हर कोई एक खजाने पर बैठा हुआ है, लेकिन सब गलत दिशा में देख रहे हैं। वे खजाने की ओर नहीं देख रहे। इसलिए उन्हें पता ही नहीं चलता कि ऐसा कुछ वहां है। जानिए खजाने का राज-

कुंडलिनी शब्द से मतलब ऊर्जा के उस आयाम से है, जो अब तक अपनी पूरी क्षमता को साकार नहीं कर पाया है। आपके भीतर ऊर्जा का एक विशाल भंडार है, जिसे अभी महसूस कर पाना बाकी है। वह बस वहां इंतजार कर रहा है। जिसे आप एक मानव कहते हैं, वह अभी अपने पूर्ण रूप में नहीं है। आप अब तक एक मानव नहीं हैं, आप मानव बनने की प्रक्रिया में हैं। आप एक पूर्ण मानव नहीं हैं। अपने आप को एक बेहतर मानव बनाने की गुंजाइश हमेशा रहती है।

जब आप वानर थे, तो आपने मनुष्य बनने की इच्छा नहीं की थी। प्रकृति बस आपको आगे धक्का देती रही। लेकिन एक बार मनुष्य बनने के बाद, कोई भी विकास अनजाने में नहीं होता। अगर आप सचेत नहीं हैं, अचेतन हैं, तो निरर्थक चीजों का वही अंतहीन चक्र चलता रहेगा। अगर आप सचेतन होकर अपना विकास चाहेंगे, तो वह होगा। अब अगर आप जागरूक या सचेत हो गए, तो विकास या कोई भी बदलाव जरूरी ऊर्जा के बिना नहीं हो सकता। इसे संभव बनाने के लिए, यानी आपके विकास के लिए ऐसी व्यवस्था की गई है कि बहुत सारी ऊर्जा को बिना इस्तेमाल किए छोड़ दिया गया है, ताकि चैतन्य होने पर, आप उसका लाभ उठाते हुए कोई शानदार काम कर सकें। यह एक खजाना है, जिस पर आप बैठे हुए हैं। अगर आप गलत दिशा में देखेंगे, तो कभी नहीं जान पाएंगे कि वहां एक खजाना है।

कुंडलिनी आपके भीतर वह खजाना है, जिसका अब तक इस्तेमाल नहीं हुआ है, जिसका अब तक लाभ नहीं उठाया गया है। आप उस ऊर्जा का इस्तेमाल करके उसे बिल्कुल अलग आयाम में रूपांतरित कर सकते हैं।

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एक बार ऐसा हुआ कि एक भिखारी घोर गरीबी में गुजर-बसर कर रहा था। वह एक पेड़ के नीचे बैठकर भीख मांगता था। आते-जाते लोग वहां कुछ सिक्के फेंक देते थे और जिससे वह अपना काम चलाता था। एक दिन उसकी मृत्यु हो गई और उसका शव उसी तरह वहां पड़ा हुआ था। कोई दोस्त और रिश्तेदार नहीं, कोई उसे कहीं ले जाकर दफनाना नहीं चाहता था। इसलिए लोगों ने उसे उसी पेड़ के नीचे दफनाने का फैसला किया। लोगों ने खुदाई शुरू की और उन्हें वहां एक बड़ा खजाना गड़ा हुआ मिला। बस कुछ फीट नीचे एक बड़ा खजाना गड़ा हुआ था, सोने से भरा हुआ पूरा बरतन था और वह मूर्ख वहीं बैठकर पूरी ज़िंदगी भीख मांगता रहा। अगर वह नीचे सिर्फ खोद लेता, तो वह बहुत अमीर आदमी होता। लेकिन वह पर पूरी ज़िंदगी एक भिखारी की तरह वहां बैठा रहा।

यही हाल कुंडलिनी का है। वह ठीक वहीं पर हे। हर कोई एक जैकपॉट पर बैठा हुआ है, लेकिन सब गलत दिशा में देख रहे हैं। वे खजाने की ओर नहीं देख रहे। इसलिए उन्हें पता ही नहीं चलता कि ऐसा कुछ वहां है। कुंडलिनी आपके भीतर वह खजाना है, जिसका अब तक इस्तेमाल नहीं हुआ है, जिसका अब तक लाभ नहीं उठाया गया है। आप उस ऊर्जा का इस्तेमाल करके उसे बिल्कुल अलग आयाम में रूपांतरित कर सकते हैं, एक ऐसे आयाम में जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते।

संपादक की टिप्पणी:

*कुछ योग प्रक्रियाएं जो आप कार्यक्रम में भाग ले कर सीख सकते हैं:

21 मिनट की शांभवी या सूर्य क्रिया

*सरल और असरदार ध्यान की प्रक्रियाएं जो आप घर बैठे सीख सकते हैं। ये प्रक्रियाएं निर्देशों सहित उपलब्ध है:

ईशा क्रिया परिचय, ईशा क्रिया ध्यान प्रक्रिया

नाड़ी शुद्धि, योग नमस्कार