सद्‌गुरुदेश विदेश की कई संस्कृतियों में सांप की केंचुल के इस्तेमाल के उदहारण मिलते हैं। क्यों छोड़ता है सांप केंचुल? किन अलग-अलग तरीकों से केंचुल का उपयोग किया जाता है?

प्रश्न : सद्‌गुरु, मेरी मां ने एक लंबे से सांप को अपनी केंचुल छोड़ते हुए देखा और उन्होंने उस केंचुल को अपने पास रख लिया। मैं जानना चाहता हूं कि सांप की केंचुल रखना क्या ठीक होता है? क्या केंचुल में भी उपचार के कुछ गुण होते हैं? जब सांप केंचुल छोड़ रहा था तो उसकी लंबाई लगभग 5 फीट रही होगी।

सांप को अपने व्यान प्राण पर महारत होती है

सद्‌गुरु : हमेशा से लोग इस केंचुल का कुछ खास तरीकों से इस्तेमाल करते रहे हैं। लोगों ने कोबरा को इंसान के मृत्यु चक्र से जोड़ा है, क्योंकि इसकी एक वजह यही है कि यह अपनी केंचुल उतारता है।

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चूंकि भारतीय संस्कृति में सांप को मारना वर्जित माना गया है, इसलिए यहां के लोग केंचुल से ही काम चलाते हैं। वे सांप को मारने के बजाय वे उसकी छोड़ी गई केंचुल को ही खाते हैं।
केंचुल, जो शरीर की ऊपरी पर्त होती है, उसे उतारने के बाद सांप फिर से तरोताजा और फुर्तीला हो उठता है। यह एक अलग तरह आयाम है, जिसे सांप अपने व्यान प्राण पर खास तरह की अपनी महारथ के चलते प्राप्त कर पाता है। व्यान प्राण आपके भीतर ऊर्जा का वह आयाम है जिसकी प्रकृति सुरक्षा प्रदान करने वाली है। इसकी इसी क्षमता के चलते, केंचुल छोडऩा अपने आप में एक नए जीवन की शुरुआत है। जब भी सांप केंचुल छोड़ता है, वह तरोजाता होकर सामने आता है, शायद कई बार तो यह अपनी मौजूदा स्थिति से काफी युवा होकर सामने आता है। अगर उम्र की बात करें तो यह अपने आप में एक तरह की उम्र कम होने की प्रक्रिया है। हालांकि इससे उम्र वाकई कम नहीं होती, लेकिन यह कुछ उसी तरह की प्रक्रिया है।

सांप का केंचुल आलसी कुत्तों को खिलाया जाता है

केंचुल का इस्तेमाल लोग कई अलग-अलग तरीकों से करते हैं। जब हम लोग छोटे थे तो उस समय कुछ लोग इस केंचुल को अपने कुत्तों को खिलाया करते थे।

माना जाता है कि इन दिनों केंचुल का सेवन करने से आपकी सेहत, जीवन शक्ति, विचार व धारणा जैसी कई चीजों में खासा सुधार आता है।
उनका मानना था कि इसे खाने से उनका कुत्ता खूंखार हो जाएगा। अगर आपका कुत्ता इतना आलसी है कि वह न तो किसी पर भौंकता है और न ही काटता है तो आप उसे इस उम्मीद में सांप की खाल खिला देते हैं कि वह इसे खाने से खूंखार हो उठेगा। मैं एक ऐसे मूढ़ कुत्ते को जानता हूं, जिसे दर्जनों केंचुल खिलाई गईं, लेकिन वह कहीं से भी खूंखार नहीं हुआ। अब लगता है कि शायद वह बेहद शांतिप्रिय प्राणी रहा होगा।

केंचुल का चर्म रोगों में इस्तेमाल

लोग केंचुल का इस्तेमाल कुछ तरह के चर्म रोगों में किया करते हैं। मध्य प्रदेश की कुछ खास जनजातियां बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल किया करती हैं। आप पाएंगे कि कुछ जनजातियां, जो कुदरती रूप से काफी पूर्वानुमानी होती हैं, अगर आप उनके झोले में देखेंगे तो आपको वहां सांप की खाल अवश्य मिलेगी।

मैं एक ऐसे मूढ़ कुत्ते को जानता हूं, जिसे दर्जनों केंचुल खिलाई गईं, लेकिन वह कहीं से भी खूंखार नहीं हुआ। अब लगता है कि शायद वह बेहद शांतिप्रिय प्राणी रहा होगा।
यह खाल उन्होंने सांप मार कर नहीं हासिल की होती, बल्कि सांप द्वारा छोड़ी गई केंचुल होती है। यह केंचुल वे लोग हमेशा अपने झोले में इसलिए रखते हैं, क्योंकि वे महीने के कुछ खास दिनों में इसका खास इस्तेमाल करते हैं। महीने में शिवरात्रि से लेकर अमावस्या और उसके बाद के उन तीन दिनों में जब आसमान में चांद लगभग गायब होता है, वे सांप की खाल का सेवन करते हैं। माना जाता है कि इन दिनों केंचुल का सेवन करने से आपकी सेहत, जीवन शक्ति, विचार व धारणा जैसी कई चीजों में खासा सुधार आता है।

यह सब करने की जरूरत नहीं है

दूसरी कई और संस्कृतियों में भी कुछ इसी तरह की मान्यताएं हैं। जैसे चीनी संस्कृति, पुराने ईसाई संप्रदाय के साथ-साथ दक्षिण अमेरिका और कंबोडिया में भी माना जाता है कि सांप के मांस खाने से उपरोक्त चीजों में सुधार होता है। चूंकि भारतीय संस्कृति में सांप को मारना वर्जित माना गया है, इसलिए यहां के लोग केंचुल से ही काम चलाते हैं। वे सांप को मारने के बजाय वे उसकी छोड़ी गई केंचुल को ही खाते हैं। पर मैं आपसे यही कहूंगा कि आपको यह सब करने की जरूरत नहीं है।