ईशा योग केंद्र में आयोजित भाव स्पंदन कार्यक्रम में भाग लेने के बाद कई प्रतिभागी आनंद की अवस्थाओं को महसूस करते हैं। आज के स्पॉट में एक प्रतिभागी अपने आनंद की तुलना उन्माद से कर रही है...

प्रश्न : नमस्कार सद्‌गुरु, भाव स्पंदन के बाद से, मेरे हठ योग अभ्यास बहुत तीव्र हो गए हैं। हर मुद्रा के बाद, मुझे उन्मत्तता महसूस होती है। शांभवी करते समय भी मैं ऐसा ही महसूस करती हूं। मेरे साथ क्या हो रहा है?

सद्‌गुरुसद्‌गुरु : आप मुझे बताइए, उन्माद के बिना जीवन क्या है? जागरूकता के बिना जीवन क्या है? आप जानते हैं कि आप जीवित हैं क्योंकि कहीं न कहीं आप जागरूक हैं। जागरूकता ही आपके अस्तित्व का आधार है। अगर आप अपनी जागरूकता को नष्ट कर दें, तो आप जीवन को ही समाप्त कर देंगे। अगर आप होश में हैं और जागरूक हैं, तो भी अच्छा है क्योंकि आप चीजों को देख सकते हैं। लेकिन अगर आप पूरी तरह नशे में होते हुए भी जागरूक रह सकें, तो क्या यह बढ़िया नहीं होगा? भाव स्पंदन यही है, कि आप नशे या उन्माद में हों मगर पूरी तरह जागरूक हों, आपको कोई हैंगओवर न हो। अगर आप चाहें तो उसे चालू कर लें और चाहें तो बंद कर दें। यह बहुत बढ़िया है और इसमें कोई खर्च नहीं लगता। आप लगातार, अंतहीन रूप से सक्रिय रह सकते हैं। आप चौबीसों घंटे उन्माद या नशे में रह सकते हैं और चौबीसो घंटे आप पूरी तरह सचेतन रह सकते हैं।

ज्यादातर लोग सिर्फ शराब पीकर ही नाच-गा सकते हैं। यह दुनिया की सच्चाई है, क्योंकि नशा इंसान की उस अकड़ को ढीला कर देता है, जो उसके दिमाग में होती है। अगर आप जान जाएं कि खुद जीवन का नशा कैसे करना है, अगर आप जान जाएं कि वाइन नहीं बल्कि चैतन्य का नशा कैसे करना है, तो आपके पास नशे और उन्माद की अंतहीन आपूर्ति होगी। वाइन सिर्फ बोतलों में आती है, वह खत्म हो जाती है। मगर इसकी आपूर्ति अंतहीन होती है और यह आपको पूरी तरह जागरूक रखता है। इसे अमृत कहा जाता है, और यह शीर्षग्रंथि (पिनीअल ग्लैंड) में पैदा होता है। हठ योग में आपको वहां तक ले जाने वाले अभ्यास हैं। मैं एक दो-दिवसीय हठ योग कार्यक्रम आयोजित करता था। लोग शुक्रवार शाम को जमा होते थे और रविवार शाम को यह समाप्त हो जाता था। शनिवार दोपहर तक, सत्तर फीसदी से ज्यादा भागीदार पूरी तरह नशे में होते थे और हर जगह डोलते रहते थे। किसी भाव स्पंदन की जरूरत नहीं थी, बस हठ योग सिखाना होता था। यही होना चाहिए, मगर इसके लिए सिस्टम की समझ के एक अलग आयाम की जरूरत होती है।

जरूरी नहीं है कि भाव स्पंदन किसी कार्यक्रम के जरिये हो। मगर चूंकि लोग अपने विचारों और भावनाओं में इतनी बुरी तरह जकड़े हुए हैं, कि आपको बलपूर्वक उन्हें एक जगह गूंथना पड़ता है, जहां बचने का कोई तरीका न हो। बचने का तरीका न होना बहुत जरूरी है क्योंकि लोग अपनी पूरी जिंदगी बचते ही रहते हैं। क्या आपको लगता है कि वे इन तीन दिनों में ऐसा करना छोड़ देंगे? उन्हें अपने जीवन में किसी दूसरे जीवन से जुड़ने के कितने मौके मिले हैं? हर दिन, ऐसे लाखों मौके आते हैं, मगर वे उनका लाभ नहीं उठाते। अगर ऐसे लोगों के पास बाहर निकलने का रास्ता हो, तो आप उन पर भरोसा कैसे कर सकते हैं। इसलिए, यह हर दिशा से बंद कर दिया जाता है, फिर वे अचानक जगते हैं। इस भौतिकता से परे जाने और जीवन को किसी दूसरे रूप में जानने का एक तरीका है।

भाव स्पंदन आपके साथ तीन दिन की मस्ती नहीं है। इसमें आपके जीवन के हर पल को पूरी तरह नशीला बनाने के लिए जरूरी चीजें हैं। यह बहुत सरल है। जहां तक मेरी जानकारी है, हाल फिलहाल में पहले कभी इतनी शक्तिशाली चीज इतने सरल तरीके से नहीं सिखाई गई है। यह बहुत ही सरल है। हो सकता है कि आपकी पीठ और कमर में थोड़ा दर्द हो, मगर उसकी वजह यह है कि आपने अच्छी तरह हठ योग नहीं किया है। वरना इसकी प्रक्रिया बहुत ही आसान, करीब-करीब बचकानी है। इसीलिए यह इतना शानदार है।

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