हो सकता है कि आप अपने बगल में चिल्ला रहे आदमी को न रोक पाएं, लेकिन कम से कम आप जो बोलते हैं, उस आवाज पर ध्यान दे सकते हैं, क्योंकि आप जिन ध्वनियों का उच्चारण करते हैं, उनका असर आपके ऊपर सबसे अधिक होता है।

सद्‌गुरु:

जीवन के सूक्ष्म आयामों को जानने और समझने के लिए, शरीर, मन, रसायन, तंत्रिका तंत्र और ऊर्जा तंत्र को तैयार करना जरूरी होता है। व्यक्ति के पास एक ऊर्जावान भौतिक शरीर होना चाहिए। तंत्रिका तंत्र पूरी तरह सक्रिय और जीवंत होना चाहिए। प्राणशक्ति पूरी तरह सक्रिय और संतुलित होनी चाहिए और आपका मन बाधक नहीं बल्कि सहायक  होना चाहिए।

अगर आप ईमानदारी से कोशिश करना चाहते हैं, तो लगभग हर किसी के लिए यह तैयारी संभव है।

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आप यह सवाल कर सकते हैं कि इसकी तैयारी में कितने जीवन लगेंगे? यह निर्भर करता है कि आप कितने बिगड़े हुए हैं। आपकी जो जीवनशैली है और आप अपने भीतर जिस किस्म का रसायन विकसित कर रहे हैं, उसके कारण तंत्रिका तंत्र गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो सकता है। लेकिन भले ही आपका सिस्टम बुरी तरह बिगड़ा हुआ हो- आपने लगातार अपने अंदर गलत रसायन पैदा किया हो और उसने आपके तंत्रिका तंत्र को बेकार कर दिया हो; यहां तक कि अगर आपने बाहरी मदद से अपने शरीर में रसायन डाले हों और उससे आपको बुरी तरह नुकसान पहुंचा हो, तब भी अगर आप ईमानदारी से कोशिश करना चाहते हैं, तो लगभग हर किसी के लिए यह तैयारी संभव है।

यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितना समय देते हैं- दिन में 21 मिनट या 21 घंटे, या उसके बीच कहीं?
सिर्फ उन्हीं लोगों के लिए यह संभव नहीं है जिन्हें कुछ खास बिमारियों ने स्थाई नुकसान पहुंचा दिया हो। उन्हें और अधिक समय की जरूरत है। दूसरों के लिए, यह सिर्फ प्राथमिकता का सवाल है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितना समय देते हैं- दिन में 21 मिनट या 21 घंटे, या उसके बीच कहीं? क्योंकि  इसे जानने की संभावना है, इसलिए इस बारे में बात करना और कोशिश करना महत्वपूर्ण है। अगर ऐसी कोई संभावना नहीं होती, तो इन सब का कोई मतलब नहीं होता।

 सही किस्म की ध्वनियां

क्योंकि आप जिन ध्वनियों का उच्चारण करते हैं, उनका असर आपके ऊपर सबसे अधिक होता है।
सही तरह के भोजन, विचारों और भावनाओं से आपके शरीर को ठीक करते हुए उसका कायाकल्प किया जा सकता है। साथ ही सही तरह के शब्दों को बोलना और सही तरह की ध्वनियां सुनना भी महत्वपूर्ण है। इससे आपका तंत्रिका तंत्र अपने आस-पास के जीवन के प्रति संवेदनशील हो पाएगा। क्या आपने ध्यान दिया है कि जब आप कुछ घंटों तक गाड़ियों या मशीनों की कर्कश आवाजें सुनते हैं, तब आपको अपने आस-पास की साधारण चीजों के बारे में भी ठीक से समझने में मुश्किल होती है। किसी दिन जब आप सिर्फ घर पर बैठे कुछ शास्त्रीय संगीत सुन रहे होते हैं, उस दिन आपका दिमाग तेज और सजग होता है और बहुत आसानी से चीजों को समझ लेता है। अगर आप सचेतन होकर, इन चीजों पर अधिक से अधिक ध्यान दें, या कम से कम इस बारे में सचेत रहें कि किस तरह की ध्वनि आपके सिस्टम को नुकसान पहुंचा रही है और किस तरह की ध्वनि से लाभ होता है, तो आप कम से कम उन ध्‍वनियों को तो शुद्ध कर लेंगे, जिनका आप उच्चारण करते हैं। हो सकता है कि आप अपने बगल में चिल्ला रहे उस आदमी को न रोक पाएं, लेकिन कम से कम आप जो बोलते हैं, उस आवाज पर ध्यान दे सकते हैं । क्योंकि आप जिन ध्वनियों का उच्चारण करते हैं, उनका असर आपके ऊपर सबसे अधिक होता है।

वाक शुद्धि

आप जो बोलते हैं, वह सबसे महत्वपूर्ण है। इसे वाक शुद्धि कहा जाता है। वाक शुद्धि का मतलब अच्छी बातें बोलना नहीं है। इसका मतलब है, सही ध्वनियों का उच्चारण करना। आपको जो भी बोलना है, उसे इस तरीके से बोलें कि वह आपके लिए लाभदायक हो। और जो भी चीज आपके लिए लाभदायक होगी, वह स्वाभाविक रूप से आपके आस-पास हर किसी के लिए भी लाभदायक होगी। अगर कोई ध्वनि आप पर अच्छा असर कर रही है, तो निश्चित रूप से वह आपके आस-पास हर किसी पर इसी तरह का असर करेगी।

इसका मतलब है, सही ध्वनियों का उच्चारण करना। आपको जो भी बोलना है, उसे इस तरीके से बोलें कि वह आपके लिए लाभदायक हो।

ऊर्जा को संतुलित रखने के लिए ध्वनि महत्वपूर्ण है। उसके साथ-साथ भोजन, भावनाओं और साधना पर भी ध्यान देना जरूरी है। अगर इसका ध्यान रखा जाए, तो आप धीरे-धीरे ऐसा शरीर विकसित कर लेंगे जो चीजों को जानने-समझने में समर्थ होगा।

 संपादक की टिप्पणी: अगले सप्ताह इस पोस्ट का दूसरा भाग पढ़ें, जिसमें सद्गुरु वाक शुद्धि और उसे कायम रखने के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

फोटो: Image Courtesy: Sydney Morning Herald