भरतपुजा

नदी की लंबाई:

251 किमी

नदी घाटी क्षेत्र:

5397 स्क्वायर किमी

नदी घाटी में आबादी:

40 लाख

नदी घाटी में पड़ने वाले राज्य:

केरल, तमिलनाडु

जल का इस्तेमाल करने वाले प्रमुख शहर:

पलक्कड (आबादी: 131,019)

नदी को हानि

  • शुष्क मौसम में सूखे का खतरा : कम
  • बारिश के मौसम में बाढ़ का खतरा : अधिक
  • वृक्षों की संख्या में कमी : 31%(1973-2005)
  • हर मौसम में जल स्तर की भिन्नता : मध्यम से अधिक

आर्थिक और पर्यावरण संबंधी महत्व

  • भरतपुजा केरल की दूसरी सबसे लंबी नदी है, जो राज्य के लगभग 10 प्रतिशत हिस्से में फैली है।
  • इस नदी से लगभग 5 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि को जल मिलता है।
  • इसे मत्स्य जैवविविधता के मामले में केरल की सबसे समृद्ध नदियों में से एक माना जाता है। नदी में मौजूद 117 प्रजातियों में से, तीन प्रजातियां कहीं और नहीं पाई जातीं। 14 प्रजातियां लुप्त होने की कगार पर हैं।
  • यह नदी ग्रामीण इलाकों में 5.9 लाख और शहरी क्षेत्रों में 1.73 लाख लोगों को पेयजल उपलब्ध कराती है। 175 ग्राम पंचायतें मंदिरों के शहर गुरुवयुर सहित 12 शहरों की नगरपालिकाएं जल के लिए इस नदी पर निर्भर हैं।

हालिया आपदाएं

कभी बारहमासी नदी रही भरतपुजा अब मानसून के खत्म होने कुछ सप्ताह के अंदर सूख जाती है। पिछले कुछ सालों में पेड़ों की संख्या में कमी, उपनदियों का सूखना और कमजोर मानसून ने इस नदी को उसके मार्ग में कई जगहों पर सूखे की स्थिति में ला दिया है।

आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व

इस नदी को पारंपरिक तौर पर नीला नदी के नाम से जाना जाता है। पारंपरिक कला का एक मशहूर केंद्र केरल कलामंडलम इसके तट पर स्थित है।

प्रतिभाशाली साहित्यकारों एम.टी.वासुदेवन नायर और ओ.वी.विजयन को इस नदी के तट पर ही लेखन की प्रेरणा मिली।

अपने पूर्वजों को किया जाने वाला पितृ तर्पणम हर साल इस नदी के तट पर किया जाता है।

References and Credit

#RallyForRivers

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