किसी से काम करवाना कई बार खुद करने से ज्यादा मुश्किल लगने लगता है। ऐसे में हम गुस्सा करते हैं। क्या गुस्सा काम बना सकता है? तो फिर कैसे करवाएं दूसरों से काम?

सद्गुरु:

हम ‘प्रोफेशनल’ या ‘पेशेवर’ शब्द का इस्तेमाल ऐसे व्यक्ति के लिए करते हैं जो किसी चीज को बिना किसी भावना के साथ करता है। वह किसी काम को वैसे ही करता है जैसा किए जाने की जरूरत होती है। अगर कोई किसी काम को उसी तरह से करता है जिस तरह से करने के लिए वह प्रशिक्षित किया गया है तो क्रोध या किसी दूसरी चीज के लिए जगह ही कहां बचती है? ‘वह बहुत प्रोफेशनल है’ सामान्यतः इसका मतलब यह होता है कि वह ऐसी-वैसी किसी भी चीज के लिए भावुक नहीं होता, किसी काम को भावुकता के साथ नहीं करता, वह बस वही करता है जिसे करने की जरूरत होती है।

इसलिए अगर आप प्रोफेशनल की तरह काम करते हैं तो आपकी जिंदगी बदरंग हो जाती है। अगर आप अव्यवसायी हैं तो अच्छा है, लेकिन अगर आप स्वयंसेवक हैं तो ये और भी अच्छा है। एक तरह से अद्भुत है।

एक प्रोफेशनल की बजाए एक अव्यवसायी के रूप में काम करना ज्यादा अच्छा है। आम तौर पर लोग उस व्यक्ति को अव्यवसायी कहते हैं जो यह नहीं जानता कि क्या करना चाहिए। मैं नौसिखिए के बारे में बात नहीं कर रहा हूं, मैं एक अव्यवसायी के बारे में बात कर रहा हूं। अव्यवसायी वह है जो किसी चीज को इसलिए करता है क्योंकि उस चीज को करने का जुनून उसके अंदर है। जो वह कर रहा है उसके लिए उसका कोई मतलब होता है। लेकिन एक प्रोफेशनल काम में मतलब नहीं खोजता। किसी चीज को किया जा रहा है क्योंकि इससे कोई परिणाम निकलेगा, बस। प्रोफेशनल की सोच यहीं तक होती है। उसकी जिंदगी बंजर भूमि की तरह होती है। जब तक आप उस काम से जुड़ाव महसूस नहीं करते जो आप कर रहे हैं, जब तक वो काम आपके लिए बहुत मायने नहीं रखता, तब तक वो आपके लिए समय और जिंदगी की बर्बादी है। यह बात सभी पर लागू होती है।
कुछ करने से काम से जुड़ाव पैदा नहीं हो जाता। बल्कि अगर आपमें जुड़ने की भावना या कहें क्षमता है तो कुछ खास चीजें सहजता से घटित होती हैं। आपके अस्तित्व का यह सबसे सुन्दर तरीका है। अगर आप बिना किसी जुड़ाव के एक ही चीज करते चले जाते हैं तो जिंदगी बेहद बदसूरत हो जाती है।
इसलिए अगर आप प्रोफेशनल की तरह काम करते हैं तो आपकी जिंदगी बदरंग हो जाती है। अगर आप अव्यवसायी हैं तो अच्छा है, लेकिन अगर आप स्वयंसेवक हैं तो ये और भी अच्छा है। एक तरह से अद्भुत है। जिस काम को करने की जरूरत है अगर आप उस काम को हमेशा जोश के साथ करने की इच्छा रखते हैं तो ये बहुत सुंदर बात है। ऐसी स्थिति में आपके लिए ये बातें मायने नहीं रखेंगी कि आपके काम का परिणाम क्या होगा, आपके रास्ते में कौन आएगा, कौन आपका सहयोग करेगा, कौन सहयोग नहीं करेगा आदि। अभी जो भी आप करें, उसमें अपनी पूरी शक्ति झोंकते हुए उसे करें। यही रवैया हर बार रखें ताकि हर चीज जो आप करें वो सुन्दर बन जाए।

एक समस्या जो आपके साथ है वो ये कि आप प्रोफेशनल हैं। दूसरी समस्या है - आपका गुस्सा। आपको ऐसा क्यों लगता है कि गुस्से से चीजें ठीक हो सकती हैं? जब आप लोगों से कुछ कहते हैं और वो नहीं करते हैं तो आपको गुस्सा आता है। लेकिन गुस्से की जरूरत नहीं है। जरूरत है अपने काम से जुड़ने की। अगर आपके आस-पास के लोग ये देखते हैं कि आप बड़े जुनून से किसी काम को कर रहे हैं तो वो क्यों नहीं काम करेंगे? जब आप हर काम जोश के साथ करते दिखेंगे तो आपके आस-पास के लोग भी काम करेंगे।

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