हालिया आपदाएं
कभी बारहमासी नदी रही भरतपुजा अब मानसून के खत्म होने कुछ सप्ताह के अंदर सूख जाती है। पिछले कुछ सालों में पेड़ों की संख्या में कमी, उपनदियों का सूखना और कमजोर मानसून ने इस नदी को उसके मार्ग में कई जगहों पर सूखे की स्थिति में ला दिया है।
आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व
इस नदी को पारंपरिक तौर पर नीला नदी के नाम से जाना जाता है। पारंपरिक कला का एक मशहूर केंद्र केरल कलामंडलम इसके तट पर स्थित है।
प्रतिभाशाली साहित्यकारों एम.टी.वासुदेवन नायर और ओ.वी.विजयन को इस नदी के तट पर ही लेखन की प्रेरणा मिली।
अपने पूर्वजों को किया जाने वाला पितृ तर्पणम हर साल इस नदी के तट पर किया जाता है।