अनादि; जिसका कोई आरंभ नहीं। अगर किसी चीज़ का आरंभ न हो, तो ये पक्का है कि उसका कोई अंत भी नहीं होता। हालाँकि 200 साधक यहाँ 90 दिन से उपस्थित हैं, जिन्होंने अनादि की चुनौती ग्रहण की, जिन्होंने इसकी शारीरिक, मानसिक व अन्य चुनौतियों को स्वीकार किया। अनादि कुछ ऐसा नहीं, जिसे केवल 90 दिनों में ही समाप्त मान लिया जाए। आप जिसे अनादि कहते हैं, वह तो हमेशा से मौजूद था। हमारे पास विकल्प यह है कि हम सजग भाव से इसमें प्रवेश करें और जीवन की इस विशाल लहर की सवारी करें, या फिर अचेतन भाव से इस लहर के साथ बह जाएँ। अस्तित्व का आधार तो सदा से यही है कि – ये अनादि है, और अंतहीन भी है।