सद्‌गुरु: मैंने अपने पूरे जीवन में,कभी आजीविका कमाने के बारे में नहीं सोचा। मेरे प्रिय पिता जी अक्सर अपना माथा ठोंकते,“इस लड़के के मन में कोई डर नहीं है। इसका क्या होगा?”मैं अक्सर सोचता,“मुझे तो लगता था कि डरना ही सबसे बड़ी समस्या होती है,पर अब तो न डरना ही समस्या बन गया है!”उस समय की सोच के हिसाब से मुझे भी डॉक्टर बनना चाहिए था क्योंकि मेरे पिता भी एक डॉक्टर थे। पर जब मैं दस साल का था,तो मैंने उनसे कहा,“मैं ऐसा कभी नहीं करने वाला। मैं डॉक्टर नहीं बनूँगा। मैं अपने पूरे जीवन में कहीं नौकरी के लिए अर्जी नहीं दूँगा। मैं किसी जंगल में जा कर,धरती से कंद-मूल खोद कर खा लूँगा,पर कभी कोई नौकरी पाने के लिए अजीऱ् नहीं दूँगा।”वे मुझसे पूछते,“क्यों,तुम्हें नौकरी पाने में क्या परेशानी है?”मैंने उन्हें बताया,“मैं किसी मेज़ के पीछे बैठ कर,अपनी रोज़ी-रोटी नहीं कमाने वाला। मैं अपने पूरे जीवन में ऐसा कभी नहीं करूँगा। अगर ज़रूरत हुई,तो किसी जंगल में चला जाऊँगा। मुझे जंगल में रह कर, जीना आता है”। मैं पहले ही जंगलों की ख़ाक़ छान चुका था। मैंने शहद,दीमक और हर तरह की जंगली चीज़ का स्वाद चख लिया था - मैं अपना गुज़ारा चला सकता था। मैं जानता था कि मैं सब संभाल लूँगा क्योंकि मेरे लिए अभी काफी वन बचे थे।

किसी तरह, मैं यह बात मानने को तैयार नहीं था कि मुझे अपनी आजीविका कमाने के लिए कहीं अर्जी देनी चाहिए। 

यहाँ तक कि आपके दिमाग का एक-लाखवें हिस्से जितना दिमाग रखने वाली चींटी भी अपना भोजन जुटा लेती है, तो ऐसे में इतने बड़े दिमाग वाले मनुष्य को क्या परेशानी हो सकती है?मनुष्य की चेतना के लिए आजीविका कमाना एक छोटी सी बात है, पर सारी मानवता ने अपनी पूरी ऊर्जा और बुद्धि का निवेश केवल आजीविका कमाने में ही कर रखा है। सारी मानवीय बुद्धिमता केवल इसलिए दब कर मर गई है, क्योंकि हर कोई, केवल यही सोचता रहता है,“मैं अपनी आजीविका कैसे कमा सकता हूँ।?”

मैं यह नहीं कहता कि आपको अपनी आजीविका नहीं कमानी चाहिए, पर इसके लिए आपको अपनी सारी चेतना को लगाने की ज़रूरत नहीं है।

अगर आप केवल अर्न, अर्न और अर्न (कमाई) ही करते चले जाएँगे तो आपके हाथ केवल एक अर्न (भस्म कलश) ही आएगा,बस हो सकता है कि वह थोड़ा महँगा हो।

अगर आप अपने मन, शरीर और ऊर्जाओं का समुचित प्रबंधन करना जानते हैं तो दिन में चार घंटे काम करके भी, अपने लिए अच्छी आजीविका कमा सकते हैं।

आपको हमेशा इस बारे में सोचना चाहिए कि आप इस जीवन में सबसे महान काम कौन सा कर सकते हैं। मेरे पिता का मानना था कि मैं पूरी तरह से गैर-ज़िम्मेदार था पर मैं ऐसा नहीं था। मैं तो जीवन की ख़ोज में था। मैं जानना चाहता था कि जीवन क्या है और मैंने अपने जुनून को मरने नहीं दिया। मैं जहाँ भी बैठता, मैं जानना चाहता था कि वह क्या था। मैंने सारे समय इसी चीज़ का अभ्यास किया।