कल पूर्णिमा का उत्सव काफी भव्य तरीके से मनाया गया। यह विजी की आराधना की 15वीं वर्षगांठ, लिंग भैरवी प्रतिष्ठा की दूसरी वर्षगांठ और थाईपूसम का दिन था। इस मौके पर हम महिलाओं को नई साधना भेंट कर रहे हैं, जो तमिलनाडु भर के गांव और शहरों में सिखाई जा रही है। कोई भी व्यक्ति किसी खास समय तक के लिए इस साधना को कर सकता है और कुछ निश्चित दिनों के लिए देवी स्तुति का पाठ कर देवीदंडम कर सकता है। इसके साथ ही, उसे हर दिन एक मुठ्ठी अनाज देवी के नाम अलग निकालना होता है और फिर पूर्णिमा के दिन इस अनाज को मंदिर में अर्पित कर दिया जाता है। इस उत्सव में तमाम लोगों को आकर अपनी भेंट चढ़ाते देखना अपने आप में एक बेहद रोचक अनुभव था। इस प्रक्रिया में भाग लेने वालों में जो जबरदस्त समर्पण दिखा, वह अपने आप में अद्भुत था। निसंदेह देवी खुद को चमत्कारिक तरीकों से प्रकट कर रही हैं।

इसलिए हम चाहते हैं कि यह साधना हर व्यक्ति करे, क्योंकि भक्ति में जीना जीवन को जीने का सबसे मधुर तरीका है। यह जीवन जीने का सबसे विवेकपूर्ण तरीका है। आखिर इसका आशय क्या है, इसका आशय देवी भक्ति से नहीं हैं और न ही इससे कि आप कितने देवी दंडम कर सकते हैं, इसका आशय भक्ति के जरिए खुद को विलीन करने या आत्मविसर्जन से है। अगर एक बार आपने खुद को विसर्जित कर दिया, एक बार आप रिक्त हो गए तो फिर देवी के सामने आपके पास आने या आपको अपनाने के सिवा कोई चारा ही नहीं रहेगा। और अगर देवी आपके साथ हैं तो फिर मेरे पास भी कोई विकल्प नहीं बचता है।

 

ये देवी

इस चैतन्य रूप को गर्भ में धारण किए

मनुष्य वेश में मैंने सारे कायदे तोड़ दिए

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जैसे मधुकर बुनता है अपना छत्ता

दिखता निरुदेश्य, पर मकसद का पक्का

डंक की चोट ऐसी जैसे फैल रहा हो जहर

वही गढ़ता है माधुर्य, जो दे सके केवल दिलवर

यह दिव्य प्रचंड बाला, श्यामल काय

ऐसी  कैन सी इच्छा न दें ये बुझाए

स्वयं को त्रियंबका को अर्पित करें समर्पित हों

मायावी इस संसार में आपकी हरदम फतह हो।

Love & Grace

तईपूसम के दिन को कई महानात्माओं, सिद्ध पुरुषों और योगियों ने निर्वाण के लिए चुना था।
जयभैरवी स्तुति देवी के 33 पावन नामों का उल्लेख है। जबकि देवी दंडम एक विशिष्ट प्रकार का साष्टांग नमस्कार है, जो देवी की कृपा पाने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है।