प्रदीप: सद्‌गुरु, आप अक्सर कहते हैं कि अगर आत्मज्ञान ही वह चीज है जिसकी आपको तलाश है और आप मेरे संपर्क में आ गए हैं, तो अब चिंता मत कीजिए, मैं सब देख लूंगा। मेरा सवाल है कि हम और किस चीज की खोज कर सकते हैं? मेरा मतलब है कि आप हमेशा आत्मज्ञान और परम प्रकृति की बात करते हैं, हम आत्मज्ञान के अलावा क्या किसी और चीज की कामना कर सकते हैं?

सद्‌गुरु: अगर तलाश के लिहाज से, अनुभव करने और जानने के लिहाज से बात की जाए, तो आत्मज्ञान से बढ़कर कुछ नहीं है। खोज करने के लिए वाकई कुछ और नहीं है। लेकिन अगर जीवन जीने के लिहाज से बात की जाए तो उसके अलावा भी बहुत कुछ है।

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सिस्टम पर महारत हासिल करने के लिए साधना जरुरी है

देखिए जीवन के आखिरी पलों में जब आपकी सांसें डूब रही होंगी, उस समय आपको आत्मज्ञान कराना मेरे लिए बच्चों का खेल होगा। क्योंकि उन क्षणों में आप बेहद संवेदनशील और ग्रहणशील हो जाते हैं। तब आपको आसानी से बदला जा सकता है। लेकिन अभी मैं आपसे कुछ भी कहता हूं तो कुछ देर बाद आप एक नए तर्क के साथ मेरे पास आ जाते हैं। मैं चाहे आपके साथ कुछ भी करूं, मैं आपको चाहे जैसे अनुभव कराऊं, लेकिन आप दो महीने बाद वापस आ जाएंगे और मुझसे पूछेंगे कि ‘यह क्या है?’ लेकिन फिलहाल हम आपका जीवन नहीं लेना चाहते, इसलिए हम इंतजार कर रहे हैं। हम बस आपके मरने का इंतजार कर रहे हैं। या फिर हम इसका इंतजार कर रहे हैं कि आप अपने सिस्टम पर पूरी महारत हासिल करें, ताकि आप आत्मज्ञानी हो जाएं और साथ ही इस शरीर में भी रह सकें। अब अगर आप अपने सिस्टम पर महारत हासिल करना चाहते हैं तो यह आत्मज्ञान की तरह नहीं है। आत्मज्ञान सरल है, यह परम प्रक्रिया है, लेकिन अपने आप में आसान है।

दूसरों तक आत्मज्ञान पहुंचाने के लिए साधना करनी होगी

कहा भी गया है - ‘आत्मज्ञान अति सुलभम्’। आत्मज्ञान पाना बहुत आसान है, लेकिन अपने इस शरीर को थामे रखने की तकनीक काफी जटिल है। इसके लिए जबरदस्त समझ, जुड़ाव, प्रज्ञा और साधना की जरूरत होती है। अगर आपके पास तकनीक होगी, तभी आप - आत्मज्ञान फैलाने का या किसी दूसरे व्यक्ति के लिए आत्मज्ञान पाने की एक संभावना बनने का - एक प्रभावशाली उपकरण बन सकते हैं।

अगर आपके पास तकनीक होगी, तभी आप - आत्मज्ञान फैलाने का या किसी दूसरे व्यक्ति के लिए आत्मज्ञान पाने की एक संभावना बनने का - एक प्रभावशाली उपकरण बन सकते हैं।

चलिए हम इसे ऐसे समझते हैं। मान लीजिए हमने आपके लिए फरारी का इंतजाम किया। आप पहले से ही कार चलाना जानते हैं, अभी तक आप मारुति कार चला रहे थे। फरारी में जिस तरह की शक्ति होती है, उसके चलते हो सकता है कि शुरू में यह आपको थोड़ा बहुत नचाए व परेशान करे। लेकिन एक दिन में या फिर कुछ घंटों में आपको फरारी समझ में आने लगती है और तब आप इसे दौड़ाने लगते हैं। लेकिन अब आप चाहते हैं कि हर व्यक्ति के पास एक फरारी हो। अब आप अपने गांव में फरारी बनाना चाहते हैं। आपको तोहफे में फरारी मिली और आपने उसे चलाया, यह अलग चीज है। अब आप चाहते हैं कि हर व्यक्ति के पास एक फरारी हो, इसमें एक बिल्कुल अलग तरह की भागीदारी की जरूरत होगी।

ब्रह्मचारी या सन्यासी तैयार करने के पीछे यही कारण है

Bhramacharya

तो केवल उस संदर्भ में मैंने कहा कि अगर आपको आत्मज्ञान की तलाश है तो आप इंतजार कीजिए। लेकिन अगर आप एक उपकरण बनना चाहते हैं, एक साधन बनना चाहते हैं, आप कई और लोगों के लिए आत्मज्ञान की एक प्रक्रिया बनना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको एक अलग स्तर की साधना की जरूरत होगी। हम लोग अलग-अलग तरीकों से अलग-अलग स्तर के साधक क्यों तैयार करते हैं? हम लोगों ने क्यों ब्रह्मचारी और संन्यासी बनाए? अगर आप सिर्फ आत्मज्ञान चाहते हैं तो आपको इन सब चीजों की जरूरत नहीं होती। लेकिन हम ऐसे लोगों का समूह तैयार करना चाहते हैं, जो भविष्य में एक उपकरण बन सकें। अगर वे स्थितियों को ठीक ढंग से संभाल लेते हैं, अगर वे इस प्रक्रिया के लिए खुद को पूरी तरह से सौंप देते हैं तो वे लोग एक प्रभावशाली उपकरण बन सकते हैं। फिर यह चीज एक जीवंत व प्रभावशाली उपकरण के रूप में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक जारी रह सकती है। यह चीज किसी सूचना या किताब के रूप में नहीं, बल्कि एक जीवंत चीज के रूप में रहनी चाहिए, जिसे विकृत न किया जा सके।

जब यह अनुभव के स्तर पर जीवंत होती है तो इसके विकृत होने का सवाल ही नहीं उठता, यह पूरी तरह से शुद्ध और स्पष्ट बनी रहती है। तो उसी संदर्भ में मैं कह रहा हूं कि अगर आप ज्ञान चाहते हैं तो यह उपलब्ध कराना मेरे लिए आसान है। हालांकि यह कोई छोटी चीज नहीं है।