मन की हलचल रोकने का एक सरल तरीका
पतंजलि ने योग की बहुत ही सरल परिभाषा दी थी – योग चित्त वृत्ति निरोधः। इसका अर्थ है मन में आने वाले सभी बदलाव रुक जाने पर योग की स्थिति प्राप्त होती है। जानते हैं ऐसी स्थिति तक पहुँचने का सरल उपाय
अगर आप हर चीज को उसी तरह समझते और महसूस करते हैं, जैसी वो है, तो लोग आपको दिव्यदर्शी या मिस्टिक कहते हैं। अगर आप जीवन को वैसे नहीं देखते, जैसा वह है तो इसका मतलब है कि आप मिस्टिक नहीं मिस्टेक हैं (गलती कर रहे हैं)।
मन में हलचल और अतीत का प्रभाव नहीं होना चाहिए
एक और समस्या हो सकती है, अगर आपके पास ऐसा कोई आइना है, जो चीजों को याद रखता हो - फिर तो आप मुसीबत में पड़ जाएंगे।
भेदभाव की स्थिति में सत्य को जानना संभव नहीं
आप किसी चीज को काफी श्रेष्ठ मानते हैं और वहीं दूसरी चीज आपको बेकार लगती है। आपको अपने जीवन में यह एक चीज लानी होगी कि कभी भी किसी चीज को बहुत ऊंची और किसी चीज को नीची नजर से न देखें। अगर यह संभव नहीं है, तो हर चीज को सम्मान के साथ देखना शुरू कीजिए। अगर आप किसी चींटी को भी देखते हैं, तो उसे भी सम्मान के साथ देखिए। यह तरीका भी काम करेगा। असली समस्या भेदभाव की है कि यह बेहतर है और वह कमतर है, यह अच्छा है और वह बुरा है। इस स्थिति में तो आप कभी अस्तित्व की असलियत को जान ही नहीं पाएंगे। भेदभाव के चलते खुद आपका मन भी बंट जाएगा। एक बार अगर आपका मन विभेदकारी हो गया तो यह स्थिति एक टूटे हुए आइने सी होगी, जिसमें अगर आप किसी चीज को देखें, तो आपको उसके हजारों-लाखों रूप नजर आएंगे। उस स्थिति में आप असलियत को कभी नहीं देख पाएंगे।
जब तक मन की हलचल थम न जाए – सभी को सम्मान से देखें
हालांकि यह एक आसान सी चीज है, लेकिन यह जटिल बन गई है, क्योंकि आप अपने विचार, सोच, राय व पहचान से बंधे हुए हैं। कुछ समय के लिए इन चीजों को एक तरफ रख दीजिए, ताकि आपका मन ‘चित्त वृत्ति निरोध:’ की स्थिति में आ सके। इसका मतलब है कि आपके मन में कोई बदलाव नहीं चल रहा। आपका मन विभेदकारी नहीं है, जिसमें किसी चीज को देखते ही एक पल में हजारों चीजें आने लगती हैं। यह आपको बिना किसी पूर्वाग्रह, बिना किसी पिछली याद से प्रभावित हुए, बिना कार्मिक व अनुवांशिक प्रभावों के, बिना किसी चीज को पहचाने- चीजों को जैसे का तैसा दिखाता है। जब तक आप इस स्थिति में नहीं पहुंच जाते, तब तक बेहतर होगा कि आप हर चीज को सम्मान के साथ देखें। इसीलिए इस संस्कृति में हम आपको सिखाते हैं कि अगर आप एक पेड़ को भी देखें तो उसे नमस्कार करें, अगर आप किसी गाय को देखें तो उसे नमस्कार करें, अगर किसी हाथी को देखें तो नमस्कार करें, आप किसी भी चीज को देखें तो उसे नमस्कार करें, यहां तक कि अगर आप किसी पत्थर को भी देखें तो उसे नमस्कार करें। हर चीज को सम्मान के साथ देखें। अगर आप उन लोगों में से हैं जो हर वक्त बड़े अभिमान में चलते हैं और मुझे देखकर नमस्कार कर लेते हैं तो यह अच्छी बात नहीं है।
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