प्रश्न : किसी ने कहा है कि जब एक बच्चा जन्म लेता है तब उसके साथ 'जीवन कैसे जियें' नामक कोई निर्देश पुस्तिका नहीं आती। अगर हम ऐसी नियमावली लिखना चाहें कि इंसान को जन्म से मृत्यु तक कैसे रहना चाहिए, तो ये पुस्तक आखिर कैसी होगी?

सद्‌गुरु : खाली किताब सबसे बढ़िया होगी! आजकल आप हर चीज़ को मशीन बना रहे हैं। सिर्फ आप के लिये ‘उपयोगी’ हो सके, एक मनुष्य के जीवन में इसके अलावा और भी आयाम होते हैं। यह ज़रूरी नहीं है कि एक मनुष्य किसी के लिये उपयोगी हो। बात सिर्फ ये है कि गाड़ी में बंधे बैल जंगल में छलांगे मारते हिरनों को देख कर सोचते हैं, "वे अपना जीवन बरबाद कर रहे हैं, किसी के लिये कोई काम के नहीं हैं, बेकार हैं"। लेकिन हिरन मौज में हैं, आनंद कर रहे हैं। आप बंधे हुए हैं और आप में कोई आनंद नही है।

उपयोगी होने के प्रयत्न में अगर आप एक आनंद-रहित मनुष्य हो जाते हैं तो जीवन के सभी उद्देश्य हार जाते हैं। आप क्या कर रहे हैं, इसका कोई अर्थ नहीं रह जाता। समाज की नज़र में चाहे आपको वैसा चेहरा ले कर घूमने के लिये, और आप ने दुनिया के लिये जो कुछ भी किया है, उसके लिये शायद कुछ इनाम मिल जाये लेकिन जीवन के लिए इसका कोई मतलब नहीं है।

हर सामान्य बच्चा एक पूर्ण जीवकी तरह होता है। आप एक बच्चे को सिर्फ उसकी पूर्ण क्षमता प्राप्त करने के लिये पोषित कर सकते हैं। आप उनको कुछ और नहीं बना सकते।

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निर्देश पुस्तिका को छोड़ दें

अपने जीवन को किसी और की बुद्धिमत्ता से देखना बंद कीजिये। अपने जीवन को थोड़ी ज्यादा बुद्धिमत्ता से देखना सीखिये। यदि और कोई प्रभाव न पड़ने दिये जायें तो हरेक के पास अपने जीवन को संवेदनशीलता के साथ देखने की बुद्धिमत्ता तो होती है। समस्या ये है कि आप भूतकाल के और वर्तमान के भी आदर्श, सफल व्यक्तियों से बहुत प्रभावित होते हैं। आखिर में तो, आप मानसिक रूप से बस प्रशंसक दल के ही सदस्य होते हैं। प्रशंसक होना एक बहुत ही बुनियादी मानसिकता है।

हर सामान्य बच्चा एक पूर्ण जीवकी तरह होता है। आप एक बच्चे को सिर्फ उसकी पूर्ण क्षमता प्राप्त करने के लिये पोषित कर सकते हैं। आप उनको कुछ और नहीं बना सकते।अगर आप के ख्याल में नारियल का वृक्ष ही एक आदर्श वृक्ष हो, और आप के बगीचे में एक आम का पौधा उग आता है तो आप क्या करेंगे ? चूँकि यह नारियल के वृक्ष की तरह नहीं दिखता तो क्या आप उसकी सिर्फ एक सीधी डाल छोड़ कर बाक़ी सब डालें काट डालेंगे ? यह तो एक बहुत ही ख़राब आम का पेड़ होगा। ऐसे ही, आप सिर्फ एक काम कर सकते हैं कि बच्चे को उसकी पूर्ण बुद्धिमत्ता, शारीरिक खुशहाली तथा भावनात्मक खुशहाली प्राप्त करने के लिये पोषित करें। यह तभी होगा जब आप उसको सिर्फ पोषण दें, उससे छेड़छाड़ न करें।

 

उनके पास खुद की काफी बुद्धि है कि वे अपना रास्ता बना सकें। अगर आप उसके लिये आवश्यक औरअनुकुल वातावरण बनायें जिससे उसकी बुद्धि पूर्ण विकसित हो सके तो वह अपने हिसाब सेसब कुछ संभाल लेगा।

एक अनुकूल माहौल बनाना

Sadhguru with Samskriti student

                                                                                         'संस्कृति के विद्यार्थियों के साथ सदगुरु'

 

बच्चे आप के माध्यम से दुनिया में आते हैं, वे आप में से नहीं आते। यह कभी मत सोचिये कि वे आप के हैं। यह आप का विशेष अधिकार है कि वे आप के द्वारा आये हैं। तो आप का काम यह है कि आप उन्हें प्रेमपूर्ण तथा सहायक वातावरण प्रदान करें। उन पर अपने विचार, फिलोसफी, अपनी भावनायें, एवं विचार प्रणाली और अन्य फालतू की चीज़ें मत थोपिये। उनके पास खुद की काफी बुद्धि है कि वे अपना रास्ता बना सकें। अगर आप उसके लिये आवश्यक और अनुकुल वातावरण बनायें जिससे उसकी बुद्धिमत्ता पूर्ण विकसित हो सके तो वह अपने हिसाब से सब कुछ संभाल लेगा।

 

"क्या सब कुछ ठीक होगा"? ये सही हो सकता है, ये गलत भी हो सकता है -- मुद्दा ये नहीं है। लेकिन अगर बच्चा अपनी बुद्धि का उपयोग करते हुए बड़ा होता है तो गलत होने की सम्भावना बहुत कम है। अगर वो गलती भी करता है तो उसे सुधारने के लिये उसके पास बुद्धि है। जब तक वे सिर्फ अपनी खुशहाली के लिये काम कर रहे हैं और अपने जीवन के ही विरुद्ध कुछ नकारात्मक नहीं कर रहे, आप को प्रतीक्षा करनी चाहिये। जब तक बच्चा 21 साल का न हो जाये तब तक आप को ऐसे रहना चाहिये जैसे कि आप गर्भवती हैं। आप बस प्रतीक्षा कीजिये। जब बच्चा अंदर था तब आप कुछ नहीं करते थे, है न ? बस अपने आप को सही ढंग से पोषित किया और प्रतीक्षा की। बस वैसे ही -- सही वातावरण बनाइये और प्रतीक्षा कीजिये।