सद्‌गुरुनदी अभियान रैली की शुरुआत कोयंबतूर से हुई और फिर रैली मदुरै की और बढ़ गई।  इनके आगे के पड़ाव थे - कन्याकुमारी, तिरुवनंतपुरम। पढ़ते हैं  त्रिची और पांडिचेरी के कार्यक्रमों और गतिविधियों के बारे में और देखते हैं कुछ तस्वीरें

चौथा दिन

तिरुचिरापल्ली में स्वागत

रैली देर रात त्रिची पहुंची। समारोह स्थल कावेरी नदी के किनारे बनाया गया था । लगातार हुई भारी बारिश से स्थल पर कई जगह जल भराव की समस्या हो गयी थी और थोड़ी अव्यवस्था भी थी। लेकिन रैली के लिए आए लोगों पर इन सब बातों का कोई असर नहीं दिखा। उनके जोश और उत्साह में कोई कमी नहीं थी ।

समारोह  के मुख्य अतिथि

मंच गणमान्य अतिथियों से करीब करीब भर गया था। अतिथियों के बीच दो विशेषज्ञ भी मौजूद थे  नम्मलवर इकोलॉजिकल फाउण्डेशन के श्री अन्गल्स राजा और कीट विज्ञान विशेषज्ञ श्री पी एन सेल्वम। इसके अलावा वहां कई कृषि समूहों के प्रतिनिधि, सेंट जोसफ कॉलेज के श्रद्धेय फादर लियो फर्नान्डो और सीबीआई के भूतपूर्व विशेष निदेशक श्री डी आर कार्तिकेयन भी उपस्थित थे।

 

 

पांचवा दिन

सद्गुरु के दिन की शुरुआत जल्दी हो गयी थी उन्होंने त्रिची के किसानों से मुलाक़ात की और उसके बाद बड़े आयोजन में गए। फिर एक घंटे का वक़्त निकालकर सद्गुरु प्राचीन जम्बूकेश्वर मंदिर गए । उसके बाद वे पुडुचेरी के लिए रवाना हो गए।

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रास्ते में उन्होंने एन एल सी इंडिया लिमिटेड के निदेशकों और कर्मचारियों से मुलाक़ात की । एन एल सी इंडिया लिमिटेड पूर्व में नेयवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन लिमिटेड थी।

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सद्‌गुरु ने समाप्त हो रही नदियों की स्थिति की एक रूपरेखा दी और सभी को विस्तार से समझाया की उन्होंने क्यों नदी अभियान को आरम्भ किया है।

सद्‌गुरु ने बताया की इस नीति की सिफारिशों में कई सारी पेचीदगियां है तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी इसमें अपनी तकनीकी विशेषग्यता से सहयोग दे रही है।

वहां आए लोगो सद्‌गुरु से वादा किया की वे नदी अभियान की मुहिम को जारी रखेंगे और सुनिश्चित करेंगे की तमिलनाडु में सभी 80009 80009  पर मिसकॉल दें।

 

उलुंदुरपेट्टई में उन्होंने राजमार्ग के किनारें इकट्ठा हुए लोगो से बात की, बाद में वे विल्लुपुरम ईशा विद्या के विद्यार्थियों से मिलने के लिए रुके और जहा उन्होंने सभी को नदी अभियान के लिए प्रेरित किया ।

मदगादिपेट में सद्गुरु स्थानीय किसानो के समूहों से मिलने के लिए रुके और उन सभी से समर्थन मांगा साथ ही सद्गुरु ने सभी को समझाया की वह इस नदी अभियान के माध्यम से क्या करना चाह रहे हैं।

और फिर पुडुचेर्री में दाखिल होने से पहले उन्होंने मीडिया को एक इंटरव्यू दिया। नौजवान पत्रकार ने सद्गुरु से पूछा की साठ वर्ष की उम्र में भी वे अपने आप को ऐसा कैसे रख लेते हैं। सद्गुरु ने जवाब देते हुए कहा कि अगर आपमें जीवन के प्रति जोश और समावेश का भाव है तो हर दिन ऐसा ही होता है। नदी अभियान में हो सकता है हम लोगों की साँसें फूल जाएं, लेकिन सद्‌गुरु हर दिन ऐसे ही जीते हैं।

पुडुचेर्री में थोड़ा समय था इसलिए रैली में आए लोगों को शहर घूमने का अवसर मिला। कुछ लोग फ्रेंच क्वाटर देखने गए लेकिन आखिरकार सभी शहर घूमने गए लोग बीच पर ही पहुंच गए।

आसमान में चाँद करीब करीब पूरा हो चुका था। समंदर की लहरें किनारों से टकराकर वहां पड़ी चट्टानों को भिगो रही थी और वहीं गाँधी जी की मूर्ति के पास साउंड्स ऑफ़ ईशा के लोग अपने यंत्रो के साथ साउंड चेक कर रहे थे।

यह एक मनमोहक शाम थी जहां खाने के स्टॉल्स, हेंडीक्राफ्ट बाजार था और साथ में थी समंदर से आती ठंडी हवाएं यह सब बातें एक खूबसूरत कार्यक्रम का भरोसा दिला रहीं थी।

चित्रा, नदी अभियान के कार्यक्रम में सुबह समय पर पहुँचने के लिए कांचीपुरम से 170 किलोमीटर की यात्रा करके पुडुचेरी पहुँची थी।

" मुझे शुरुआत में इस रैली की महत्ता समझ नहीं आई थी पर जब मैंने सद्गुरु को इस बारे में समझाते हुए सुना तो धीरे धीरे सबकुछ मुझे समझ आने लगा । नदी स्तुति भारतम महाभारतम तो बहुत शानदार है मैं जितनी बार इसे सुनती हूं उतनी बार इससे प्रेरित हो जाती हूं । हमने अपने शहर में भी जागरूकता फैलाने के लिए कठिन प्रयास किए है। मैं यहां आकर और इस कार्यक्रम का हिस्सा बनकर बहुत खुश हूं।" उन्होंने कहा।

महात्मा पुडुचेरी

पता नहीं क्यों पर महात्मा हमारी रैली के कार्यक्रमों के चलते फिरते प्रतीक बन गए थे। मदुरै में हम गाँधी मेमोरियल में थे और यहाँ पुडुचेर्री में भी यह कार्यक्रम राष्ट्रपिता की आँखों के सामने ही हो रहा है उनकी अत्यधिक आकर्षक मूर्ति के सामने समंदर के किनारे ।

साउंड्स ऑफ़ ईशा के एक धमाकेदार तमिल लोकगीत से कार्यक्रम शुरू हुआ। सद्गुरु का आगमन हुआ उन्होंने एक क्षण को तेज़ी से उगते सूरज और समंदर को निहारा।

फिर उन्होंने पुडुचेरी के मुख्यमंत्री थिरु वी नारायणसामी का कार्यक्रम में स्वागत किया। मंच पर सद्गुरु के अलावा मुख्यमंत्री थिरु वी नारायणसामी मंत्री थिरु नमसीवाय और थिरु एम कंडासामी भी मौजूद थे।

 

 

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मुख्यमंत्री ने पवित्र गंगा व अन्य नदियों के बारे में अपने अनुभवों को सुनाया साथ ही उन महत्वाकांक्षी परियोजनाओं के बारे में भी जानकारी दी जिन्हें वह किसी कारण या मुश्किलों की वजह से पूरा नहीं कर पाए। उन्होंने कहा " कि अगर देश की सभी राजनैतिक पार्टियां एक साथ आएं तो हमारी नदियों को बचाया और संरक्षित किया जा सकता है "। " मैं ईश्वर से प्रार्थना हूं की वे सद्गुरु को इस अभियान को पूरा करने की शक्ति दे " ।

सद्‌गुरु ने कहा नेता और राजनेता जब कोई निष्पक्ष आवाज़ सुनते हैं तो वे सभी साथ आने को तैयार हो जाते हैं। 16 राज्यों के लगभग सभी मुख्य मंत्रियों ने तुरंत इस अभियान में साथ जुड़ने का फैसला लिया था।

पुडुचेरी के आदित्य विद्याश्रम की पांचवी कक्षा के छात्र आदित्य ने नदियों पर निबंध के माध्यम से पर्यावरण को बचाने के सुझाव दिए जिसके लिए आदित्य को कैमलिन के राज्य स्तरीय पुरस्कार से नवाज़ा गया।

"हमें स्थानीय तालाब और नदियों को गोद लेना चाहिए, पेड़ लगाने चाहिए और अपने आस पास को हरा भरा बनाना चाहिए"। जबरदस्त स्थानीय अभियान हो सकता है!