चाय या कॉफ़ी पीने की आदत हमारे देश में लगभग हर घर में पायी जाती है। विशेषज्ञ हमें बताते हैं कि शरीर के लिए यह हानिकारक है। क्या आध्यात्मिक प्रक्रिया के लिए भी यह हानिकारक है?

Sadhguru सद्‌गुरु : चाय और कॉफी तंत्रिका प्रणाली को उत्तेजित करते हैं। ऐसे पदार्थों से कुछ समय के लिए शरीर में फुर्ती महसूस होती है जिसके बाद शरीर का ऊर्जा का स्तर कम होने लगता है। तंत्रिका प्रणाली को उत्तेजित करने वाले पदार्थों का अधिक सेवन लंबे समय में स्टेमिना को खत्म कर देता है और ऊर्जा को जमा रखने की शरीर की क्षमता पर असर डालता है। कैफीन का सेवन रचनात्मकता को भी कम करता है।

चाय और कॉफी के नुकसान

“क्या आपको चाय या कॉफी छोड़ देनी चाहिए? आप क्या छोड़ते हैं, यह आपके ऊपर है। मैं कभी आपसे यह चीज या वह चीज छोड़ने के लिए नहीं कहूंगा। मैं बस यह कह रहा हूं कि किसी भी चीज का गुलाम बन कर मत रहिए, चाहे वह कुछ भी हो। बल्कि, सजग होकर जीना सीखिए।

Subscribe

Get weekly updates on the latest blogs via newsletters right in your mailbox.
कभी-कभार पीने में कोई बुराई नहीं है। लेकिन अगर आपके लिए रोजाना उस चीज का सेवन अनिवार्य है, तो यह एक समस्या है।
चाहे वह कॉफी हो, या सिगरेट, या ईश्‍वर, हर किसी के साथ सजग होकर रहना सीखिए। किस चीज की कितनी मात्रा हो, यह फैसला सिर्फ आप कर सकते हैं। लेकिन आपको यह समझना चाहिए कि अगर आप लंबे समय तक शरीर को उत्तेजित करने वाले पदार्थों का दुरुपयोग करते हैं, तो आपको उसकी कीमत चुकानी होगी। अगर आप ऐसा सोचते हैं कि ‘आखिरकार, छोटी सी जिंदगी है। यही होगा कि 90 की बजाय 70 की उम्र में मर जाऊंगा।’ कोई बात नहीं। मैं इस नजरिये के खिलाफ नहीं हूं, न ही कॉफी के खिलाफ हूं।

उसका सेवन मजबूरी में नहीं किया जाना चाहिए। आपको उसका स्वाद पसंद है, आप एक दिन बड़ा कप भर कर पीते हैं और वाकई मजे लेकर उसे पीते हैं। कभी-कभार पीने में कोई बुराई नहीं है। लेकिन अगर आपके लिए रोजाना उस चीज का सेवन जरुरी है, तो यह एक समस्या है। अगर आपकी स्थिति यह है कि सुबह की चाय या कॉफी न मिलने से आपका दिन खराब हो जाता है, तो आपको इस बारे में सोचने की जरूरत है। कॉफी का एक मामूली सा कप आपके जीवन का स्वरूप तय करे, ऐसा नहीं होना चाहिए, है न?”

चाय की जगह इसे आजमाएं

सुबह-सुबह पेठा (विंटर मेलन) का जूस पीने से काफी ताकत मिलती है और साथ ही वह मस्तिष्क को बहुत शांत रखता है। इसका रोजाना सेवन बौद्धिक क्षमता को काफी बढ़ाता है।

अगर आप ऐसा सोचते हैं कि ‘आखिरकार, छोटी सी जिंदगी है। यही होगा कि 90 की बजाय 70 की उम्र में मर जाऊंगा।’ कोई बात नहीं। मैं इस नजरिये के खिलाफ नहीं हूं, न ही कॉफी के खिलाफ हूं।
लेकिन दमा के मरीजों और जिन्हें जल्दी सर्दी-जुकाम हो जाता है, उन्हें जूस में थोड़ा शहद या काली मिर्च मिला लेना चाहिए। यह पेठा की शीतलकारी तासीर को काफी हद तक कम कर देता है।

हर्बल चाय भी एक अच्छा वैकल्पिक पेय है। उसकी बहुत सी किस्में उपलब्ध हैं और उनका स्वाद चाय जैसा किया जा सकता है। उचित मात्रा में काली मिर्च के साथ अदरक और धनिया वाली चाय तंत्रिका प्रणाली को उत्तेजित किए बिना आपकी सुबह को ताजगी से भर सकती है।