सद्गुरु की पहली हिंदी कविता
कल सुबह सद्गुरु, विमान से कोलकाता से सूरत जा रहे थे। ये उनकी पहली सूरत यात्रा है, और वे वहाँ के लोगों से जुड़ना चाहते थे। तो उन्होंने सूरत - जिसे विश्व की हीरों की राजधानी के रूप में भी जाना जाता है - के लोगों के लिए अपनी पहली हिंदी कविता लिखी।
लगभग तीन दशक पहले ऐसा ही हुआ था, जब सद्गुरु तमिलनाडु के एक छोटे शहर में गए थे। उन्हें आभास हुआ, कि लगभग 60 फीसदी लोग उनके शब्दों को समझ नहीं पा रहे, और तब अचानक उनसे जुड़ने के लिए, उन्होंने तमिल भाषा में बोलना शुरू कर दिया।
जब उन्होंने तमिल में बात करना शुरू किया, तो लोग उनके तमिल शब्दों के उच्चारण को सुनकर जोर-जोर से हँसने लगे। और उसी पल वे सद्गुरु से गहरे जुड़ गए। भाषा के इस असर को देखकर, अगले तीन हफ़्तों में सद्गुरु ने अपनी बात कहने के लिए कुछ तमिल शब्द सीख लिए।
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उनके अनूठे तमिल वाक्यों को सुनकर तमिल श्रोता मंत्रमुग्ध हो जाते हैं, और पिछले तीन दशकों में सद्गुरु के काम से तमिल नाडू के लाखों लोगों के जीवन में खुशहाली का संचार हुआ है।
आज का दिन, हिंदी भाषी लोगों के लिए एक यादगार दिन है, क्योंकि आज सद्गुरु, सूरत के लोगों के लिए विशेष रूप से लिखी गयी एक हिंदी कविता के माध्यम से, हिंदी श्रोताओं से जुड़ रहे हैं।
पढ़ें ये कविता :
हे सूरत तेरी हिम्मत
जीवन जीतने के लिये तू
हीरों को हरा दिया
पत्थर लेकर आभरण बना दिया
इस जीव का लक्ष्य जीत कर
हो जाओ जीवन मुक्त
हे सूरत तेरी हिम्मत