सद्‌गुरुईशा के हठ योग कार्यक्रमों में 84 योग आसनों में से सिर्फ 21 आसन ही सिखाये जाते हैं। एक साधक ने सद्‌गुरु से जानना चाहा कि उन्होंने ये 21 आसन ही क्यों चुनें? सद्‌गुरु बता रहे हैं कि 84 आसनों में से कुछ साधना पद से जुड़े हैं और कुछ कैवल्य पद से...

प्रश्न : सद्‌गुरु, ईशा हठ योग कार्यक्रम में सिखाने के लिए आपने चौरासी पारंपरिक शास्त्रीय आसनों में से इक्कीस आसनों का ही चयन किया है। आपने इन्हीं इक्कीस आसनों को क्यों चुना?

सिस्टम को तैयार करने के लिए है पहला सेट

सद्‌गुरु : इस कार्यक्रम में आपको इक्कीस आसनों की एक श्रृखंला सिखाई जाती है।

आसनों का पहला चौथाई सेट हमारे सिस्टम को तैयार करने और जाग्रत करने के लिए होता है। मान लीजिए हम आपको ऊर्जा की जबरदस्त मात्रा से भर देना चाहते हैं, तो इसके लिए आपका सिस्टम तैयार होना चाहिए।
देखिए, अगर आप पीना शुरू करते हैं, तो आप हमेशा शुरुआत क्वार्टर से करते हैं। अभी हो सकता है आप योग को एक तकलीफदेह चीज समझते होंगे, लेकिन यह वास्तव में बेहद मादक भी हो सकता है। इसलिए हम शुरुआत चौथाई हिस्से से करते हैं। चौरासी आसनों का पूरा सेट शुरुआत के लिए काफी ज्यादा हो जाएगा। इन सभी आसनों में से कुछ तो शुरुआती आसन होते हैं, जो एक तरह से तैयार करने के लिए होते हैं। इसका मतलब है कि वे साधना पद का हिस्सा हैं। बाकी के आसन रूपांतरण के साधन हैं, इसलिए वे कैवल्य पद का हिस्सा हैं। इन दोनों पदों के अनुकूल साल में अलग-अलग समय आते हैं। आसनों का पहला चौथाई सेट हमारे सिस्टम को तैयार करने और जाग्रत करने के लिए होता है। मान लीजिए हम आपको ऊर्जा की जबरदस्त मात्रा से भर देना चाहते हैं, तो इसके लिए आपका सिस्टम तैयार होना चाहिए।

सभी शरीरों को ऊर्जा शरीर के अनुसार ढलना होगा

एक भौतिक शरीर होता है, एक कार्मिक या मानसिक शरीर और एक ऊर्जा शरीर।

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मान लीजिए हम आपके ऊर्जा शरीर को बढ़ा देते हैं, जो कि आखिर में हम करना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए अगर बाकी दो शरीर रास्ता नहीं देंगे तो इस कोशिश में कुछ न कुछ टूटेगा।
एक उदाहरण से इसे समझा जा सकता है, हालांकि यह उदाहरण अपने आप में सटीक नहीं होगा - आप इन तीनों शरीरों को एक ऐसे खांचे के तौर पर देख सकते हैं, जहां ये तीनों एक दूसरे के भीतर हैं। मान लीजिए हम आपके ऊर्जा शरीर को बढ़ा देते हैं, जो कि आखिर में हम करना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए अगर बाकी दो शरीर रास्ता नहीं देंगे तो इस कोशिश में कुछ न कुछ टूटेगा। तो इस दिशा में सबसे पहला कदम शरीर को सहयोगी बनाना है, जिसके लिए अलग-अलग तरीकों से काम किया जा सकता है। इसके लिए एक आसान तरीका भूत शुद्धि का अभ्यास करना है। शरीर की सीमाओं के परे इन पांच तत्वों का हमेशा आदान-प्रदान होता रहता है। कम से कम सांस लेने वाली हवा के साथ तो आप यह महसूस कर ही सकते हैं।

पांच तत्वों का आदान प्रदान हमेशा चलता रहता है

यह आदान-प्रदान लगातार हर स्तर पर होता है। इसे आप भी देख सकते हैं कि जिस तरह से बाहरी तापमान बदलता है, उसी हिसाब से आपके शरीर का तापमान भी बदल जाता है।

योग का मतलब ही है ‘मैं’ की इस सीमा को खत्म करना। एकात्मकता ही जीवन का असली रूप है और हम जीवन को उसी रूप में जानना चाहते हैं, जैसा वह है।
इसका मतलब है कि अग्नि तत्व का आदान-प्रदान हो रहा है। बात जब आपके खाने और पीने की आती है तब यह आदान-प्रदान पृथ्वी और जल तत्व के तौर पर होता है। यह आदान-प्रदान केवल उस स्तर तक ही नहीं होता कि जहां आप इस पर गौर कर सकें, बल्कि यह उससे कहीं ज्यादा बुनियादी तरीके से होता है। आपके अस्तित्व के ये पांच तत्व आपके द्वारा बनाई गई सीमाओं को नहीं मानते।

‘मैं’ के रूप में आपने जो सीमा बना रखी है, वह विशुद्ध रूप से भौतिक व मनोवैज्ञानिक प्रकृति का होता है। तत्वों के आयाम में कोई सीमा नहीं है। योग का मतलब ही है ‘मैं’ की इस सीमा को खत्म करना। एकात्मकता ही जीवन का असली रूप है और हम जीवन को उसी रूप में जानना चाहते हैं, जैसा वह है। ‘मैं’ और ‘तुम’ के बीच के इस भेद का विचार काल्पनिक है। जिस तरह से हवा सब तरफ चल रही है, इसी तरह से हर चीज अलग-अलग तरीके से काम कर रही है। आपके भीतर तत्वों की मात्रा हर दिन अलग-अलग होती है। आदान-प्रदान लगातार चलता रहता है।

बुनियादी स्तर पर "मैं" और "तुम" में भेद नहीं होता

इन चौरासी आसनों में से कई आसनों का मकसद आपकी ऊर्जा को बढ़ाना है।

योगासन की पहली श्रृंखला आपके शरीर व मन की सीमाओं को हल्का करती हैं, जिससे आप इस तथ्य के प्रति अधिक सजग हो जाते हैं कि ‘यह मैं हूं- यह तुम हो’ का विचार सिर्फ व्यवहारिक मकसदों तक ही सीमित है। 
इससे पहले कि आप अपनी ऊर्जा को बड़े पैमाने पर बढ़ाएं, एक खास तरह की तैयारी, विस्तार और पारदर्शिता का होना जरूरी है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि आपका शरीर व मन उस बढ़ी हुई ऊर्जा को संभालने के लिए सक्षम है। अपने शरीर व मन की तैयारी किए बिना अपनी ऊर्जा को बढ़ाना कुछ वैसा ही है, जैसे एक गुब्बारे में उसकी क्षमता से ज्यादा हवा भरना। योगासन की पहली श्रृंखला आपके शरीर व मन की सीमाओं को हल्का करती हैं, जिससे आप इस तथ्य के प्रति अधिक सजग हो जाते हैं कि ‘यह मैं हूं- यह तुम हो’ का विचार सिर्फ व्यवहारिक मकसदों तक ही सीमित है।  अगर बुनियादी स्तर पर देखें तो ‘इस और उस’ के बीच कोई सीमारेखा या भेद नहीं होता।

संपादक की टिप्पणी:

*कुछ योग प्रक्रियाएं जो आप कार्यक्रम में भाग ले कर सीख सकते हैं:

21 मिनट की शांभवी या सूर्य क्रिया

*सरल और असरदार ध्यान की प्रक्रियाएं जो आप घर बैठे सीख सकते हैं। ये प्रक्रियाएं निर्देशों सहित उपलब्ध है:

ईशा क्रिया परिचय, ईशा क्रिया ध्यान प्रक्रिया

नाड़ी शुद्धि, योग नमस्कार