आरोग्य शब्द का अर्थ है, ‘स्वास्थ्य’, यही जीवन में कल्याण का आधार है। आधुनिक चिकित्सा तंत्र संक्रामक रोगों की झटपट और प्रभावी चिकित्सा के लिए जाने जाते हैं। जबकि दीर्घकालीन रोगों की बात आती है, तो आधुनिक चिकित्सा पद्धतियाँ जैसे एलोपैथी आदि, केवल खराब सेहत का उपचार तब कर पाते हैं जब लक्षण दैहिक व मानिसक रूप में प्रकट होते हैं। दूसरे शब्दों में, वे किसी भी रोग का संपूर्णता के साथ इलाज करने की बजाए, केवल उसके लक्षणों का उपचार करते हैं।

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान से परे, भारतीय तंत्र जैसे सिद्ध व आयुर्वेद तथा योग-विज्ञान आदि, रोग के कारण का उपचार करते हैं। रोगी के वातावरण, जीवनशैली व सामाजिक-आर्थिक दशाओं आदि को भी ध्यान में रखते हैं। वे केवल रोग का उपचार ही नहीं करते बल्कि कुल मिला कर अच्छी सेहत ही उनका केंद्रबिंदु होती है। इस प्रकार शरीर को उस अवस्था में लाया जाता है जहाँ वह स्वयं ही खुद को बदलते वातावरण के अनुसार ढालने की क्षमता पैदा कर लेता है।

ईशा आरोग्य स्वास्थ्य की देख-रेख का एक ऐसा तंत्र विकसित कर रहा है, जो व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए एक प्रभावी तथा सरल पहुँच बनाता है तथा साथ ही क़िफ़ायती भी है। ईशा आरोग्य में एलोपैथी की संक्रामक रोगों को तुरंत ठीक करने की योग्यता व मनुष्य के भीतर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बल देने वाले देसी तंत्रों के अद्भुत मेल का प्रयोग किया जाता है। इन दोनों तंत्रों के मेल से, न केवल रोगों से लड़ने में मदद मिलती है बल्कि व्यक्ति में संपूर्ण आरोग्य का एहसास पैदा होता है।

ईशा आरोग्य ने तमिलनाडू में ईशा आरोग्य केंद्रों की स्थापना की है, जिनमें लोगों के मन में सेहत से जुड़ी सोच को बदलने का प्रयास किया जा रहा है। केंद्र स्वास्थ्य से जुड़ी संपूर्ण देख-रेख निःशुल्क सलाह के साथ प्रदान करते हैं। इसके अतिरिक्त इनके पास सिद्ध, आयुर्वेद तथा एलोपैथिक दवाएँ व सिद्ध तथा आयुर्वेद श्रृंखला के निजी देख-रेख के उत्पाद, त्वचा व बालों की देख-रेख तथा शिशु की देख-रेख आदि से जुड़े उत्पाद भी शामिल होते हैं। दो थेरेपी कक्षों में आयुर्वेदिक मालिश का भी प्रबंध है। केंद्रों में आम सलाह के अलावा कई तरह के दीर्घकालीन रोगों जैसे मधुमेह, रक्तचाप, दमा, त्वचा से जुड़े रोग, माइग्रेन, घुटने व पीठ के दर्द, मोटापा व बाल झड़ने से जुड़ी समस्याओं का भी उपचार होता है।

ईशा आरोग्य में आर्गेनिक तरीके से उगाई गई, 100 प्रकार की जड़ी-बूटियों से हर्बल दवाईयाँ भी तैयार की जाती हैं। इस अभियान के अंतर्गत तमिलनाडू के अलग-अलग हिस्सों में चिकित्सीय जड़ी-बूटियों का शोध व अध्ययन भी किया जाता है।