पुलवामा आतंकी हमले का सद्गुरु ने दिया जवाब | Pulwama Atanki Hamla | Sadhguru
इस ब्लॉग में सद्गुरु पुलवामा आतंकी हमले के बारे में पूछे गए एक प्रश्न का उत्तर दे रहे हैं, और देश की भौगोलिक सीमाओं को तय करने का महत्व समझा रहे हैं...
प्रश्न: मेरा प्रश्न उस भीषण और भयानक हमले के बारे में है जो कल कश्मीर में हुआ और चालीस से ज्यादा सैनिकों ने अपनी जानें गंवा दी। तो, मुझे नहीं पता कि ऐसे लोगों की मनोस्थिति क्या होती है जो 300 किलो बारूद से भरी हुई कार में चढ़ते हैं और बस विस्फोट कर देते हैं।
सद्गुरु: देखिए, जैसा मैंने पहले भी कहा है, हमारी चेतना अब भी उस स्तर तक नहीं पहुंची है, जहाँ हम सारी सीमाएं और सरहदें मिटा सकें और लोग एक-दूसरे को गले लगाकर साथ रहने लगें - ऐसा कोई प्रेम सम्बन्ध नहीं चल रहा है। आज भी देश की पहचान, धर्म की पहचान और कई विचारधाराओं से जुड़ी पहचानें हमें एक दूसरे के खिलाफ कर देती हैं। ये एक स्तर पर तो बहुत सरल बात है, पर जब ये अलग-अलग रूपों में प्रकट होती है, तो ये बहुत जटिल रूप ले लेती है। आप इसे बस यूँ ही नहीं सुलझा सकते।
देश का अस्तित्व उसकी सरहदों से है
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तो, किसी देश को बनाने वाली.. किसी देश को बनाने वाली एक जरुरी चीज देश की सीमाएं हैं। क्योंकि देश का अस्तित्व उसकी सरहदों से है। अमेरिका में अभी ये कहना एक अलोकप्रिय बात हो सकती है, पर किसी देश को एक देश बनाने वाली सबसे पहली बात सिर्फ उसकी भौगोलिक सीमाएं हैं, है न? हालाँकि, लोग यहाँ-वहाँ जा सकते हैं, लोग अपनी भाषा बदल सकते हैं, लोग अपना धर्म बदल सकते हैं, लोग अपने विश्वास और विचारधाराएं बदल सकते हैं पर उसे एक राष्ट्र बनाने वाला पहला आयाम उसकी ज़मीन है।
तो इन सीमाओं को आज़ादी के बाद इतना ज्यादा नहीं घसीटा जाना चाहिए था। ये एक बहुत बड़ी गलती है। उन्हें तुरंत ही तय कर देना चाहिए था। पर दुर्भाग्य से, उन्होंने इन्हें तय नहीं किया। मैं अब कोई राजनीतिक पोस्ट-मॉर्टेम नहीं करना चाहता, पर देश की सीमाओं को तय न करना एक बहुत बड़ी गलती है। देश की सीमाएं तय न करना बहुत बड़ी गलती है। आज भी वो लाइन ऑफ़ कंट्रोल है, वो देश की सीमा नहीं है। वो एक लाइन ऑफ़ कंट्रोल है जो हमेशा कण्ट्रोल से बाहर रहती है। और भी कई चीजें हैं, मैं अभी कोई राजनीतिक टिपण्णी नहीं करना चाहता।
मनुष्य होने का संघर्ष
तो आप मनोस्थिति के बारे में पूछ रहे हैं। इसे कई तरह से बताया जा चुका है, वो उस चीज़ के लिए लड़ रहे हैं जिसपर उनका विश्वास है। आप उस चीज़ के लिए लड़ने की कोशिश कर रहे हैं, जिसपर आपका विश्वास है। ये लगातार चलता जाएगा, आप समझे? या तो आप अपने विश्वास को बदलिए या वे अपने विश्वास को बदलें। और निकट भविष्य में ऐसा होता नहीं दिख रहा। ऐसा नहीं लग रहा। या तो आपमें दुश्मनी को ख़त्म करने की समझ हो, आप दुश्मनी को मार दें, आपमें ऐसी समझ होनी चाहिए। अगर ऐसी समझ संभव नहीं है, तो दुर्भाग्य से, ये स्वाभाविक रूप से दुश्मन को मारने में बदल जाएगा। ये स्वाभाविक रूप से होगा। क्या मैं ये कह रहा हूँ? नहीं। ये स्वाभाविक रूप से होगा चाहे आप इसे पसंद करें या नापसंद।
तो, बस इसलिए कि कोई सरहद के पार रहता है, क्या आप उसे मार देना चाहते हैं? बिलकुल नहीं। पर साथ ही, क्या आप ये चाहते हैं कि आप इस देश की रक्षा करें? ये इन्सान होने की एक दुर्भाग्यपूर्ण दुविधा है।
अगर आप जानवर होते, और अगर कोई आपकी सीमा लाँघ कर आपके क्षेत्र में आ जाता तो आप उसे मार देते, ठीक है? हेल्लो? ये मनुष्य होने की दुविधा है, कोई आपकी सीमा पार करता है, आपको उसे मारना पड़ सकता है पर आप सच में मारना नहीं चाहते।
ये मनुष्य होने का संघर्ष है। ये संघर्ष मनुष्य में हमेशा होना चाहिए। अगर ये संघर्ष चला जाए तो आप पशु बन जाएँगे। हमारे भीतर ये संघर्ष होना चाहिए पर देश के कल्याण के लिए हमें निर्णायक कदम उठाना होगा। मैं राष्ट्र की बात क्यों कर रहा हूँ? मेरे लिए राष्ट्र राजनीतिक सत्ता नहीं है, राष्ट्र मेरा देशप्रेम नहीं है। मैं वैसा नहीं हूँ। मेरे लिए, देश वो सबसे बड़ा जनसमूह है, जिसके बारे में आप कुछ कर सकते हैं। अगर आप खुशहाली लाना चाहते हैं, तो आप पूरी दुनिया के बारे में कुछ नहीं कर सकते। हेलो?
आप पूरी दुनिया के बारे में यूं ही कुछ नहीं कर सकते, आपके पास वैसे साधन नहीं हैं कि आप ऐसा कर सकें। सबसे अच्छा होगा, कि आप सबसे बड़े मानव समूह के बारे में कुछ करें - जो राष्ट्र है। अगर आप विस्तार में जाएं, तो प्रदेश हो सकते हैं, धर्म हो सकते हैं, जातियां और हर तरह की चीजें हो सकती हैं। वहां मत जाइये। देश के बारे में कुछ कीजिये क्योंकि ये सबसे बड़ी जनसँख्या है जिस तक आप पहुँच सकते हैं।
इस संदर्भ में, देश की सीमाएं सबसे महत्वपूर्ण है। हालाँकि, जो हमें करना है , वो हमें करना ही पड़ेगा पर हमारे दिल में तब भी तकलीफ होनी चाहिए जब हम किसी ऐसे इंसान को नुकसान पहुंचाते हैं, जो हमारे लिए खतरा है। हमारे दिल में थोड़ी तकलीफ होनी चाहिए, वरना हम अपनी मानवता खो देंगे।