हाल ही में हुई आपदाएं
डब्ल्यू. डब्ल्यू. ऍफ़. के अनुसार गंगा विश्व की सबसे अधिक संकट-ग्रस्त नदियों में से एक है।
लगभग सभी दूसरी भारतीय नदियों की तरह गंगा में लगातार पहले बाढ़ और फिर सूखे की स्थिति पैदा हो रही है। मई 2016 में गंगा प्रयाग, उत्तरप्रदेश में इतनी सूखी थी कि लोग रिवर बेड पर चल रहे थे। सिर्फ तीन महीने बाद मानसून के दौरान नदी में आई बाढ़ बिहार और उत्तर प्रदेश में रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई जिससे 40 लाख लोग प्रभावित हुए और 650,000 लोग बेघर हो गए। सूखे के तुरंत बाद बाढ़ ने खेती को उजाड़ कर रख दिया।
आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व
गंगा का अर्थ है, बहना। गंगा भारत की पहचान है और देश के आध्यात्मिक तथा सांस्कृतिक मूल्यों को पिरोने वाली एक मूलभूत डोर है।
भारत के सबसे पवित्र स्थान – ऋषिकेश, हरिद्वार, प्रयाग और काशी, गंगा के तट पर हैं। हिमालय में केदारनाथ, बद्रीनाथ और गोमुख गंगा और उसकी उपनदियों के किनारे स्थित तीर्थ स्थानों में से एक हैं।
जिन चार स्थानों पर कुंभ मेला लगता है, उनमें से दो – हरिद्वार और प्रयाग – गंगा के तट पर हैं।
गंगा की एक उपनदी सोन के तट पर, पुरातत्वविदों को 11,000 साल पुराना एक तिकोना पत्थर मिला जिसे सबसे पुराना यंत्र का प्रतिरूप माना जा रहा है। इस पत्थर पर शक्ति या देवी की आराधना के चिन्ह मिले हैं।
फ्रांसीसी फिलॉस्फर फ्रांसिस एम. वालतायर गंगा पर इतने मुग्ध हो गए कि उन्होंने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि सब कुछ, चाहे वह खगोल विद्या हो, ज्योतिष या आध्यात्मिकता, गंगा के तट से ही उत्पन्न हुआ है। यह बात बहुत मायने रखती है कि कम से कम 2500 साल पहले पायथागोरस ज्यामिति सीखने के लिए सामोस से गंगा की ओर गया।’ (फ्रांसीसी भाषा से अनुवादित)
अतीत में गंगा जल को अमृत माना जाता था। मुगल सम्राट अकबर हमेशा गंगा जल अपने साथ रखते थे। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी इंग्लैंड वापस जाते समय तीन महीने के सफर में अपने नाविकों के लिए सिर्फ गंगा जल का इस्तेमाल करती थी क्योंकि वह पूरे समय मीठा और ताजा रहता था। 1896 में एक ब्रिटिश बैक्टीरियोलॉजिस्ट ने बताया कि गंगा जल हैजा के सूक्ष्माणुओं को नष्ट करता है।