हम अक्सर सुनते हैं कि कुछ ख़ास तरह के आहार या फिर कुछ ख़ास कार्य, ख़ास गुणों – तमस, रजस, सत्व - से जुड़े होते हैं। आज जानते हैं कि हमारे अंदर के रजस गुण का भरपूर फायदा कैसे लिया जा सकता है...

Subscribe

Get weekly updates on the latest blogs via newsletters right in your mailbox.

सद्‌गुरु:

पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा – ये वो तीन खगोलीय पिंड हैं, जिनका हमारे शरीर के निर्माण से गहरा संबंध है। धरती माता को तमस माना गया है। सूर्य की प्रकृति रजस है। चंद्रमा को सत्व प्रकृति का माना जाता है। तमस पृथ्वी और आपके जन्म की प्रकृति है। आप जिस पल जन्म लेते हैं और हलचल शुरू करते हैं, रजस शुरू हो जाता है। रजस तत्व के सक्रिय होने के बाद आप कुछ करना चाहते हैं। एक बार कुछ करना शुरू करने के बाद, अगर कोई चेतनता या जागरूकता न हो, तो जब तक आपके साथ सब कुछ ठीक चल रहा होता है, तब तक रजस अच्छा होता है। जैसे ही परिस्थिति बिगड़ती है, रजस बहुत बुरा साबित हो सकता है।

राजसी प्रकृति वाले इंसान में बहुत ऊर्जा होती है। बस उसे सही दिशा में लगाने की जरूरत होती है।

राजसी प्रकृति वाले इंसान में बहुत ऊर्जा होती है। बस उसे सही दिशा में लगाने की जरूरत होती है। आप जो कुछ भी करते हैं, वह या तो मुक्ति की प्रक्रिया हो सकती है या फिर बंधन या उलझाव की।अगर आप किसी काम को पूरी तत्परता और अपनी खुद की इच्छा से करते हैं, तो वह काम खूबसूरत होता है और आपको आनंद देता है। अगर आप किसी भी वजह से बेमन से से कोई काम करते हैं, तो वह काम आपके लिए दुख ले कर आता है। आप चाहे कोई भी काम करें, भले ही आप फर्श पर झाड़ू लगा रहे हों, उस काम में खुद को समर्पित कर दें और पूरे मन से उस काम को करें। बस इतना ही करना है।

जब आप किसी काम में पूरे जुनून से जुटे होते हैं, तो आपके लिए बाकी चीजों का कोई अस्तित्व ही नहीं होता। जुनून या दीवानगी का मतलब पुरुष और स्त्री के बीच की दीवानगी नहीं है। जुनून का मतलब है, किसी काम में पूरे हद तक लग जाना। वह कोई भी काम हो सकता है, आप पूरे जुनून से गा सकते हैं, आप जुनून से नाच सकते हैं या आप पूरे जुनून से सिर्फ चल भी सकते हैं। आप फिलहाल जिस चीज के भी संपर्क में हैं, उससे पूरे जज्बे के साथ जुड़े हुए हैं। आप उत्साह से सांस लेते हैं, आप उत्साह से चलते हैं, आप उत्साह से जिंदगी जीते हैं। आपका अस्तित्व हर चीज के साथ पूरी तरह जुड़ा हुआ है।