आजकल विज्ञान-जगत में एक नए कण की खोज – जिसे वैज्ञानिक गॉड पार्टिकल का नाम दे रहे हैं, को लेकर खासी चर्चा है। क्या यह खोज विज्ञान को एक नई दिशा दे पायगी? 

प्रोटॉन का टूटना और बोसॉन को हासिल करना अगर एक उपलब्धि है, तो इस पर गौर करना चाहिए। यह वास्तव में एक उपलब्धि है, क्योंकि जिन लोगों की भौतिकी में जरा भी रुचि नहीं थी, वे अब पार्टिकल फिजिक्स के बारे में बात कर रहे हैं। लोग कम से कम विज्ञान की बात अस्तित्व के दोहन के लिए, केवल अपने फायदे के लिए ही नहीं सोच रहे हैं। गॉड पार्टिकल का एक तकनीक के रूप में अभी कोई उपयोग नहीं है, फिर भी लोग उस पर अरबों डॉलर खर्च कर रहे हैं - सिर्फ  कुछ जानने के लिए। यह अच्छी बात है। यह सब मुझे काफी आध्यात्मिक लगता है, हालांकि आध्यात्मिक प्रक्रिया में इतना ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ता।

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सूक्ष्म को जिस पहलू से समझ सकते हैं, उसे विशेष ज्ञान कहा जाता है। विशेष ज्ञान या विज्ञान का मतलब असाधारण और महत्वपूर्ण जानकारी से है। कुल मिलाकर विज्ञान का मतलब उन पहलुओं को समझना है, जिन्हें पांच ज्ञानेंद्रियों के जरिये नहीं समझा जा सकता।
योग में हम इसे इस तरह देखते हैं- इस सृष्टि के अलग-अलग पहलू हैं, - स्थूल, सूक्ष्म, शून्य और शिव। स्थूल का मतलब भौतिक से है। जिस किसी चीज को भी आप अपनी पांच ज्ञानेंद्रियों की मदद से जान और समझ सकते हैं, जो कुछ भी आप देख सकते हैं, सूंघ सकते हैं, स्वाद ले सकते हैं, सुन सकते हैं और स्पर्श कर सकते हैं, उन सबको स्थूल माना जाता है। आप अपनी बुद्धि और तर्क के आधार पर सृष्टि के इस पहलू का विश्लेषण कर सकते हैं, उसे समझ सकते हैं और आत्मसात कर सकते हैं। इसकी प्रकृति स्थूल है और स्थूल हमेशा अणुओं से मिलकर बना होता है। अणु इस जगत के निर्माण की सबसे छोटी इकाई है। अगर भरपूर संख्या में अणु एक जगह जमा हो जाएं, तो हम उस चीज को छू सकते हैं, सूंघ सकते हैं, उसका स्वाद ले सकते हैं और अगर यह ढेर बड़ा हो जाए तो हम उसे देख भी सकते हैं।

अगर यह हमारी पांचों ज्ञानेंद्रियों की समझ से परे  चला जाए, लेकिन इसकी प्रकृति भौतिक ही रहे, तो इसे हम सूक्ष्म कहते हैं। सूक्ष्म भी भौतिक होता है, लेकिन आप इसे पांच ज्ञानेंद्रियों की मदद से समझ नहीं सकते और न ही आप बुद्धि के बल पर इसका विश्लेषण कर सकते हैं। सूक्ष्म को जिस पहलू से समझ सकते हैं, उसे विशेष ज्ञान कहा जाता है। विशेष ज्ञान या विज्ञान का मतलब असाधारण और महत्वपूर्ण जानकारी से है। कुल मिलाकर विज्ञान का मतलब उन पहलुओं को समझना है, जिन्हें पांच ज्ञानेंद्रियों के जरिये नहीं समझा जा सकता।

आज विज्ञान इन आयामों में भी प्रवेश कर रहा है, क्योंकि हिग्स बोसॉन को कभी कोई नहीं देख सकता। वे केवल इसके पदचिन्हों को देख पाएंगे। अभी भी उन्होंने केवल पदचिन्हों को ही देखा है, हिग्स बोसॉन को नहीं। चूंकि उन्होंने पदचिन्हों को देख लिया है, इसलिए उन्हें भरोसा हो गया है कि उसका अस्तित्व है। यह ऐसे है, जैसे हम किसी जंगल में जाएं और कुछ पैरों के निशान देख कर हम कहें कि यहां कोई चीता आया होगा, हालांकि चीते को हमने नहीं देखा है। इसी तरह से वैज्ञानिकों ने हिग्स बोसॉन के पदचिन्हों को देख लिया है, इसलिए वे विशेष ज्ञान के क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं।

Images courtesy: HiggsBoson & TheGodParticle

यह लेख ईशा लहर से उद्धृत है।
 
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