किसी ख़ास तरह से बैठने या खड़े से ऐसे क्या बदलाव आते हैं कि योग का अभ्यास करने वाले शरीर और मन के स्तर पर बदलाव महसूस करने लगते हैं? जानते हैं योगासन के विज्ञान के बारे में

“योग का सारा विज्ञान अपने अस्तित्व की ज्यामिति को समझना है क्योंकि पूरा अस्तित्व एक तरह की ज्यामिति है और आपका शरीर भी एक तरह की ज्यामिति है।”

सृष्टि ज्यामिति का एक खास जटिल रूप है। पूरा ब्रह्मांड ज्यामितीय रूप से सटीक है। इसी लिए वह वहां टिका हुआ है, वरना ऐसा नहीं होता। अगर आप अपने शरीर को एक खास तरीके से संभाले रखते हैं, अगर आपके शरीर की ज्यामिति का बाकी सृष्टि की ज्यामिति के साथ तालमेल है, तो अचानक आपको लगेगा कि वहां एक ऐसा संपर्क बन गया है जिससे आप पूरे ब्रह्मांड को डाउनलोड कर सकते हैं।

ब्रह्माण्ड को डाउनलोड कर सकता है शरीर

इन दिनों, ‘टाटा स्काई’ और ‘डिशनेट’ के आने के बाद से, आपके लिए यह समस्या शायद खत्म हो गई हो लेकिन उससे पहले हर बार बारिश के बाद आपको जाकर अपने टीवी एंटेना को ठीक करना पड़ता था। आप अपना पसंदीदा सोप ओपेरा या क्रिकेट मैच देख रहे होते थे और अचानक तस्वीरें गायब हो जातीं। आपको ऊपर जाकर उसे ठीक करना होता था, वरना वह कुछ भी नहीं दिखा पाता। आपका एंटेना एक खास तरह से होगा, तभी आपको कुछ मिल पाएगा।

यह शरीर बिल्कुल वैसा ही है। आप यहां पर जीवन को समझने के लिए हैं। अगर आप उसे सही तरीके से, सही ज्यामिति में रखेंगे, तो वह पूरे ब्रह्मांड के फैलाव को ग्रहण और डाउनलोड कर सकता है। उसे एक खास तरीके से रखने के लिए, आपको अपने शरीर को एक आराम की अवस्था में रखना चाहिए। वरना अगर वह सख्ती या दबाव की स्थिति में होगा, तो आप उस जगह तक नहीं पहुंच पाएंगे, जहां वह जीवन को धारण कर सके, वह उसे बाधित करेगा और घटित नहीं होने देगा।

शरीर को देखकर मन का पता चल सकता है

क्या आपने देखा है कि आपके अपने घर और ऑफिस में, आपके दोस्तों में, हर किसी की समझ अलग-अलग होती है? मैं चाहता हूं कि आप बस इसे देखें – इस बारे में बात न करें – अगर आपको अपने दोस्तों में या परिवार में कोई ऐसा व्यक्ति मिलता है, जिसकी समझ दूसरों से बेहतर हो, तो आप उनके शरीर संचालन में एक स्पष्‍ट अंतर देख सकते हैं।

पूरी योग प्रणाली एक तरीके से शरीर की ज्यामिति को ठीक करने से जुड़ी है, ताकि वह आपके बाहर नहीं, आपके भीतर जीवन के घटित होने के लिए एक संपूर्ण एंटेना बन जाए।
अगर आप महसूस करते हैं कि कोई व्यक्ति सुस्त है, उसे कोई कामयाबी नहीं मिल रही है, तो देखिए कि वह अपने शरीर का संचालन कैसे करता है। आपको समझ आ जाएगा कि आपके जीवन या अस्तित्व की ज्यामिति से मेरा क्या मतलब है। आप अपने शरीर को कैसे संभालते हैं, इससे आपके बारे में सब कुछ तय होगा।

पूरी योग प्रणाली एक तरीके से शरीर की ज्यामिति को ठीक करने से जुड़ी है, ताकि वह आपके बाहर नहीं, आपके भीतर जीवन के घटित होने के लिए एक संपूर्ण एंटेना बन जाए। आपके बाहर क्या घट रहा है, वह आप नहीं जान सकते, आप वही जानते हैं जो आपके भीतर घट रहा है। आप उसे समझेंगे, तभी जान पाएंगे। अगर आप उसे नहीं समझते, तो आप नहीं जानते। इसलिए, अगर आप अपनी समझ को बढ़ाना चाहते हैं, तो आपको अपने शरीर की ज्यामिति को सुधारना होगा। योग बस यही है।

क्या आपको पता है कि सिर्फ बैठना सीखने के लिए आपको कितना योग करना पड़ता है? किसी खास तरीके का काम करने के लिए सही मुद्रा में बैठने के लिए किसी व्यक्ति को बहुत प्रशिक्षण की जरूरत पड़ती है। अगर आप सिर्फ हाथ और पैर हिलाएं, तो उससे सब कुछ बदल जाता है। हाथ और पैर बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। यहां तक कि मेडिकल की भाषा में भी आप जानते हैं कि ज्यादातर नसों के सिरे हाथों और पैरों में होते हैं। मेडिकल सिस्टम इस बात को स्वीकार करता है कि आपकी नसें अनुभूतियों का संचारण करती हैं।

जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है अनुभूति

आपकी अनुभूति सबसे महत्वपूर्ण चीज है। क्या आपने उस हर चीज का अनुभव किया है जो एक मनुष्‍य कर सकता है, या आपने जीवन के अनुभव के बिना जिंदगी जी है? मेरे लिए यही सवाल महत्वपूर्ण है।

आसन एक मुद्रा है। आपका शरीर असंख्य मुद्राएं अपना सकता है। इनमें से, कुछ मुद्राओं को योगासन के रूप में पहचाना गया है।
आपने कितनी लंबी जिंदगी जी है, वह बिल्कुल भी महत्वपूर्ण नहीं है, सबसे महत्वपूर्ण यह है कि जीवन का आपका अनुभव कितना गहरा रहा है, है न? अगर आप हर चीज की अनुभूति करना चाहते हैं, तो आपको अपने शरीर की ज्यामिति को सही तरीके से व्यवस्थित करना सीखना होगा। इसी लिए हम आसनों, मुद्राओं और क्रियाओं के साथ शुरुआत करते हैं, ताकि आपके शरीर की ऊर्जा ज्यामिति को इस तरह व्यवस्थित कर सकें कि वह खुद ब्रह्मांड का अनुभव करने में सक्षम हो सके।

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“अपने शरीर को आराम से एक खास मुद्रा में लाने से, आप अपनी चेतनता को भी बढ़ा सकते हैं। आप सिर्फ एक खास तरीके से बैठते हुए अपने महसूस करने, सोचने, समझने और जीवन का अनुभव करने के तरीके को बदल सकते हैं।”

आसन एक मुद्रा है। आपका शरीर असंख्य मुद्राएं अपना सकता है। इनमें से, कुछ मुद्राओं को योगासन के रूप में पहचाना गया है। “योग” का मतलब है जो आपको जीवन के एक अधिक ऊंचे आयाम या ऊंची अनुभूति की ओर ले जाए। इसलिए जिस तरह की मुद्रा आपको एक अधिक ऊंची संभावना की ओर ले जाए, उसे “योगासन” कहते हैं।

हर मानसिक स्थति की एक विशेष मुद्रा है

आपने ध्यान दिया होगा कि आप जिन विभिन्न मानसिक और भावनात्मक स्थितियों से गुजरते हैं, आपका शरीर स्वाभाविक रूप से एक खास मुद्रा अपना लेता है। अगर आप खुश हैं, तो आप एक तरीके से बैठते हैं। जब आप नाखुश होते हैं, तो आप दूसरे तरीके से बैठते हैं। जब आप शांत होते हैं, तो एक तरीके से बैठते हैं, अगर आप क्रोधित होते हैं, तो दूसरे तरीके से बैठते हैं।

योगासन कसरत नहीं हैं। वे आपकी ऊर्जा को एक खास दिशा की ओर मोड़ने की बहुत सूक्ष्म प्रक्रियाएं हैं। उसे एक खास चेतनता के साथ किया जाना चाहिए।
आपने कभी ध्यान दिया है कि कई बार, लोग जैसे बैठे हों, उसे देख कर ही आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उसके अंदर क्या हो रहा है? इसके आधार पर, इसके विपरीत आसान का विज्ञान है – आप जानबूझकर अपने शरीर को एक खास मुद्रा में लाते हुए अपनी जागरूकता भी बढ़ा सकते हैं। एक खास तरीके से बैठते हुए आप अपने महसूस करने, सोचने, समझने और जीवन का अनुभव करने का तरीका बदल सकते हैं।

योगासन कसरत नहीं हैं। वे आपकी ऊर्जा को एक खास दिशा की ओर मोड़ने की बहुत सूक्ष्म प्रक्रियाएं हैं। उसे एक खास चेतनता के साथ किया जाना चाहिए। आसन करने के विभिन्न स्तर हैं। आप सिर्फ शारीरिक स्तर पर आसन कर सकते हैं या अपनी सांस, संवेदनाओं, गूंजों पर ध्यान देते हुए, नाडियों के प्रति सचेत रहते हुए या उचित मंत्रों के साथ अधिक गहराई से कर सकते हैं। आप किसी अंग को हिलाए बिना भी आसन कर सकते हैं। यह भी संभव है।

हठ योग का अर्थ

हठ योग आसनों का विज्ञान है। “ह” का मतलब है सूर्य और “ठ” का मतलब है चंद्रमा। योग की पहली प्रक्रिया आपके अंदर के पुरुषोचित और स्त्रियोचित गुणों के बीच संतुलन लाना है। वरना चेतनता में बढ़ोत्तरी नहीं होगी। इसी कारण शिव को अर्धनारीश्वर के नाम से जाना जाता है – उनका आधा भाग स्त्री का और दूसरा आधा भाग पुरुष का है। वह एक पुरुष हैं और पुरुषत्व के प्रतीक हैं। साथ ही, वह स्त्री भी हैं क्योंकि इस संतुलन को लाए बिना, इन दो आयामों को अपने भीतर विकसित किए बिना, हम चोटी पर नहीं पहुंच सकते, इसके बिना किसी मनुष्‍य के उसकी अधिकतम क्षमता तक विकसित होने का सवाल ही नहीं है। यही वजह है कि आप योग के जिस पहले आयाम का अभ्यास करते हैं, वह है हठ योग। इसका मतलब है कि सूर्य और चंद्रमा का योग पुरुषोचित और स्त्रियोचित गुणों में संतुलन ला रहा है। यह योग का पहला कदम है।

चौरासी आसन और आसन सिद्धि

योगासनों में, चौरासी आसन हैं, जिनके माध्यम से व्यक्ति अपनी चेतनता को बढ़ा सकता है। जब हम चौरासी आसनों की बात करते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि वे चौरासी शारीरिक मुद्राएं हैं।

जिन लोगों ने अपनी जीवन शैली के रूप में हठ योग को अपना लिया है, वे आम तौर पर अपने जीवन की साधना के लिए एक आसन अपना लेते हैं। इसे आसन सिद्धि के रूप में जाना जाता है।
ये चौरासी प्रणालियां हैं, चेतनता हासिल करने के चौरासी रास्ते। इनमें से, अगर आपने एक भी योगासन में महारत हासिल कर ली, तो जीवन में जो कुछ भी जानना महत्वपूर्ण है, आप वह सब जान सकते हैं। जिन लोगों ने अपनी जीवन शैली के रूप में हठ योग को अपना लिया है, वे आम तौर पर अपने जीवन की साधना के लिए एक आसन अपना लेते हैं। इसे आसन सिद्धि के रूप में जाना जाता है। आसन सिद्धि का मतलब है कि वह व्यक्ति पूरी सहजता से एक खास तरीके से बैठने में समर्थ है। अधिकतर लोग अपने शरीर को चाहे जैसे भी रखें, वह आराम की स्थिति में नहीं होता। अगर आप बैठते हैं, तो आराम नहीं महसूस करते। अगर आप खड़े होते हैं, तो वह आरामदेह नहीं होता। अगर आप लेटते हैं, तो वह आरामदेह नहीं होता। इससे कैसे निपटें? अगर आप अपने शरीर को योग से परिचित कराएं, तो शरीर धीरे-धीरे आराम की स्थिति में आ जाता है। अगर आप इस तरह बैठें, तो वह पूरी तरह आराम से होता है। वह किसी और रूप में रहने की कोशिश नहीं करता।

हठ योग क्यों हुआ विकृत?

ज्यादा सोच-विचार करने वाले लोग नहीं समझ सकते कि एक व्यक्ति अपना पूरा जीवन एक खास तरीके से बैठने की इच्छा में कैसे बिता सकता है। लेकिन सिर्फ एक शारीरिक मुद्रा पर अधिकार प्राप्त करते हुए वह सब कुछ अनुभव किया जा सकता है, जो अनुभव करना संभव है। योगासन का यही मतलब है।

हठ योग इसलिए विकृत हो गया है क्योंकि लोग उसे सर्कस की तरह लेने लगते हैं। पश्चिम में हठ योग जिस तरह हो रहा है, वह मुझे डराता है क्योंकि योग के नाम पर हर तरह की चीजें की जा रही हैं, जो योग नहीं हैं।

लेकिन सिर्फ एक शारीरिक मुद्रा पर अधिकार प्राप्त करते हुए वह सब कुछ अनुभव किया जा सकता है, जो अनुभव करना संभव है। योगासन का यही मतलब है।

हाल में, मैं युवाओं के एक समूह के साथ गोल्फ खेल रहा था, उन्होंने पूछा, “आप क्या करते हैं?”

मैंने उस सवाल को अनदेखा कर दिया और शॉट खेलने के बाद चलता रहा। उन्होंने मेरे साथ चल रहे किसी से पूछा, तो उसने जवाब दिया, “वह योग सिखाते हैं।”

वे तत्काल दौड़ कर मेरे पास आए और बोले, “क्या आप हमें कुछ सिखा सकते हें, जिससे हम सिक्स पैक एब्स पा सकें।”

मैं बोला, “मैं आपको चौदह दे सकता हूं, अगर आप चाहें।”

शरीर एक पात्र है, दिव्यता को आमंत्रित करने के लिए

यह आपके शरीर को तराशने और उसका दिखावा करने के लिए नहीं है। यह ईश्‍वर को प्राप्‍त करने के लिए शरीर को एक शानदार पात्र, एक उम्दा माध्यम बनाने के लिए है। हठ योग एक अद्भुत प्रक्रिया है, लेकिन आज बहुत से फिजिकल थैरेपिस्ट और विशेषज्ञ हठ योग पर किताबें लिख रहे हैं और लोगों को यकीन दिला रहे हैं कि यह एक व्यायाम है। यह कोई व्यायाम की व्यवस्था नहीं है। स्टुडियो योग दुर्भाग्यवश उसका सिर्फ शारीरिक पहलू है। योग का सिर्फ शारीरिक पहलू सिखाना एक मृत शिशु को जन्म देने जैसा है। अगर आप एक जीवंत चीज चाहते हैं, तो उसे एक खास तरीके से सिखाने की जरूरत होती है। सही वातावरण में, पूरी प्रक्रिया के बारे में समग्रता और विनम्रता की एक खास भावना के साथ सिखाए जाने पर हठ योग एक बहुत अद्भुत प्रक्रिया है। अगर मैं दो दिन का हठ योग कार्यक्रम करूं, तो लोगों की आंखों में परमानंद के आंसू उमड़ आएंगे, योग इसी तरह किया जाना चाहिए।

संपादक की टिप्पणी:

*कुछ योग प्रक्रियाएं जो आप कार्यक्रम में भाग ले कर सीख सकते हैं:

21 मिनट की शांभवी या सूर्य क्रिया

*सरल और असरदार ध्यान की प्रक्रियाएं जो आप घर बैठे सीख सकते हैं। ये प्रक्रियाएं निर्देशों सहित उपलब्ध है:

ईशा क्रिया परिचय, ईशा क्रिया ध्यान प्रक्रिया

नाड़ी शुद्धि, योग नमस्कार