आप खुद बनें कल्पवृक्ष
अकसर कहा जाता है इंसान जो चाह लें वह नामुमकिन नहीं, तो फिर वो कौन से कारण हैं कि हर इंसान की हर चाह पूरी नहीं हो पाती, और वो क्या करे कि उसकी हर चाह पूरी होने लगे- पढ़िए और जानिए-
जब आपके चारों पहलू - शरीर, मन, भावना और ऊर्जा एक ही दिशा में काम करने लगती हैं, तब आप जो भी इच्छा करेंगे, पूरी हो जाएगी, और आप खुद ही एक कल्पवृक्ष बन जाएंगे। लेकिन मन की समस्या यह है कि यह हर पल दिशा बदल रहा है। यह ऐसे ही है जैसे आप कहीं जाना चाहते हैं और हर दो कदम पर अपनी दिशा बदल रहे हैं। ऐसी हालत में आपके लिए मंजिल तक पहुंचने की संभावना बहुत कम हो जाती है। अगर संयोग से पहुंच गए तो बात दूसरी है।
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आपने शायद उन लोगों के बारे में सुना होगा, जिन्होंने किसी चीज की इच्छा की और वह उन्हें मिल गई। आमतौर पर ऐसा उन्हीं लोगों के साथ होता है, जिन्हें अटल विश्वास होता है। मान लीजिए कि आप एक घर बनाना चाहते हैं। अगर आप सोचते हैं, ’मैं एक घर बनाना चाहता हूं। इसके लिए मुझे पचास लाख रुपये की जरूरत है पर मेरी जेब में बस पचास रुपये हैं, यह संभव नहीं है।’ जिस पल आप कहते हैं ‘यह संभव नहीं है,’ तब आप यह भी कह रहे होते हैं कि मुझे यह नहीं चाहिए।
अगर जीवन को वैसा होना है, जैसा आप सोचते हैं, तो वह जरूर हो सकता है। लेकिन यह इस पर निर्भर है कि आप कैसे सोचते हैं, कितनी गहराई से सोचते हैं, आपके विचारों में कितनी स्थिरता है। यही तय करेगा कि आपका विचार हकीकत बनता है या सिर्फ एक सतही विचार बना रहता है। क्या संभव है और क्या नहीं, यह सोचना आपका काम नहीं है। यह प्रकृति का काम है। आपका काम तो बस उस चीज के लिए कोशिश करना है, जो आपको चाहिए।