सैनिकों के परिवारजनों का त्याग

मुझे आज भी साफ-साफ याद है कि 17 साल की उम्र में जब मैं नेशनल डिफेंस एकेडमी की परीक्षा में बैठना चाहता था तो उस समय जहां एक ओर मेरी मां और बहन की आंखों में आंसू थे, वहीं मेरे पिताजी तनाव से भरे हुए थे। जबकि मैं कोई युद्ध पर नहीं जा रहा था, मैं तो बस सिर्फ परीक्षा देने जा रहा था। मैं जब भी किसी सैनिक या उसके परिवार से मिलता हूं तो मेरे मन के किसी कोने में हमेशा एक कोमल भाव रहता है कि कैसे कोई इंसान जानबूझकर अपने प्रियजन के जोखिम भरे रास्ते पर चलने से समझौता करता है। मैं उन तमाम बहादुर परिवारों को नमन करता हूं।

जब उनकी शादी हुई तो वे दोनों बस 21 दिन साथ रहे। उसके बाद चार साल तक उन्होंने अपने पति का चेहरा तक नहीं देखा, क्योंकि वे हर समय तैनात थे।
सेना के एक बेहद सीनीयर ऑफ़िसर की पत्नी ने एक बार मुझे बताया था कि कैसे अपने 36 साल के वैवाहिक जीवन में मात्र 12 साल वह अपने पति के साथ रहीं। जब उनकी शादी हुई तो वे दोनों बस 21 दिन साथ रहे। उसके बाद चार साल तक उन्होंने अपने पति का चेहरा तक नहीं देखा, क्योंकि वे हर समय तैनात थे। हम इस महान महिला के त्याग की भरपाई कैसे कर सकते हैं, जो एक नवविवाहिता के तौर पर न सिर्फ लंबे समय तक अपने पति का इंतजार करती रही, बल्कि पूरे समय इस डर के साए में जीती रही कि न जाने कब कौन सी भयानक खबर उसके सामने आ जाए।

योग का अभ्यास ठंड से बचाव कर सकता है

अनुभव के लिहाज से यह पूरा हफ्ता मेरे लिए बेहद गहन रहा - जहां लेह, लद्दाख व सियाचिन ग्लेशियर के अपने दौरे के दौरान मुझे इन सेना के वीर जवानों के साथ समय बिताने का मौका मिला। सियाचिन पर तैनात जवानों को ‘सियाचिन योद्धा’ कहा जाता है। ये जवान समुद्र तल से 18000 फीट से लेकर 22,000 फीट की ऊंचाई पर रहते हैं। वहां जाने से पहले ये लोग लगभग 30 से ज्यादा दिनों की तैयारी करते हैं। उसके बाद सियाचिन की चोटियों पर पहुंचने के लिए इन्हें 25 दिन लगते हैं और फिर ये लोग इन चोटियों पर लगभग 120 दिन रहते हैं। इतनी अत्यधिक ऊंचाई पर -25 से -45 डिग्री सेल्सियस के तापमान में रहना इंसान के शरीर के रासायनिक बनावट को तहस-नहस करने के लिए काफी है। यह अपने आप में मौत का कारण भी बन सकता है। यहां दुश्मन के साथ इनकी लड़ाई तो कभी कभार ही होती है, लेकिन भौतिक तत्वों के साथ इनकी लड़ाई हर पल की है। ऐसे में सही तरह के योग का अभ्यास प्रकृति के साथ इनके भीषण संघर्ष को जबरदस्त तरीके से सहज बना सकता है।

250 सीसी की रोडकिंग येज़दी/जावा की यादें

लद्दाख अपने आप में एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल है जो ख़ूबसूरत नज़ारों से भरा हुआ है - इसे चंद्रमा की सतह समझने की भूल हो सकती है। हालांकि यह जगह काफी कुछ तिब्बत के पठार जैसी है, लेकिन फिर भी अपने आप में अनोखी है। यहां ड्राइव करना बेहद आनंदायक है, वहां मैंने कुछ तेज़ी से गाड़ी चलाई। ताकतवर गाड़ियों को उनकी सीमा तक ले जाकर चलाए हुए एक लंबा अरसा बीत गया। यहां यह देख कर खुशी हुई कि बहुत सारे नौजवान, जिनमें महिलाएं और पुरुष दोनों शामिल हैं, मोटरसाइकिल चला रहे हैं। रॉयल एनफील्ड के नए स्वरूप का शुक्रिया, जिसके चलते कई लोग लंबी दूरियों में मोटरसाइकिल का इस्तेमाल कर पा रहे हैं। जब मैंने बाइक पर पूरे देश का भ्रमण किया था, तो यह भ्रमण मैंने अकेले 250सीसी की रोडकिंग येज़दी/जावा पर किया था। ये मशीन ज़ेक है, लेकिन इस बाइक का निर्माण मेरे अपने शहर मैसूर में हुआ था।

कभी-कभी मैं तीन दिन और तीन रातें बिना रुके लगातार चलता जाता था - हालांकि मेरे भीतर का एक हिस्सा आज भी वैसे का वैसा ही है।

इतने सालों बाद उस कभी खड़ी न रहनेवाली बाइक की शानदार गड़गड़ाहट, आज भी मेरे कानों में गूंजती है। जब मैं उसे असंभव कर दिखाने के लिए उकसाता था, तब इस मशीन के मूड बदलते रहते थे। हालांकि आज मैं 24 घंटे में 1000 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली उस तरह की सवारी नहीं कर सकता हूं। कभी-कभी मैं तीन दिन और तीन रातें बिना रुके लगातार चलता जाता था - हालांकि मेरे भीतर का एक हिस्सा आज भी वैसे का वैसा ही है। बाइक के इंजन की गर्जना, बदन को छेदने वाली ठंडी पहाड़ी हवा, सूर्य पक्षी की चहचाहट जैसी कुछ चीजें आज भी मुझे वही अहसास कराती हैं। आज भी मैं वैसा ही एक नौजवान हूं, जैसा कि मैं से हमेशा था।

क्या आप नौजवान हैं?

क्या आप नौजवान हैं? इसे आपको जांचना होगा। जवानी का मतलब किसी एक खास उम्र से नहीं है। जवानी जीवन के निर्माण का नाम है। अगर आप लगातार निर्माण की प्रक्रिया में हैं तो इसका मतलब है कि आप में अंतहीन संभावनाएं हैं। निश्चित तौर पर आप जवान हैं। अगर आप चाहें तो मैं आपको ऐसी चेक-लिस्ट दे सकता हूं, जिससे आप अपनी जवानी को मॉनिटर कर सकते हैं। मैं भारतीय सेना के उन शानदार अफसरों के प्रति गहन आभार और सम्मान प्रकट करता हूं, जो न सिर्फ एक बहादुर योद्धा हैं, बल्कि जबरदस्त मेजबान भी हैं। 

Blessings to you,

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At Pangong Lake, 4350 meters above MSL

 

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…and then. (Sadhguru with his Yezdi/Jawa Roadking)