कभी कभी हम ऐसी स्थिति में फंस जाते हैं, जहां हमारे बॉस हमसे कम काबिल लगने लगते हैं। पर हमें उनक प्लान के हिसाब से चलना पड़ता है। ऐसी स्थति में क्या करना चाहिए?

किसी संस्था के एक असिस्टंट डायरेक्टर मुझसे मिलने आए। उन्होंने बड़ी मायूसी के साथ पूछा, ‘‘मेरे अंदर जितनी काबिलियत है उसका चौथाई अंश भी कंपनी के डायरेक्टर में नहीं है। यह मेरी बदकिस्मती है कि मुझे उनके अधीन काम करना पड़ रहा है। यह बदहाली कब बदलेगी?’’

किसी न किसी गुण के कारण बॉस वहां पहुंचे हैं

आप में से कई लोगों के मन में अपने ‘बॉस’ के बारे में कहने के लिए ऐसी ही कुछ फरियाद होगी।

जरा सोचकर देखिए, इसका मतलब यही तो निकला कि अगर कोई व्यक्ति आप से ऊँचे पद पर बैठा है तो उसके अंदर आपकी तुलना में कोई न कोई गुण या योग्यता है... तभी तो वह वहाँ तक पहुँच गया है। भले ही वह उसकी क्षमता हो सकती है... पैसे की ताकत हो सकती है... धाक या लोकप्रियता हो सकती है... घूस देकर ओहदा पाने की होशियारी भी हो सकती है।

जीवन में जिन लोगों ने प्रगति की है, उनमें से किसी ने दूसरों की शिकायत करने में अपना वक्त बरबाद नहीं किया, बल्कि अपनी पूरी क्षमता के साथ लगन से काम किया और बुलंदियाँ छू गए।

जो भी हो, इतना तो मानना पड़ेगा कि वह गुण आपके अंदर नहीं है, है न?

आपसे ऊँचे ओहदे पर बैठने के एकमात्र कारण से यह जरूरी नहीं है कि उसके सारे काम, सभी निर्णय ठीक ही होंगे।

इस बात की क्या कोई गारंटी है कि उनकी जगह आप बैेठे होते तो आप हर काम को सही ढंग से कर दिखाते? नहीं न?

इसी सिलसिले में मुझे एक मजेदार किस्सा याद आ रहा है।

एक बार की बात है, पोप अमेरिका पधारे थे। उनका स्वागत करके शहर में ले जाने के लिए एक बहुत ही शानदार गाड़ी हवाई अड्डे पर तैयार खड़ी थी।

पोप ने अभी तक ऐसी एक विलासिता पूर्ण गाड़ी में यात्रा नहीं की थी। शानदार अंदाज में खड़ी उस गाड़ी को देखते ही पोप के मन में उसे चलाकर देखने की ललक पैदा हो गई।

ड्राइवर पहले तो हिचका मगर खुद पोप ऐसी इच्छा जाहिर कर रहे हैं, वह मना नहीं कर पाया।

पोप गाड़ी चलाने लगे। उनके अंग-अंग में खुशी की लहर दौड़ रही थी। शक्तिशाली इंजन और कल-पुर्जों से लैस वह गाड़ी सडक़ पर पहुँचते ही धड़ाधड़ गति पकडऩे लगी।

‘हाइवे’ में गाड़ी चलाने के लिए निश्चित गति सीमा से कहीं अधिक तेजी से भाग रही उस गाड़ी को देखते ही पुलिस सतर्क हो गई। पुलिस की गाडिय़ाँ उस कार का पीछा करने लगीं।

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हो सकता है, कोई सुपरवाइजर कारीगरों द्वारा किये जा रहे किसी काम में अपनी हुनर नहीं दिखा सकता। लेकिन अपनी टीम के सभी कारीगरों के हुनर को, उनकी क्षमता को बाहर लाने में उसे महारत हासिल है।

एक मुकाम पर पहुँचकर पुलिस की गाडिय़ों ने पोप द्वारा चलाई जा रही गाड़ी को रोक ही लिया।

जो अफसर पूछताछ करने आया, पोप को देख, सहमकर पीछे हट गया। उसने अपने आला अफसर को फोन किया।

‘‘सर... ओवर स्पीड का एक मामला है... लेकिन गाड़ी में जो बैेठे हैं उन्हें बुक करते हुए डर लग रहा है।’’

‘‘क्यों? क्या वे केनडी परिवार के कोई सदस्य हैं?’’

‘‘नहीं सर।’’

‘‘तो जॉर्ज बुश की जान-पहचान का कोई है?’’

‘‘जी नहीं... पता नहीं चल रहा है, पीछे की सीट पर बैेठे वी.आई.पी. कौन हैं। मगर उन्होंने स्वयं पोप को अपनी गाड़ी का ड्राइवर बना रखा है!’’

हो सकता है उसमें गुण परखने का हुनर हो

इसी तरह देखिए न, कौन-सा व्यक्ति किस पद पर बैठा है, उसी के आधार पर उसकी हैसियत बन जाती है। काबिलियत के बिना संयोग से कोई आदमी ऊँचे पद पर पहुँच जाए तो वह ज्यादा समय तक उस पद पर टिक नहीं पाएगा। इसलिए आप उस बात की परवाह न करें।

मान लीजिए कि आप कोई स्टेनो हैं। ऐसे में क्या आप प्रलाप कर सकते हैं,

‘‘देखिए, मेरे बॉस को इतना भी पता नहीं है कि टाइपराइटर पर कौन-सा अक्षर कहाँ है। मेरा दुर्भाग्य यह है कि मुझे ऐसे व्यक्ति के अधीन काम करना पड़ रहा है।’’

जीवन में जिन लोगों ने प्रगति की है, उनमें से किसी ने दूसरों की शिकायत करने में अपना वक्त बरबाद नहीं किया, बल्कि अपनी पूरी क्षमता के साथ लगन से काम किया और बुलंदियाँ छू गए।

हो सकता है, कोई सुपरवाइजर कारीगरों द्वारा किये जा रहे किसी काम में अपनी हुनर नहीं दिखा सकता। लेकिन अपनी टीम के सभी कारीगरों के हुनर को, उनकी क्षमता को बाहर लाने में उसे महारत हासिल है।

मुमकिन है, आपके कुछ कौशल आपके बॉस में न हों। लेकिन क्या आपके अंदर उनकी तरह सभी कर्मचारियों को संभालने की क्षमता है?

अगर आपके अंदर वैसी क्षमता है तो आपकी तरक्की को कोई नहीं रोक सकता। भले ही मौजूदा कंपनी में फौरन तरक्की न मिले, किसी और कंपनी का ऊँचा पद आपका इंतजार कर रहा होगा।

बस पूरी क्षमता से काम करते रहिये

इसलिए आपके ऊपर चाहे कोई भी बैठा हो, बड़बड़ाना छोड़ दीजिए। पूरी लगन और क्षमता के साथ काम करते रहिए।

ऐसी स्थिति बन जाए कि आपका बॉस आपकी सहायता के बिना काम संभाल न पाए या आपके बिना कंपनी चल न पाए। फिर हुकूमत की बागडोर आपके हाथ में आकर रहेगी।

अगर कंपनी के प्रबंधन को पता है कि आपके काम करने का ढंग आपके बॉस से बढिया किस्म का है तो प्रबंधन क्यों उसे वहाँ रखता? आप को ही न उस जगह पर बिठाता? ऐसा काम करना छोडक़र मन ही मन कुढ़ते रहेंगे तो आप पूरी लगन से काम नहीं कर पाएँगे।

यदि आप ऐसी स्थिति पैदा कर दें कि आपके बिना कंपनी नहीं चल सकती, तो आपका बॉस आपको तंग करके भगाने की कोशिश क्यों करेगा?

यदि आप ऐसी स्थिति पैदा कर दें कि आपके बिना कंपनी नहीं चल सकती, तो आपका बॉस आपको तंग करके भगाने की कोशिश क्यों करेगा?

जीवन में जिन लोगों ने प्रगति की है, उनमें से किसी ने दूसरों की शिकायत करने में अपना वक्त बरबाद नहीं किया, बल्कि अपनी पूरी क्षमता के साथ लगन से काम किया और बुलंदियाँ छू गए।

चाहे किसी भी तरह का माहौल हो, हर परिस्थिति में आप पूर्ण रूप से मौजूद रहिए। आपके अंदर जितनी योग्यता है, जैसी क्षमता है उसके अनुपात में जरूर आप तरक्की पाएँगे। आपकी उन्नति को कोई नहीं रोक सकता।