सही ढंग से जीने के लिए यह बहुत जरूरी है कि आप एक ऐसी जगह में रहे जो पवित्र हो, जहां विशुद्ध ऊर्जा हो।इसी मकसद से अपने यहां गृह प्रवेश का चलन है। लेकिन दुर्भाग्य से आज लोग इस पवित्र परंपरा को कम महत्व दे रहे हैं:

सद्‌गुरु:

आमतौर से भारत में दो प्रकार के गृह प्रवेशों का चलन है। जब किसी महिला का विवाह होता है, तो उसका अपने पति के घर में प्रवेश करना एक बड़ी बात मानी जाती है। हालांकि आजकल यह बड़ी बात नहीं रह गई है, क्‍योंकि हो सकता है कि वे दोनों पहले से ही साथ में रहते हों। लेकिन हां, पहले यह एक बड़ी बात थी। गृह प्रवेश उस वक्त एक बहुत पवित्र प्रथा होती थी, क्‍योंकि आपके घर में प्रवेश करने वाली महिला का स्वभाव और प्रकृति आपके भविष्य, आपकी संतान और आपके रहन सहन के तौर तरीकों को निर्धारित करती है। महिला का अपने घर-परिवार के प्रति प्रेम और समर्पण की भावना के साथ घर में प्रवेश करना ज्यादा महत्वपूर्ण है। अगर वह अपने दिल और दिमाग में कुछ और लेकर आती है तो वह उस परिवार को विनाश की ओर ले जाएगी। इसीलिए यह सुनिश्चित किया जाता था कि वह पूरे सौभाग्य और सम्‍मान के साथ घर में प्रवेश करे।

दूसरी तरह का गृह प्रवेश वह होता है, जब हम एक नया घर बनाते हैं। तब आप एक प्रक्रिया अपनाते हैं, जो उस जगह को जीवंत कर देती है और उसे रहने लायक बनाती है। हर किसी की इच्छा होता है कि उसका घर अच्छी स्थिति में हो। घर की बनावट, उसकी खूबसूरती, रंग आदि के साथ जो बात सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है, वह यह है कि उस जगह की ऊर्जा कैसी है। गृह प्रवेश उस स्थान को पवित्र करने का एक छोटा सा तरीका है। सोचकर देखिए, कभी भी अपवित्र घर में कोई नहीं आना चाहता। जीवन ऊर्जा को और बेहतर बनाने के लिए ये चीजें जरूर की जाती थीं, ताकि घर में रहने वाले लोग सुखी जीवन व्यतीत कर सकें।

 एक समय था, जब लगभग हर परिवार अपने घर में प्रवेश से पहले गृह प्रवेश की रस्म को पूरी तरह निभाता था। अपने घर की बेहतरी के लिए वे लगातार कुछ न कुछ करते रहते थे।

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अपने घर को पवित्र बनाने के लिए कोई भी ऐसा तरीका अपना लिया जाता था जो उनकी नजर में सर्वोत्तम हो। अगर किसी राज्य का कोई राजा ज्ञानी और सभी का हित चाहने वाला होता था, तो वह अपने पूरे राज्य की ही प्रतिष्ठा करा देता था। वह राज्य में कई जगहों पर प्रतिष्ठा कराता था, ताकि राज्य का हर शख्‍स ऐसी पवित्र जगहों पर रह सके। यह ऐसी स्थिति होती थी, जिसमें चाहे आप चल रहे हों, चाहे अपना व्यापार कर रहे हों या फिर अपने घर में ही क्‍यों न हों, आप हमेशा पवित्र जगह पर होते थे। अगर आप ऊर्जा, समझ और क्षमता से भरपूर परिष्कृत इंसानों की पीढिय़ां पैदा करना चाहते हैं तो आपको ऐसी ऊर्जा और जगहों की आवश्यकता होगी ही। वरना गलती से या व्यक्तिगत सामर्थ्य से ही कोई कुछ बन जाए तो बन जाए, लेकिन अगर आप अच्छे और समझदार लोगों की एक पूरी पीढ़ी का निर्माण करना चाहते हैं तो यह मुमकिन नहीं हो पाएगा।

किसी भी इंसान को अपवित्र स्थान पर नहीं रहना चाहिए, यह धारणा इस संस्कृति में गहराई तक समाई हुई है। यह ऐसे है जैसे अगर आप इस धरती में कोई पौधा लगाते हैं तो वह फल फूल तभी देगा, जब उसकी जड़ें खनिजों से भरपूर जमीन में जमी रहेंगी। जिस जमीन में पौधा लगाया गया है, अगर उसमें खनिज पदार्थों की कमी होगी, तो पौधे पर फल फूल नहीं आएंगे। और अगर आ भी गए, तो वे पूर्ण विकसित नहीं होंगे। इसीलिए जीवन के इन पहलुओं को हम हमेशा खास महत्व देते हैं।

एक समय था, जब लगभग हर परिवार अपने घर में प्रवेश से पहले गृह प्रवेश की रस्म को पूरी तरह निभाता था। अपने घर की बेहतरी के लिए वे लगातार कुछ न कुछ करते रहते थे। साल में कम से कम एक बार वे सभी आवश्यक रीति-रिवाज करते थे, ताकि अपने घर को परिष्कृत कर सकें। किसी व्यक्ति के लिए अपनी पूरी सामर्थ्य के साथ बढऩे के लिए एक अच्छा वातावरण कैसे तैयार किया जाता है, इस दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम था।

 गृह प्रवेश, इंसान रूपी पौधे को बढऩे और फलने फूलने के लिए उन्हें उपजाऊ मिटटी उपलब्ध कराने जैसा है।

तो गृह प्रवेश, इंसान रूपी पौधे को बढऩे और फलने फूलने के लिए उन्हें उपजाऊ मिटटी उपलब्ध कराने जैसा है। दुर्भाग्य की बात है कि ज्यादातर लोग, जो इन चीजों को किया करते थे, इन चीजों के महत्व को समझने की बजाय भ्रष्ट हो गए या फिर इन चीजों को महज निबटाने के नजरिए से करने लगे। इसलिए आम लोगों ने इस तरह की प्रक्रियाओं को कराना बंद कर दिया। आज नए घर में जाने का मौका लोगों के लिए केवल पार्टी करने और खाने-पीने का ही रह गया है। आज आप सुख की ओर नहीं जा रहे हैं, बल्कि सुख प्राप्त करना आपके लिए बेहद मुश्किल होता जा रहा है।

बौद्धिक ज्ञान की प्रचुरता और पैसा सुख नहीं लाते। इस बात को आप रोजमर्रा की जिंदगी में भी महसूस कर सकते हैं। जिंदगी के लिए जरूरी सिद्धांतों की अनदेखी करने के कारण आज अमीर समाज के लोग भी सुख से नहीं जी पा रहे हैं। इसलिए सही ढंग से जीने के लिए यह बहुत जरूरी है कि आप एक ऐसी जगह में रहे जो पवित्र हो जहां विशुद्ध ऊर्जा हो।

भैरवी पुण्य पूजा अपने घर या दफ्तर में भरपूर ऊर्जा लाने की अनूठी प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में अशुभ ऊर्जाओं को दूर रखने के लिए आपके घर की दहलीज पर पवित्र सूत्र बांधे जाते हैं। एक विधिवत भूतशुद्धि प्रक्रिया से तत्वों को शुद्ध करके वातावरण को देवी की कृपा के योग्य बनाया जाता है। देवी के शक्तिशाली प्रभामंडल में रहने के कारण आप के जीवन में खुद ब खुद कुशलता व खुशहाली आती हैं। भैरवी पुण्य पूजा नये-पुराने घरों, कार्यालयों तथा आवासीय और कारोबारी इमारतों के लिए की जाती है।

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