जब व्यक्ति गुंबद के भीतर प्रवेश करता है, तो उसकी आँखें अनायास उस भव्य और विशालकाय उपस्थिति की ओर जाती हैं, जो ध्यानलिंग है। उस स्थान के मध्य में स्थित - पवित्र गर्भगृह - ध्यानलिंग 13 फीट 9 इंच ऊँचा है और संसार का विशालतम पारा युक्त जीवंत लिंग है। ध्यानलिंग को एशिया में पाए जाने वाले उच्चतम घनत्व के काले ग्रेनाइट के एक अकेले पत्थर से बनाया गया है। सद्गुरु, पुराने समय से हो रहीं ध्यानलिंग की प्रतिष्ठा की कोशिशों की चर्चा करते हुए बताते हैं, ”भोपाल के निकट, भोजपुर में एक और ध्यानलिंग पूर्णता की ओर था किंतु स्थापित करने के दौरान ही उसमें दरार आ गई क्योंकि ऊर्जाओं को मुहरबंद करने में विलंब हो गया था।“ उस तरह की घटना से बचने के लिए प्रतिष्ठा के दौरान, सद्गुरु ने अपने भीतर उच्च ऊर्जा पैदा की थी, और एक ताली बजाकर लिंग के बीच एक खड़ी दरार लगा दी थी।

ध्यानलिंग के चारों ओर, सात फनों वाले सर्प की आकृति में अवुदैयार है। उस पात्र को इसी तरह बनाया गया है कि उसकी लंबाई भी लिंग के समान, 13 फीट 9 इंच ही है। ध्यानलिंग के ठीक ऊपर टँगे, सुवर्ण मंडित ताँबे के गुंबद से, ध्यानलिंग पर निरंतर जल टपकता रहता है। इस तरह वह सदा गीला रहता है और साधक के लिए उससे ऊर्जा ग्रहण करना सरल हो जाता है। लिंग पर निरंतर गिरती जल की बूँदों की ध्वनि सारे गुंबद में गूँजती हैं और साधक को ध्यानमग्न होने में समय नहीं लगता। लिंग के आसपास जलसीमा है, कमल से सुसज्जित जलसरोवर, यह बहुत ही शीतल प्रभाव देता है और ऐसा लगता है जैसे ध्यानलिंग जल पर प्रवाहित हो रहा हो।