सिर्फ दौड़ना महत्वपूर्ण नहीं है। आप इसे कैसे अनुभव करते हैं और कल इससे आपको क्या मिलता है, वह भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

 

 

मान लीजिये कि हम इसलिये तेज दौड़े क्योंकि हमारी पूंछ में आग लगी थी। तो फिर हम यही समझेंगे कि अगर लोगों को तेज दौड़ाना है तो एक ही तरीका है कि उनकी पूंछ में आग लगा दी जाये। बस देखिये कि इस तरह हम लोगों का कितना नुकसान करेंगे?

मैंने इन गधों को रेस के घोड़ों से तेज़ दौड़ते देखा है क्योंकि वे ज़बरदस्त रूप से डरे हुए थे। लेकिन यह दौड़ने का तरीका नहीं है। कृपया अपने साथ ऐसा न करें।

मैंने इन गधों को रेस के घोड़ों से तेज़ दौड़ते हुए देखा है क्योंकि वे ज़बरदस्त रूप से डरे हुए थे।लेकिन दौड़ने का यह तरीका नही है। कृपया अपने साथ ऐसा न करें।

संपादकीय टिप्पणी : सदगुरु का यह लेख पढ़ें जिसमें वे समझाते हैं किस तरह आप अपनी ईर्ष्या का उपयोग अपने आपको पोषित करने के लिये कर सकते हैं और कैसे, सुंदर, सुगंधित फूल खिलाने के लिये यह एक बढ़िया खाद का काम कर सकती है।