क्या करूं क्या ना करूं
हम अपने जीवन में अनेक चुनौती भरा काम करते हैं और जोखिम भरे फैसले लेते हैं जो आगे चलकर हमारा भविष्य तय करते हैं। लेकिन कब क्या निर्णय लेना है या काम करना है - यह कैसे पता चले? पढिए सद्गुरू इस बारे में क्या कहते हैं‐‐‐‐
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सद्गुरु: अगर आप यहाँ विचारों, भावनाओं और निष्कर्षों के ढे़र के रूप में बैठते हैं, आप कभी नहीं जान पाओगे कि क्या जरूरी है। अधिकांश लोग ऐसे ही हैं। जिस प्राणी को आप इंसान कहते हैं, वाकई में वह प्राणी नहीं है; वह मात्र विचारों, भावनाओं और निष्कर्षों का एक ढे़र है, जिसे उसने कहीं से इकट्ठा कर लिया है। अगर आप एक ऐसी स्थिति में हैं, फिर आप कभी नहीं जान पाओगे। अगर आप यहाँ सहज एक जीवन के रूप में बैठते हैं, फिर आप हमेशा जानेंगे। आप हमेशा यह जानेंगे कि क्या जरूरी है। आपको इसके बारे में सोचने की जरूरत नहीं है। जानने के लिए आपको खुद को शिक्षित नहीं करना है।
कोई भी इंसान, जो यहाँ जीवन के रूप में बैठ पाता है, वह सहज ही जानेगा कि उसके आसपास के दूसरे लागों की क्या जरूरतें हैं; लेकिन अगर वह यहाँ विचारों, भावनाओं और निष्कर्षों के बंडल के रूप में बैठता है, फिर उसकी पूरी समझ बिगड़ जाएगी और वह कभी भी नहीं जान पाएगा। वह हमेशा जीवन के बारे में गलत निष्कर्ष निकालेगा। जब आप यह नहीं जानते कि जीवन के साथ क्या हो रहा है, फिर आप अपने जीवन को केवल विचारों, भावनाओं और निष्कर्षों के द्वारा ही चलाते हैं। यह आपको अपने भीतर एक पूरे विनाश की तरफ ले जाएगा, और अगर आप एक शक्तिशाली आदमी हैं, तो आप पूरे संसार को ले डूबेंगे। आज-कल यह हो रहा है। लोग बहुत ज्यादा निष्कर्षों पर आधारित हो गए हैं, है कि नहीं ? इसलिए मैं कहता हूं कि भविष्य और भूत में नहीं अभी और यहीं जियो। और यह तभी संभव होगा जब आप जीवन को पल पल जागरूकता में जीने लगें।